31 मई 2012
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने शासन व्यवस्था में पारदर्शिता लाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग पर जोर देते हुए बताया कि प्रदेश में खनन पट्टों के आवंटन में ई-टेंडरिंग को अनिवार्य कर दिया। प्रदेश के अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त अनिल कुमार श्रीवास्तव ने संवाददाताओं को बताया कि खनन पट्टों के आवंटन में लगातार खनन माफियों के भ्रष्टाचार की लगातार शिकायतें मिल रही थीं। इसलिए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने स्वयं पहल करते हुए इस क्षेत्र में सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग कर आवंटन प्रक्रिया पारदर्शी एवं न्यायोचित बनाने का निर्देश दिया है।
उन्होंने बताया कि नए प्रावधान के अनुसार पांच हेक्टेयर से अधिक भूमि के खननपट्टा धारक को स्वयं पर्यावरणीय स्वीकृति प्राप्त करनी होगी।
श्रीवास्तव ने बताया कि उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रॉनिक्स कार्पोरेशन लिमेटड ई-टेंडर प्रणाली लागू करेगा, जिसके अंतर्गत पंजीकरण, निविदा जमा करना, उनको खोलना व मूल्यांकन सहित आवंटन की सम्पूर्ण निविदा प्रक्रिया पारदर्शी रूप से ऑनलाइन होगी।
उल्लेखनीय है कि राज्य में अभी तक खनन पट्टों का आवंटन पहले 'आओ और पहले पाओ' की नीति से जिलाधिकारी कर रहे थे।
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