14 दिसम्बर 2011
सिडनी| लाल तारों के नाम से मशहूर पुराने तारे बताते हैं कि पांच अरब साल बाद सूर्य कैसा दिखेगा। सूर्य की बाहरी परत का विस्तार हो जाएगा और यह ठंडी हो गई होगी, इसलिए यह लाल दिखाई देगी। जबकि इसका मध्य भाग अत्यधिक गर्म व घना हो जाएगा।
सिडनी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर द्वय, टिम बेडिंग व डेनिस स्टेलो और उनके साथियों ने अपने शोध के बाद बताया है कि लाल तारे बाहर की ओर ठंडे होकर शांत पड़ जाते हैं, जबकि उनका मध्य भाग, यानी कोर, बाहरी परतों के मुकाबले कम से कम 10 गुना तीव्र गति से चक्कर काटता है।
'नेचर' पत्रिका के मुताबिक पांच अरब साल बाद जब सूर्य लाल तारे में तब्दील हो जाएगा, तब वह भी ऐसा ही दिखेगा।
विश्वविद्यालय द्वारा जारी वक्तव्य के मुताबिक बेडिंग कहते हैं, "तारे के मध्य का हिस्सा बताता है कि उसकी उत्पत्ति कैसे हुई। इससे हमें यह भी बता चलता है कि वह कैसे घूमता है। इससे यह समझने में मदद मिलती है कि सूर्य जैसे तारे कैसे पुराने होते हैं।"
शोधकर्ताओं ने नासा के केपलर अंतरिक्ष टेलिस्कोप का इस्तेमाल करते हुए बूढ़े होते लाल तारों में उनके मध्य भाग (कोर) की परतों व बाहरी हिस्से की परतों की चक्रण दर में अंतर पाया।
बेल्जियम के ल्यूवेन विश्वविद्यालय में पॉल बेक के नेतृत्व में एक दल ने तारों के अंदर उठने वाली तरंगों का विश्लेषण किया। इन तरंगों के चलते सितारों की सतह पर चमक में लयबद्ध बदलाव देखा गया।
वैज्ञानिकों को अपनी इस खोज के लिए केपलर उपग्रह से आंकड़े इकट्ठे करने में लगभग दो साल का समय लगा।
स्टेलो ने बताया, "लाल तारे कभी हमारे सूर्य जैसे तारे थे लेकिन जैसे-जैसे उनकी उम्र बढ़ी तो उनके पुराने होने के साथ उनकी बाहरी परतों में उनके मूल आकार की तुलमा में पांच गुना विस्तार हुआ और वे ठंडा भी हुए, इसलिए ये तारे लाल दिखने लगे।"
स्टेलो ने कहा, "तारों के मध्य भाग (कोर) में इसके विपरीत प्रभाव देखा गया। बीच का हिस्सा सिकुड़ा और बहुत ज्यादा गर्म व घना हो गया।"
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