2 अप्रैल 2012
सिडनी | वैज्ञानिकों ने 100 साल पुरानी इस धारणा को खारिज कर दिया है कि पृथ्वी की रासायनिक संरचना सूर्य के समान है।
द आस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के रिसर्च स्कूल ऑफ अर्थ साइंसेस में प्रोफेसर और अध्ययन के सह लेखक, ह्यूग ओ नील ने कहा है, "यह सिद्धांत इस विचार पर आधारित है कि सौर मंडल में सामान्यतौर पर समान रचना है।"
ओ नील ने कहा, "चूंकि सूर्य में 99 प्रतिशत सौर मंडल है, लिहाजा यह सूर्य की रचना है।"
'नेचर' पत्रिका में प्रकाशित रपट में कहा गया है कि चूंकि कठोर उल्का पिंडों की रासायनिक रचना का पता लगाना अपेक्षाकृत आसान है, लिहाजा भूवैज्ञानिक सूर्य की रचना, और पृथ्वी की रचना के बारे में अधिक सूक्ष्म जानकारी हासिल करने के लिए इनका लम्बे समय से उपयोग करते रहे हैं।
विश्वविद्यालय द्वारा जारी एक बयान में के अनुसार, इससे वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला है कि पृथ्वी की रचना कठोर है।
रिसर्च स्कूल ऑफ अर्थ साइंसेस के प्रोफेसर और अध्ययन के सह लेखक, इयान कैम्पबेल ने कहा है, "हाल के अविष्कारों से पता चला है कि पृथ्वी की ज्वालामुखीय चट्टानों में दो दुर्लभ मृदा तत्वों का अनुपात कठोर उल्का पिंडों से अधिक है।"
कैम्पबेल ने पृथ्वी के गर्भ की सीमा से उगने वाली गरम चट्टान की परतों का 20 वर्षो तक अध्ययन किया। चट्टानों के उगने की यह प्रक्रिया पृथ्वी के गर्भ से गर्मी हटाती है।
कैम्पबेल ने कहा है, "गरम चट्टान की परतें हालांकि इतनी गर्मी बाहर नहीं निकालती कि पृथ्वी के गर्भ की गर्मी पूरी तरह समाप्त हो जाए। इसके कारण पृथ्वी की रचना उल्का पिंडों या सूर्य जैसी नहीं है।"
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