12 जुलाई 2011
बैतूल। मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में गरीबी से तंग एक दम्पत्ति को इलाज के लिए पैसा न होने पर अपनी नवजात जुड़वा बेटियों को दान करना पड़ा है। दोनों बेटियों के माता-पिता ने 50 रुपये के स्टाम्प पेपर पर उन्हें पाढर अस्पताल को दान कर दिया है।
पिछले दिनों दो जुलाई को चूड़िया गांव के निवासी हरिराम यादव की पत्नी माया ने मिशनरी के पाढर अस्पताल में जुड़वा बेटियों को जन्म दिया। इन दोनों बेटियों के शरीर आपस में जुड़े हुए हैं। इनके हाथ, पैर, सिर ,नाक, कान, मुंह अलग-अलग हैं लेकिन शरीर सीने से पैर तक आपस में जुड़े हुए हैं।
नवजात शिशुओं के इलाज में काफी खर्च आना है और इस दम्पत्ति के पास इलाज के लिए पैसा नहीं है। उनके लिए गरीबी के चलते बेटियां पालना तो मुश्किल था ही साथ में उनके जुड़वा व आपस में जुड़े होने से नई मुसीबत आ पड़ी थी।
हरिराम व माया ने एक हलफनामा देकर दोनों बेटियों को अस्पताल को दान कर दिया है। इस हलफनामे में दोनों ने गरीबी का हवाला दिया है। दोनों बेटियां दान करने के बाद से लापता हो गए हैं।
पाढर अस्पताल के डॉ. राजीव चौधरी ने बताया है कि उन्होंने बेटियों के माता-पिता को समझाया तथा भरोसा दिलाया कि इलाज पर आने वाले खर्च का प्रबंध अस्पताल ही करेगा। साथ ही यह भी कहा गया कि वे जब चाहें बेटियों के निशुल्क इलाज के लिए अस्पताल आ सकते हैं लेकिन वे नहीं माने और दानपत्र देकर चले गए।
इन दोनों बेटियों का इलाज डॉ. रोमा अलेक्जेंडर कर रही हैं। बच्चियों के स्वास्थ्य परीक्षण का दौर जारी है। इसके बाद ही दोनों को अलग करने के लिए ऑपरेशन किया जाएगा। फिलहाल इन नवजात बच्चियों के माता पिता की भूमिका अस्पताल की नर्सें निभा रही हैं।
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