29 अप्रैल 2011
नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने दुराचरण, भ्रष्टाचार और जमीन पर अवैध कब्जे के आरोप झेल रहे सिक्किम उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पी. डी. दिनाकरन के खिलाफ न्यायाधीशों की जांच समिति द्वारा की जा रही जांच पर शुक्रवार को रोक लगा दी।
न्यायमूर्ति एच. एस. बेदी और न्यायमूर्ति सी. के. प्रसाद की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की खंडपीठ ने न्यायमूर्ति दिनाकरन द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी करते हुए वरिष्ठ वकील पी. पी. राव सहित अन्य पक्षों को जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय दिया।
न्यायमूर्ति दिनकरन की दलील थी कि राव ने राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील को भेजे गए ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं जिसमें सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश पद पर उनकी पदोन्नति का विरोध किया गया है, ऐसे में राव के न्यायाधीश जांच समिति में शामिल होने से पक्षपात हो सकता है।
दिनकरन की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील ए. सरन ने कहा कि पक्षपात होने की आशंका जांच प्रक्रिया रोकने के लिए पर्याप्त कारण है।
14 दिसम्बर 2009 को न्यायमूर्ति दिनाकरन को हटाने और उनके खिलाफ महाभियोग चलाने का प्रस्ताव लाए जाने के बाद राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी ने तीन सदस्यीय न्यायाधीश जांच समिति का गठन किया था।
इस समिति में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति आफताब आलम, कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति जी. एस. खेहर और राव शामिल हैं।
यह जांच प्रक्रिया राज्यसभा में लाए गए महाभियोग प्रस्ताव से सम्बंधित है।
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