7 जून 2012
नई दिल्ली। मध्य प्रदेश की स्कूल शिक्षा मंत्री अर्चना चिटनिस ने यहां बुधवार को कहा कि सबको शिक्षा का अधिकार तथा नि:शुल्क अनिवार्य शिक्षा 2013 तक पूरे देश में लागू करना संसाधनों के अभाव में सम्भव नहीं है। अगर संसाधन नहीं तो शिक्षा का अधिकार बेमानी है। यहां आयोजित केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड की 59वीं बैठक में उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार या तो राज्यों को शिक्षा के क्षेत्र में अधिक संसाधन उपलब्ध कराए या सबको शिक्षा का अधिकार देने की अवधि को 2013 से आगे बढ़ाया जाए।
बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने की। बैठक में विभिन्न राज्यों के शिक्षा मंत्रियों सहित बोर्ड के सदस्यों ने अपने विचार रखे।
चिटनिस ने बताया कि मध्य प्रदेश में स्कूल शिक्षा का बजट लगभग 12 हजार करोड़ रुपये है और शिक्षा के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत 65:35 के अनुपात के अनुसार केंद्र सरकार को कुल बजट का 35 प्रतिशत राज्य को देना चाहिए जबकि मध्य प्रदेश को इस वर्ष केवल 2800 करोड़ रुपये की सहायता राशि प्राप्त हुई है जो कुल बजट का सिर्फ 24 प्रतिशत है।
उन्होंने कहा कि इस योजना 25 प्रतिशत खर्च केंद्र सरकार को वहन करना है जो कि नहीं किया गया। इसी प्रकार शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए पहले केंद्र सरकार खर्च की जाने वाली राशि का 100 प्रतिशत अनुदान देती थी जिसको घटाकर 75 प्रतिशत कर दिया गया है।
चिटनिस ने देश में सभी शिक्षकों के लिए एक समान वेतन निर्धारण करने की वकालत की और कहा कि वेतन का 50 प्रतिशत केंद्र सरकार वहन करे। उन्होंने शिक्षा के अधिकार में राष्ट्रीयता और प्रकृति से जुड़े मुद्दों को भी पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग की।
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