14 जून 2012
सिडनी। वैज्ञानिकों ने चंद्रमा की ऊपरी कठोर चट्टानी सतह के बुलबुलों में नैनोपार्टिकल होने की पुष्टि की है, जिससे इसकी मिट्टी की असामान्य खूबियों का रहस्य सुलझाने में मदद मिल सकती है। चंद्रमा की ऊपरी सतह की मिट्टी की असामान्य खूबियां लंबे समय से वैज्ञानिकों के लिए रहस्य रही हैं। आस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी में विज्ञान एवं अभियांत्रिक संकाय के शोधकर्ता मारेक ज्बिक ने चंद्रमा की म्रिटी के ग्लास बबल्स (बुलबुलों) में नैनोपार्टिकल होने की पुष्टि की है। वे चंद्रमा की चट्टानी मिट्टी के टुकड़ों को बिना तोड़े अध्ययन करने के लिए इसके नमूनों को ताइवान ले गए। उन्होंने इसके अध्ययन के लिए सिंक्रोट्रोन आधारित नैनो टोमोग्राफी नामक नई तकनीकी का इस्तेमाल किया। नैनो टोमोग्राफी एक ऐसी ट्रांसमिशन एक्स-रे सूक्ष्मदर्शी है, जो सूक्ष्मतम नैनोपार्टिकल की त्रिविमय छवियों के अध्ययन में मददगार है।
उन्होंने कहा कि चंद्रमा की ऊपरी परत की मिट्टी की खूबियां असामान्य रही हैं जो वैज्ञानिकों को चक्कर में डालती रही हैं। वे कहते हैं, "हमने इस सूक्ष्मदर्शी से जो भी देखा वह हैरान करने वाला था। हमने सोचा था कि धरती पर निर्मित होने वाले बुलबुलों की तरह ही चंद्रमा के इन बुलबुलों में सिर्फ गैस और भाप होगा, पर हमारा आकलन गलत निकला। चंद्रमा के बुलबुलों में नैनोपार्टिकल की उपस्थिति ही इसकी मिट्टी के असामान्य भौतिक और रासायनिक व्यवहार का कारण है।"
उन्होंने कहा कि लगता है कि ऐसे ग्लास बबल्स का निर्माण चंद्रमा की पिघली हुई चट्टानों में तब होता है जब उल्का पिंड चंद्रमा की सतह से टकराते हैं। सतह पर इन उल्का पिंडों की बौछार से गैस वाले बुलबुलों के निर्माण की गुंजाइश खत्म हो जाती है। उन्होंने कहा कि क्वांटम भौतिकी में नैनोपार्टिकल का व्यवहार असामान्य रहा है। नैनोपार्टिकल अतिसूक्ष्म होते हैं और उनके असामान्य व्यवहार की वजह उनका आकार है। इसी के कारण चंद्रमा की सतह रासायनिक रूप से अति सक्रिय होती है और इसकी ताप सुचालकता भी काफी कम होती है।
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