रवीन्द्र त्रिपाठी
आजकल जिधर देखो आपकी ही चर्चा है. अखबारों में तो आप छाए ही हो लेकिन टीवी चैनलों पर तो आपने धूम ही मचा दी है. आपके आंदोलन का एक बड़ा फायदा तो ये हुआ कि कई खबरिया चैनलों पर दिखाई देनेवाले ऐसे कार्यक्रम फिलहाल बंद हैं जिनको देखने के बाद रात में ठीक से नींद नहीं आती थी.
विश्वनाथ त्रिपाठी
बिहार के उत्साही साहित्यकारों ने प्रेमचंद को अपने यहाँ भाषण देने के लिए निमंत्रित किया. प्रेमचंद ने निमंत्रित करने वाले साहित्यकारों को ट्रेन से आने की तिथि और समय की सूचना दे दी.
दिलीप मंडल
‘‘सच में बड़ा चमत्कारी है अन्ना का तथाकथित आंदोलन. टी.वी. बंद करते ही गायब हो जाता है, फिर कहीं नजर नहीं आता... टी.वी. खोलते ही प्रकट हो जाता है.’’- फेंसबुक पर रितु रंजन कुमार का कमेंट.
विभास वर्मा
‘कथाक्रम’ के नये अंक (जुलाई-सितम्बर-2011) में उदय प्रकाश ने अपने साक्षात्कार में कहा है कि आलोचना की स्थिति को व्यापक अकादमिक फेल्योर के रूप में देखना चाहिए.
हृषीकेश सुलभ
हिन्दी साहित्य और रंगमंच की दुनिया में नाट्यालेखन गम्भीर विमर्श की बाट जोह रहा है. साहित्य की दुनिया ने इसे रंगमंच के खाते में डालकर मुक्ति पा ली है और रंगमंच की दुनिया आरोपों-प्रत्यारोपों में उलझी हुई है.
साजिद रशीद
भयानक बीमारी और बेरहम मौत भी शमा के चेहरे की कशिश को खत्म नहीं कर सकी... जमाल ने फ़र्श पर रखी बीवी की लाश को देखते हुए सोचा. शमा का मुर्दा जिस्म सफेद चादर से ढका हुआ था, केवल चेहरा खुला था.
परमानन्द शास्त्री
अथ नदी उद्दाम नदी के वेग से सहमे किनारों ने कहा सुनो नदी
हरिओम
यही वह घटना थी जिसके बाद छोटे ददन की निगाह फूला पर पड़ी थी. छोटे ददन अजकल पंचायत और आसपास की हर छोटी-बड़ी घटना पर बराबर नजर रखते थे