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मुश्किल होगा रिएलिटी शो का अगला दौर

रिएलिटी शो का मंच सजा है। एक शख्स का नाम पुकारा जाता है। वो शख्स मंच की तरफ कदम बढ़ाता ही है कि एंकर के साथ बैठी महिला जोर-जोर से चिल्लाने लगती है- ये आदमी मेरे बच्चे का बाप नहीं हो सकता। दर्शकों में अजीब बेचैनी है कि आखिर हॉट सीट पर बैठी महिला के बच्चे का असली पिता कौन है क्योंकि सामने बैठे पांच लोगों में अब छठा नाम भी जुड़ गया है। ये नज़ारा है अमेरिका के एनबीसी टेलीविजन पर 11 सीजन तक लोकप्रियता के झंडे गाढ़ चुके रिएलिटी शो ‘द मॉरी शो-यू आर नॉट माई फादर’ का।
 
इस कार्यक्रम का जिक्र इसलिए क्योंकि मुमकिन है कि आने वाले वक्त में भारतीय दर्शक भी ऐसे किसी शो से रुबरु हों। दरअसल, ‘सच का सामना’ को लेकर हुई बहस के बीच एक बात साफ हो गई है कि इंटरटेनमेंट चैनलों पर रिएलिटी शो नयी राह पर चल पड़े हैं। राखी का स्वयंवर से लेकर इस जंगल से मुझे बचाओ और सच का सामना-सभी इस बात की तस्दीक कर रहे हैं। अश्लीलता-नैतिकता की बहस बेमानी होने लगी है, क्योंकि इन कार्यक्रमों के पक्ष में खड़े टेलीविजन चैनलों के पास दो मजबूत तर्क हैं। एक-भारतीय टेलीविजन दर्शक अब मैच्योर हो गये हैं। दूसरा-उनके हाथ में रिमोट कंट्रोल है।
 
वैसे, ये कहना अभी जल्दबाजी है कि भारतीय चैनलों पर आने वाले रिएलिटी शो बिलकुल अमेरिकी रंग में रंगे होंगे या नहीं-लेकिन ऐसा न मानने के ज्यादा कारण नहीं है। आखिर, अभी तक नकल का फंडा सफल रहा है। कौन बनेगा करोड़पति, इंडियन आइडल, क्या आप पांचवी पास हैं, राखी का स्वयंवर, खतरों के खिलाड़ी, इस जंगल से मुझे बचाओ और सच का सामना तक ज्यादातर रिएलिटी शो अमेरिकी कार्यक्रमों की कॉपी हैं। या यूं कहें कि सिर्फ भाषा बदली हुई है क्योंकि शो के प्रोड्यूसरों ने सभी के राइट्स खरीदे हैं। ये सभी रिएलिटी शो मनोरंजन चैनलों के लिए टीआरपी की संजीवनी लेकर आते रहे हैं। इनकी खासियत, लोकप्रियता और विवाद सब टीआरपी खेंचू रहे हैं। ऐसे में, अमेरिका-ब्रिटेन के सभी चर्चित रिएलिटी शो को देर-सबेर भारतीय टेलीविजन चैनलों पर आना ही है।
 
फिर, भारतीय टेलीविजन बाजार की इकनॉमिक्स भी इन नए एक्सपेरीमंट्स के लिए ज़मीन तैयार करेगी। इंडियन चैनलों को फिलहाल विज्ञापनों से 8,200 करोड़ रुपए सालाना मिलते हैं। ये आंकड़ा अगले छह साल में 15 हजार करोड़ के पार जाने का अनुमान है। इस बड़े बाजार में हिस्सा बटोरने के लिए टीआरपी लाना जरुरी है, और रिएलिटी शो टीआरपी लाने में कामयाब रहे हैं। कई मौकों पर इन्होंने चैनलों को स्थापित करने में भी भूमिका निभायी है। आलम ये अमिताभ-शाहरुख-सलमान से लेकर तमाम बड़े सितारे रिएलिटी शो के जरिए छोटे पर्दे पर कदम रख चुके हैं। एक डांस रिएलिटी शो में माधुरी-एश्वर्या के भी जज बनने की खबर है।
 
लेकिन, बात उन रिएलिटी शो की है, जिनका कंटेंट पश्चिमी देशों में दर्शकों के गले से सहजता से उतर जाता है, हमारे यहां नहीं। देश के 90 फीसदी घरों में टेलीविजन सैट भले पहुंच चुका है, लेकिन केबल और सेटेलाइट टीवी अभी भी सिर्फ 7.50 करोड़ घरों तक पहुंचा है। सेटेलाइट चैनल देखने वाले इन घरों की आधुनिकता को समूचे देशवासियों के मानस से जोड़ना ठीक नहीं है। जिन घरों में ‘सच का सामना’ जैसे रिएलिटी शो देखे भी जा रहे हैं, अभी वो भी पश्चिमी संस्कृति के खुलेपन के लिए पूरी तरह तैयार नहीं है। अगर ऐसा होता तो गाज़ियाबाद में एक पति अपनी पत्नी के साथ ‘सच का सामना’ खेलने के बाद फांसी पर न झूल जाता !
 
डर यही ही है कि समाज की कुछ खिड़कियां तेजी से खुल रही हैं,जबकि कुछ पूरी तरह बंद हैं। इस बीच, टीआरपी की जंग में नया करने को बेताब चैनल लगातार अमेरिकी कार्यक्रमों की नकल कर रहे हैं। इस कड़ी में चर्चित अमेरिकी-ब्रिटिश शो ‘वाइफ स्वैपिंग’ भी भारत पहुंच सकता है, तो द मॉरी का देशी संस्करण भी। ‘वाइफ स्वैपिंग’ में दो परिवारों के बीच पत्नियों की अदला-बदली होती है। हालांकि, पत्नियां पर-पुरुषों के साथ हमबिस्तर नहीं होतीं, लेकिन एक हफ्ते तक बिलकुल अलग रहन-सहन वाले परिवार में दिन गुजारती हैं। द मॉरी शो में महिलाएं डीएनए टेस्ट के जरिए अपने बच्चे के असली पिता का पता लगाती हैं। ऐसे विवादास्पद शो की लंबी लिस्ट है। सवाल यही-क्या भारतीय दर्शक अभी इनके लिए तैयार है ?
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