Khabar RSS Feed
Subscribe Magazine on email:    

'अच्छा तो हम चलते हैं..' (श्रद्धांजलि)

so here we go tribute

18 जुलाई 2012

नई दिल्ली। हिन्दी सिनेमा के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना नहीं रहे। 'अच्छा तो हम चलते हैं..' कहते हुए उन्होंने अंतिम विदाई ले ली, लेकिन प्रशंसकों के दिलों पर वह हमेशा छाए रहेंगे। उन्होंने लोकप्रियता की चकाचौंध से अकेलेपन तक का सफर तय किया और अंतत: चुपचाप दुनिया का साथ छोड़ गए और इसके साथ ही हिन्दी सिनेमा के एक युग का अंत हो गया। 'काका' के नाम से मशहूर खन्ना पिछले काफी दिनों से बीमार थे, लेकिन पिछले माह जून में अस्पताल से लौटने के बाद घर के बाहर से प्रशंसकों का अभिवादन उन्होंने उसी जोश से किया था, जो जोश फिल्म 'आनंद' में देखने को मिला था। फिल्म जिंदगी को जीने का एक नया फलसफा बताती है, जिसमें लाइलाज बीमारी से पीड़ित होने के बावजूद खन्ना का किरदार हर पल को खुशी-खुशी जीने में यकीन रखता है और आसपास के लोगों को भी खुश रखने की भरसक कोशिश करता है।
 
वर्ष 1970 के दशक में खन्ना का जादू सिर चढ़कर बोला। उन्होंने 'सफर', 'कटी पतंग', 'सच्चा झूठा', 'आन मिलो सजना', 'अमर प्रेम', 'मेरे जीवनसाथी' जैसी कई सुपरहिट फिल्में दीं, जो प्रशंसकों के दिलों पर हमेशा राज करेंगी। वर्ष 1969 में आई फिल्म 'अराधना' से लेकर 1975 में प्रदर्शित फिल्म 'प्रेम कहानी' तक खन्ना को फिल्म जगत में भगवान जैसा दर्जा प्राप्त रहा।
 
खन्ना के करिश्माई व्यक्तित्व बारे में कभी अमिताभ बच्चन ने कहा था, "मैं लोकप्रिय इसलिए हुआ, क्योंकि मैंने उनके साथ फिल्म 'आनंद' में काम कर रहा था।"
 
खन्ना का जन्म पंजाब के अमृतसर में 29 दिसम्बर, 1942 को हुआ था। एक रिश्तेदार ने उन्हें गोद लिया था और उन्होंने ही उनका लालन-पालन किया। परिवार वालों ने उन्हें जतिन अरोड़ा नाम दिया था, लेकिन जब वह फिल्म जगत से जुड़े तो राजेश खन्ना के रूप में उन्हें एक नया नाम और नई पहचान मिली। अपने फिल्मी करियर की शुरुआत उन्होंने फिल्म 'आखिरी रात' से वर्ष 1966 में की थी।
 

खन्ना पर फिल्माए गए 'मेरे सपनों की रानी..' (अराधना), 'जिंदगी एक सफर..' (अंदाज), 'ये शाम मस्तानी..' (कटी पतंग) जैसे गीत लोगों के जेहन में हमेशा गूंजते रहेंगे। उन फिल्माए गए अधिकतर गानों को किशोर कुमार ने आवाज दी, जबकि इनमें संगीत आर. डी. बर्मन ने दिया। रुपहले पर्दे पर मुमताज के साथ उनकी जोड़ी को दर्शकों ने खूब पसंद किया।

अपने करीब चार दशक के करियर में उन्होंने 160 फिल्में की। इनमें से 106 फिल्मों में वह एकल प्रमुख अभिनेता के रूप में नजर आए जबकि केवल 22 फिल्मों में दूसरे अभिनेता भी रहे।

वक्त हालांकि कहां कभी एक सा रहता है। उम्र ढलने के साथ-साथ खन्ना भी रुपहले पर्दे और समाचार-पत्रों की सुर्खियों से गायब होते चले गए। फिल्मों से दूरी होने पर उन्होंने टेलीविजन का रुख किया। वर्ष 2001-02 के दौरान उन्होंने 'इत्तेफाक', 'अपने पराए' जैसे दो टेलीविजन धारावाहिक में भी मुख्य भूमिका निभाई।

खन्ना राजनीति में भी रहे। वर्ष 1991-1996 के बीच वह नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस के सांसद रहे।

खन्ना की निजी जिंदगी में भी कई उतार-चढ़ाव आए। काका को उम्र में अपने से 15 साल छोटी डिम्पल कपाड़िया से प्रेम हो गया, जिनकी पहली फिल्म 'बॉबी' अभी प्रदर्शित भी नहीं हुई थी। वर्ष 1973 में दोनों विवाह बंधन में बंध गए, लेकिन यह शादी अधिक समय तक नहीं चल सकी।
 

काका और डिम्पल के बीच हालांकि तलाक नहीं हुआ, लेकिन करीब 11 साल बाद उनका अलगाव हो गया। आखिरी वक्त में हालांकि डिम्पल उनके साथ रहीं और अस्पताल से लेकर घर तक तक उनकी देखभाल की। उनकी दो बेटियां- ट्विंकल और रिंकी खन्ना तथा दामाद अक्षय कुमार भी लगातार साथ बने रहे।


 

More from: Khabar
31914

ज्योतिष लेख

मकर संक्रांति 2020 में 15 जनवरी को पूरे भारत वर्ष में मनाया जाएगा। जानें इस त्योहार का धार्मिक महत्व, मान्यताएं और इसे मनाने का तरीका।

Holi 2020 (होली 2020) दिनांक और शुभ मुहूर्त तुला राशिफल 2020 - Tula Rashifal 2020 | तुला राशि 2020 सिंह राशिफल 2020 - Singh Rashifal 2020 | Singh Rashi 2020