8 मई 2012
नई दिल्ली। जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि पत्रकारों को सही मायने में नारद बनना चाहिए। नारद मुनि विचारक थे और प्रचारक भी। पत्रकारों का भी यही काम है कि उन्हें विचार भी व्यक्त करने चाहिए और जो समाज कल्याण की बातें हैं उनका प्रचार भी करना चाहिए। स्वामी मंगलवार को यहां के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में देवर्षि नारद जयंती के अवसर पर इंद्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्र की ओर से पत्रकार सम्मान दिवस समरोह को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि देश के लिए कार्य करने वालों की मंशा अच्छी होनी चाहिए और मंशा में आत्मसम्मान होना चाहिए।
स्वामी ने कहा कि हिंदी में संस्कृत के शब्दों का अधिकाधिक प्रयोग होना चाहिए। इससे हिंदी का सम्पूर्ण भारत में विस्तार होगा, क्योंकि दक्षिण भारत की भाषाओं में संस्कृत के शब्द अधिक हैं। तमिल में 41 प्रतिशत शब्द संस्कृत के हैं, कन्नड़ में 65 प्रतिशत, मलयालम में 90 प्रतिशत और बांग्ला में 85 प्रतिशत संस्कृत के शब्द हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार ने कहा कि नारद जी ब्रह्माण्ड के प्रथम पत्रकार थे इसलिए पत्रकारिता से संबंधित सभी व्यक्तियों को उनका जन्मदिन पत्रकार दिवस के रूप में मनाना चाहिए। हम मदर डे, फादर डे, वैलेन्टाईन जैसे आधारहीन दिवस मनाते हैं जिनकी कोई उपयोगिता नहीं है।
समारोह में पत्रकारिता क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए पीटीवी के श्रीपाल शक्तावत एवं 'कादम्बनी' के मुख्य कॉपी संपादक संत समीर को सम्मानित किया गया।
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