इस प्राब्लम से वो सालों से जूझ रहे थे, लेकिन अरसे तक वो इसे प्राब्लम मानते ही नहीं थे। और इस प्राब्लम का रामवाण इलाज बस एक ही था, वो था साइलेंसर और ये कोई गाड़ी या रिवॉल्वर से जुड़ा मामला तो था नहीं कि साइलेंसर फिट हो जाए। वैसे भी जब तक वो पार्लियामेंट के मेम्बर नहीं बने थे, तब तक ये समस्या लगती ही नहीं थी। लेकिन एक दिन पार्लियामेंट में जब बगल के साउथ इंडियन ने आवाज सुनकर बुरी तरह उनकी तरफ मुंह बनाया तो नेताजी का मूड ऑफ हो गया। साले क्या जुपिटर से आये हैं, क्या इनको नहीं आता है? इससे अच्छी तो अपनी जिला परिषद थी, बीच भाषण में रुककर भी दो मिनट तक क्रिया चलती थी तो भी लोग उसे नॉर्मल ही लेते थे। यहां तो बिना आवाज भी करने की कोशिश करो तो भी सालों की नाक में लगा डीआरडीओ का सेंसर एक्टिव हो जाता है। भाड़ में जाएं सब के सब..। आखिर कितनी बार वो ब्रेक पर जा सकते हैं भला..! उठते ही मीरा मैडम कह देती हैं..बैठ जाइए, लगता है हमें ही बोल रही हैं। सो इत्ती बार उठने में शरम लगती है। ऐसे में धोनी का एक एड देखा पेटेरिया वाला। उसको भी लेकर देखा, जरूर धोनी ने खुद नहीं आजमाया होगा। फिर तो दवाइयों से भरोसा ही उठ गया।
वैद्यजी ने ईसबगोल की भुसी दी, दही में मिलाकर खाया। पर सब फेल। एक दिन कई सांसद ‘थ्री ईडियट’ देखने गए तो चतुर से ज्यादा हिंदी नेताजी की हो गई। जैसे ही चतुर साइलेंसर ने अपना श्लोक शुरू किया- “उत्तमम पादम..दद्दात पादम, मध्यमम पादम धुचुक धुचक....” डीएमके का वही सांसद नेताजी की तरफ अपने साथी को इशारा कर मुस्कराने लगा। नेताजी की तो फुक गई, सुलग गई। लगा अब तो कुछ करना पड़ेगा। गुस्सा आ गई पार्लियामेंट पर, अभी तो खत्म हुआ था विंटर सैशन, 2-3 महीने में ही बजट सैशन शुरू कर दिया। क्या और कोई काम धाम नहीं है इनके पास? और दुनियां भर के गरीब, मजदूर, दलितों, अबलाओं को आजादी के साथ काम करने की लम्बी लम्बी बातें करते हैं और आदमी के नेचुरल प्रोसेस पूरा करने की आजादी पर मुंह बनाते हैं। क्या अपना मामला स्टोर करके रख लेते हैं? एक दिन फट जाएंगे ससुरे...! कितना कंट्रोल करे कोई भाई, अब तो बासी रोटियां भी कलेवे में लेना बंद कर दिया है और अरहर की दाल खाना भी। सेंट भी सब जगह छिड़क कर आते हैं। पर कोई ना कोई नुस्खा तो ईजाद करना ही पड़ेगा।
आखिर मन नहीं माना तो अपने ही इलाके के पांच टाइम के एमपी के घर पैरी पॉना करने चले गए। एमपी साहब भी खुश कि चलो अब भी खुद को चेला ही मानता है, मौका देखकर मारा चौका। पूछ ही लिया, आखिर आप कैसे निपटते थे संसद में ऐसी विकट स्थिति से? अरे इसमें क्या है, फौरन बोले वेटरन महोदय, जैसे ही किसी मुद्दे पर शोर मचे, तुम भी मचाना शुरु कर दो, और इसी शोरशराबे में लांच कर दो। सारे लोग इसी वक्त लीक करना पसंद करते हैं भाई, साला कोई शक भी नहीं करता, एक टाइम में आदमी विरोध का शोर करेगा कि कुछ और? और जब मामला ज्यादा प्रेशर और बिना शोर शराबे के माहोल का हो तो तुम खुद उठ कर बना दो। नेताजी को पता चला कि संसद में इतना शोर-शराबा क्यों होता है. और उनके चेहरे की रौनक बता रही थी कि उन्हें कश्मीर समस्या का भी सर्वमान्य हल मिल गया था…!
Know when the festival of colors, Holi, is being observed in 2020 and read its mythological significance. Find out Holi puja muhurat and rituals to follow.
मकर संक्रांति 2020 में 15 जनवरी को पूरे भारत वर्ष में मनाया जाएगा। जानें इस त्योहार का धार्मिक महत्व, मान्यताएं और इसे मनाने का तरीका।