22 मई 2012
वाशिंगटन । समय पूर्व जन्मे बच्चों को कई स्वास्थ्यगत परेशानियों का सामना करना पड़ता है और लम्बे समय तक अस्पताल में रहना पड़ता है। यही नहीं आगे के जीवन में भी उनके स्वास्थ्य पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। ऐसे बच्चों को स्तनपान करने में परेशानी होती है लेकिन अब ऐसी संगीत युक्ति खोज ली गई है, जिससे उन्हें स्तनपान सिखाने में मदद मिलेगी।
फ्लोरिडा स्टेट यूनीवर्सिटी ने दुनियाभर के अस्पतालों की मदद के लिए उसके पास एक 'पेसीफायर एक्टिवेटेड ललबाय' (पीएएल) युक्ति के होने की घोषणा की है।
पीएएल युक्ति में बच्चों को स्तनपान के लिए आवश्यक मांसपेशीय गति सिखाने में मदद मिलेगी। इसमें बच्चों के लिए गीत-संगीत का इस्तेमाल किया गया है। पॉवर्स डिवाइस टेक्नोलॉजीज इंक. रिसर्च स्टडीज की भागीदारी से यह युक्ति बेची जा रही है। पीएएल से समय पूर्व जन्मे नवजातों के अस्पताल में रहने के समय को औसतन पांच दिन तक घटाया जा सकता है।
फ्लोरिडा में संगीत उपचार की प्रोफेसर व पीएएल की आविष्कारक जेनी स्टेंडले कहती हैं, "सही समय पर जन्म लेने वाले बच्चों की तुलना में समय पूर्व पैदा होने वाले बच्चों में मुंह से भोजन ग्रहण करने के लिए स्तनपान, निगलने अथवा सांस लेने के लिए तंत्रिकाओं के साथ समन्वय की कमी होती है।"
स्टेंडले ने कहा, "ऐसे बच्चों को भोजन ग्रहण करने का आवश्यक कौशल सीखने में समय लगता है और वे विकास में पिछड़ जाते हैं। पीएएल में इस्तेमाल संगीत तकनीक ऐसे बच्चों को जल्द भोजन ग्रहण करना सीखने में मदद करती है और इससे उन्हें अस्पताल से जल्दी छुट्टी भी मिल जाती है।"
पीएएल में एक पेसीफायर (प्रशामक) व स्पीकर होता है। इसके जरिए हर बार नवजात के सही ढंग से स्तनपान करने के लिए उसकी मदद की जाती है। पीएएल की संगीतमय लोरियां बच्चों को सुखद लगती हैं, वे स्तनपान जारी रखना चाहते हैं ताकि इस संगीत को अधिक समय तक सुना जा सके।
तालाहेसी मेमोरियल अस्पताल (टीएमएच) की स्टेंडले, एथेंस के जार्जिया अस्पताल विश्वविद्यालय, चैपल हिल के नॉर्थ कैरोलिना मेडीकल इंटर विश्वविद्यालय, बेटन रोग्यू के वूमेंस एंड चिल्ड्रंस अस्पताल ने अपने अध्ययन में बताया कि स्तनपान के लिए संगीत के जरिए प्रेरित किए गए बच्चों में इस तरह प्रेरित न किए गए बच्चों की तुलना में चूसने की दर 2.5 गुना तक बढ़ गई।
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