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Hindi Lok.comen-us2024-03-28T00:00:00+01:00साहित्य की कसौटी पर इन्टरनेट की रचनाएँ
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कुछ दिन पहले आयोजित ताज साहित्य महोत्सव में इस विषय पर बहुत चर्चा हुई, शायद इसलिए कि साहित्यकार और पुराने साहित्य के पंडित इस इन्टरनेट के जानवर की बहुत अवाजें सुनने लगे हैं - और अक्सर इसकी सड़क छाप भाषा और इसके अनुशासन हीन लेखक साहित्य के पॉलिसियों को परेशान कर रहे हैं।
MiscArvind Joshi2013-02-11T15:35:58+01:00बाज़ार रियलिटी शो के पीछे का
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आप ‘कौन बनेगा करोड़पति’ में हिस्सा लेना चाहते हैं तो क्या करना चाहिए? कार्यक्रम के लिए आपका चयन हो गया है तो सामान्य ज्ञान बढ़ाने के लिए क्या किया जाए? ‘फास्टेस्ट फिंगर’ राउंड में किस तरह उंगलियां पटल पर रखी जाए कि तेजी से जवाब दिया जा सके? और हॉट सीट पर बैठने के बाद सदी के महानायक के समक्ष बैठते वक्त आत्मविश्वास में कमी न आए इसके लिए क्या उपाय किए जाए?MiscPiyush Pandey2012-12-15T11:53:53+01:00जी़ संकट बनाम मीडिया की विश्वसनीयता
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जी न्यूज चैनल पर नवीन जिंदल की कंपनी ने 100 करोड़ रुपए मांगने का अरोप लगाया है। कंपनी ने इस बाबत एफआईआर भी दर्ज कराया है। आठ दिन बाद बीइए ने एक आपात बैठक बुलाकर मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई है, जो दो हफ्तों में रिपोर्ट देगी।
MiscRam Bahadur Rai2012-11-19T16:20:37+01:00पत्रकारों के सामने चुनौती
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आपको दस्तावेज चाहिये, हम तुरंत दे देगें। लेकिन हमारा नाम न आये इसलिये आप आरटीआई के तहत दस्तावेज मांगे। इसके लिये लिये तो नोटरी के पास जाना होगा। दस रुपये का पेपर लेना होगा। ना ना आप सिर्फ दस रुपये ही नत्थी कर दीजिये और दस्तावेज भी आपको हम हाथों हाथ दे देते हैं। आपको महीने भर इंतजार भी नहीं करायेंगें। आप खबर दिखायेंगे तो गरीबों का भला होगा। और सादे कागज पर आरटीआई की अर्जी के साथ दस रुपये नत्थी कर देने के बाद जैसे ही बाबू खबर से जुड़े दस्तावेज रिपोर्टर के हाथ में देता है वैसे ही कहता है, खबर दिखा जरुर दीजिएगा।। मंत्री महोदय से कोई समझौता ना कर लीजियेगा या डर ना जाइयेगा।
MiscPunya Prasun Bajpai2012-10-19T12:20:47+01:00हिंदी के शोकधुन पर नाचती दुनिया
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हिंदी दिवस पर एक से बढकर एक संवेदनशील टिप्पणियां सामने आ रही हैं। आईए तीन मिसालों पर गौर करें और मसले को समझने की कोशिश करें। एक साथी ने फेसबुक पर झकझोरते हुए लिखा - की-पैड पर अंग्रेजी में अक्षरो से हिंदी लिखने का दर्द, मेले में मां की अंगुलियों से छूटकर गुम जाने जैसा है। जाहिर तौर पर साथी ने हिंदी को लेकर काले अंग्रेजों के आगे हमारे नत मस्तक हो जाने की टीस नहीं झेल पाए। दर्द का बारीकी से इजहार कर डाला । साथ ही हमारी संवेदना की शिथिल पडी डोर को खिंच डाला ।MiscAlok Kumar2012-09-14T12:09:06+01:00सोशल मीडिया बदलेगा बॉलीवुड को !
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मशहूर फिल्मकार श्याम बेनेगल ने 1976 में फिल्म बनायी थी-मंथन। फिल्म का बजट करीब 12 लाख था। ‘मंथन’ गुजरात डेयरी उद्योग की सहायता से बनी थी, जिसमें पाँच लाख किसानों ने दो-दो रुपए का योगदान दिया था। बूंद-बूंद कर घड़ा भरा और एक महान फिल्म का जन्म हुआ। सहकारिता के फॉर्मूले पर बनी ‘मंथन’ के प्रयोग को सोशल नेटवर्किंग साइट के जरिए अब नए सिरे से अपनाया जा रहा है।MiscPiyush Pandey2012-08-03T12:59:32+01:00अकेले इंसान की ताकत कम नहीं
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मैं अकेला क्या कर सकता हूं? एक अरब बीस करोड़ की आबादी में मैं तो बस एक हूं। अगर मैं बदल भी जाता हूं, तो इससे क्या फर्क पड़ेगा? बाकी का क्या होगा? सबको कौन बदलेगा? पहले सबको बदलो, फिर मैं भी बदल जाऊंगा।MiscAamir Khan2012-07-30T12:06:44+01:00राजेश खन्ना को जीना आसान नहीं !
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छोटे पर्दे पर बड़ा पर्दा छा जाये ऐसा होता नहीं है। लेकिन 70 के दशक के सुपरस्टार की मौत ने छोटे पर्दे का चरित्र 48 घंटे के लिये बदल दिया।MiscPunya Prasun Bajpai2012-07-24T12:08:14+01:00पानी की कमी के खतरे
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जब मानव अंतरिक्ष के बाहर जीवन के लक्षणों की तलाश करता है तो सबसे पहले क्या देखता है? वह देखता है जल का अस्तित्व। किसी भी ग्रह में जल की उपस्थिति से यह संकेत मिलता है कि वहां जीवन संभव है।MiscAamir Khan2012-07-23T12:10:19+01:00पुष्पाओं की तरफ से (व्यंग्य)
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राजेश खन्नाजी काका चले गये। श्रद्धांजलियां सभी की हैं। पर मैं दिल पे हाथ रखकर कहता हूं कि दिल से, दिल के बहुत ही गहरे कोने से निकली आह से बिंधी हुई आत्मीय श्रद्धांजलियां सिर्फ उन आदरणीयाओं की हैं, जिनकी उम्र अभी करीब साठ से पैंसठ के बीच की है।MiscAlok Puranik2012-07-21T14:27:53+01:00