सूचना तकनीक की दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में एक एपल के सह संस्थापक स्टीव जॉब्स महज 56 साल की उम्र में दुनिया कूच कर गए। तकनीकी दुनिया के बादशाह के निधन पर फेसबुक और ट्विटर जैसे मंच श्रद्धांजली से पट गये। जॉब्स के निधन की ख़बर प्रसारित होते ही माइक्रोब्ल़गिंग साइट ट्विटर पर हर सेंकेड 10,000 से अधिक ट्वीट किए गए। यह अपने आप में अभूतपूर्व रिक़ॉर्ड है। जॉब्स को श्रद्धांजलि देते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ट्वीट किया,"स्टीव लीक से अलग सोचने के मामले में काफी बोल्ड थे,और अपनी कल्पना को साकार करने के मामले में काफी प्रतिभाशाली।"सोशल मीडिया की दुनिया में स्टीव जॉब्स को मिल रही श्रद्धांजलि हैरान नहीं करतीं, क्योंकि तकनीक की दुनिया के इस बाजीगर ने अपनी हर चाल से खुद को हर बार साबित किया था। ओबामा भी इस बात को जानते हैं और लोग भी।
इसी साल जुलाई-अगस्त में अमेरिका में भीषण कर्ज संकट में फंसे होने के बीच सोशल मीडिया पर अमेरिका का राष्ट्रपति स्टीव जॉब्स को बनाए जाने का संदेश खूब प्रसारित हुआ था। दुनिया की सबसे बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनी एप्पल के तत्कालीन मुख्य कार्यकारी अधिकारी स्टीव जॉब्स का जलवा कुछ ऐसा था भी। उस वक्त एप्पल के पास 75.87 करोड़ नकद डॉलर थे, जबकि बाज़ार में उसकी कुल पूंजी 363.25 अरब डॉलर आंकी गई थी। उधर, भयंकर संकट के बीच अमेरिकी सरकार के खजाने में सिर्फ 73.76 अरब डॉलर शेष रहने का खुलासा हुआ था। सिर्फ दो दिन पहले ही अंतरराष्ट्रीय ब्रांड सलाहकार फर्म इंटरब्रांड ने अपनी सालाना रिपोर्ट जारी की तो पहली बार एपल को दुनिया के 10 प्रमुख मूल्यवान ब्रांड्स में शामिल किया गया। नोकिया को दरकिनार कर एपल ने इस सूची में अपनी जगह बनायी।
एपल आज सूचना तकनीक जगत की नामचीन कंपनी है तो जॉब्स की वजह से। इसमें किसी को कोई शक नहीं है। लेकिन, बहुत कम लोगों को भरोसा होता है कि यही कंपनी लगभग 13 साल पहले दिवालिया होने की कगार पर थी। 1997 में स्टीव जॉब्स के दोबारा कंपनी में लौटने के बाद से अभी तक कंपनी के शेयर 9000 फीसदी बढ़ चुके हैं। पिछले दो साल में कंपनी के शेयर की कीमत लगभग दोगुनी हो गई है। इन दो साल में माइक्रोसॉफ्ट के शेयरों में महज 5.1 फीसदी और इंटेल के शेयरों में 14 फीसदी बढ़त हुई है।
एक मायने में 'हारकर जीतने वाले को बाजीगर कहते हैं' जैसा फिल्मी संवाद स्टीव जॉब्स के लिए ही लिखा मालूम होता है। स्टीव जॉब्स ने 1976 में अपने दोस्त स्टीव वोजनियाक के साथ मिलकर एपल की स्थापना की। 1985 में तत्कालीन सीईओ स्कूले से मतभेद के बाद जॉब्स को इस्तीफा देने के लिए कहा गया तो वह कंपनी से अलग हो गए। स्टीव ने विजुअल अफेक्ट हाउस पिक्सर की स्थापना की। इसके बाद नेक्स्ट कंपनी बनायी। कंपनी का बनाया नेक्स्टस्टेप ऑपरेटिंग सिस्टम चर्चित हुआ, लेकिन ऊंची कीमत की वजह से बाजार में जगह नहीं बना पाया। अलबत्ता पर्सनल कंप्यूटर के इतिहास में कई नए कॉसेप्ट का साझीदार रहा। उल्लेखनीय है कि वर्ल्ड वाइड वेब के विकास के दौर में टिम बर्नर्स और ली के कंप्यूटर का प्राथमिक ऑपरेटिंग सिस्टम भी नेक्स्ट था।
1997 में गिल एमिलियो ने एपल को संभाला तो स्टीव जॉब्स दोबारा कंपनी में पहुंचे। एपल ने स्टीव की नेक्स्ट को खरीद लिया था। नयी शुरुआत के साथ स्टीव ने विरोधी माइक्रोसॉफ्ट से 150 मिलियन डॉलर की रणनीतिक मदद लेकर कंपनी के नए युग की शुरुआत कर दी। 2001 एपल के लिए सफलता की नयी राहें खोल गया। इसी साल कंपनी ने चार ऐसे उत्पाद लॉन्च किए, जो कंपनी के वर्तमान तमाम लोकप्रिय उत्पादों की नींव साबित हुए। इस साल जनवरी में एपल ने आईट्यूंस म्यूजिक प्लेयर लॉन्च किया। फिर मार्च में मैक ऑपरेटिंग सिस्टम एक्स 10.0 उतारा। मई में कैलिफोर्निया और वर्जीनिया में एपल स्टोर की स्थापना की और अक्टूबर में पहला आईपोड लॉन्च किया। यह दौर डॉट कॉम बुलबुले के फूटने का था, और अमेरिकी अर्थव्यस्था भयंकर मंदी में थी। ऐसे में एपल ने नए प्रयोगों में भारी निवेश का जोखिम लिया।
आईपैड,आईफोन और आईक्लाउड जैसे उत्पादों ने तो अब दुनिया बदलने की शुरुआत की है। दरअसल,स्टीव जॉब्स सूचना तकनीक की दुनिया के महारथी सिर्फ इसलिए नहीं थे क्योंकि उन्होंने एपल को फर्श से अर्श तक पहुंचाया बल्कि वह इसलिए बादशाह बने क्योंकि उन्होंने लोगों की तकनीकी जरुरतों का पता उनसे पहले लगा लिया। अपने उत्पादों को बेहतर डिजाइन और शानदार फीचर्स के साथ बाजार में उतारा।
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