13 दिसम्बर 2011
मुम्बई| देश की मुद्रा रुपये के मूल्य में मंगलवार को भी गिरावट जारी रही। मंगलवार को रुपया एक डॉलर के मुकाबले 53.29 रुपये के ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंच गया। रुपये के अवमूल्यन से तेल का आयात और महंगा हो सकता है और तेल विपणन कम्पनियां पेट्रोल की कीमत बढ़ाने के लिए बाध्य हो सकती हैं।
अंतरबैंक विदेशी विनिमय में रुपया मंगलवार को डॉलर के मुकाबले 53.10 के स्तर पर खुला। पिछले दिन यह डॉलर के मुकाबले 52.84/85 पर बंद हुआ था।
शेयर बाजारों में गिरावट के सिलसिले के बीच विदेशी निवेशकों द्वारा की जा रही बिकवाली के कारण भी डॉलर की मांग में वृद्धि हो रही है और रुपये के मूल्य में गिरावट हो रही है।
पिछले चार महीनों में रुपये के मूल्य में 16 फीसदी की गिरावट हो चुकी है।
रुपये के मूल्य में इस गिरावट के साथ ही देश की नजरें भारतीय रिजर्व बैंक पर टिक गई हैं कि क्या वह फिर रुपये को सम्भालने के लिए बाजार में हस्तक्षेप करेगा। रिजर्व बैंक के आंकड़े के मुताबिक बैंक ने रुपये के मूल्य को सम्भालने के लिए सितम्बर और अक्टूबर में क्रमश: 84.5 करोड़ डॉलर और 94.3 करोड़ डॉलर की बिकवाली की थी।
इन दोनों ही महीनों में बैंक ने एक भी डॉलर नहीं खरीदा।
विश्लेषकों के मुताबिक रुपये पर दबाव आगे कुछ और समय तक बना रहेगा, क्योंकि देश का चालू खाता घाटा अप्रैल-जून तिमाही में पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में बढ़कर 14.1 अरब डॉलर हो गया है।
मौजूदा कारोबारी साल में चालू खाता घाटा 54 अरब डॉलर रहने का अनुमान है।
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