4 जुलाई 2012
भोपाल। मध्य प्रदेश में इस समय औद्योगिक क्रांति का दौर चल रहा है। सरकार के आंकड़ों से तो ऐसा ही लगता है, क्योंकि प्रदेश में हर रोज 54 उद्योग स्थापित किए जाने का दावा किया जा रहा है। यह बात दीगर है कि हर उद्योग में औसतन दो से तीन लोगों को ही रोजगार मिल पाया है।
राज्य सरकार की ओर से जारी किए गए आंकड़े बताते हैं कि बीते पांच वर्षो में 2007 से 2011 के दौरान 99 हजार 262 सूक्ष्म, लघु, मध्यम और वृहद उद्योगों की स्थापना हुई है। इस तरह इन पांच वर्षो यानी 1825 दिनों में हर रोज लगभग 54 उद्योग स्थापित किए गए हैं। इन उद्योगों पर कुल 19 हजार 386 करोड़ रुपये का पूंजी निवेश किया गया है। इन उद्योगों में कुल दो लाख 41 हजार 315 लोगों को रोजगार मिला है।
बीते पांच वर्षो में स्थापित उद्योगों में सबसे ज्यादा 99 हजार 179 सूक्ष्म और लघु स्तर के हैं। इनकी पूंजी लागत पांच करोड़ रुपये तक है। कुल 1,771 करोड़ 28 लाख 46 हजार रुपये के पूंजी निवेश के इन उद्योगों में 2 लाख 23 हजार 444 लोगों को रोजगार मिला है।
इसी तरह पांच से 10 करोड़ रुपये लागत तक के उद्योग मध्यम श्रेणी में आते हैं। विगत पांच वर्ष में इस श्रेणी के 18 उद्योग स्थापित हुए। कुल 128 करोड़ 15 लाख 95 हजार रुपये लागत के इन उद्योगों में 1, 385 लोगों को काम मिला।
राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक 10 करोड़ से अधिक पूंजी निवेश के कुल 65 वृहद उद्योग स्थापित हुए। इनमें 17 हजार 486 करोड़ 93 लाख 33 हजार रुपये का पूंजी निवेश हुआ और कुल 16 हजार 486 लोगों को रोजगार मिला।
राज्य में तीनों श्रेणी के उद्योगों के जरिए रोजगार हासिल करने वालों की संख्या को देखें तो वह महज दो लाख 41 हजार 315 है। इससे जाहिर है कि इन उद्योगों में औसत तौर पर दो से तीन लोगों को ही रोजगार मिला है। इन उद्योगों की स्थापना में सरकार ने किस तरह की रियायतें दी हैं, इस बात का खुलासा नहीं किया गया है।
यहां महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि निवेशकों को लुभाने के लिए राज्य सरकार 'इंवेस्टर्स मीट' से लेकर सेलर-बायर मीट तक आयोजित कर रही है। इन आयोजनों में लाखों करोड़ के उद्योग स्थापित करने के करार भी हुए हैं। इतना ही नहीं, विदेशी निवेशकों को लुभाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कई देशों की यात्रा तक कर चुके हैं।
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