किसी प्रतियोगिता में भाग लेना हार या जीत से ज्यादा जरूरी होता है। स्पोटर्समैन स्प्रिरिट क्या होती है और कैसे नाकामयाबी आपकी सबसे अच्छी दोस्त होती है यही संदेश लेकर निर्माता राजेश जैन की फिल्म आ रही है 'ब्लू माउंटेन्स'। उनकी फिल्म और जिंदगी के अनछुए पहलुओं पर राजेश जैन से हिन्दी लोक टीम ने की खास बातचीत-
सवाल- सबसे पहले अपनी शिक्षा के बारे में कुछ बताइए?
जबाब- मैंने कोलकाता के सेंट जेवियर्स कॉलेज से सीए, आईसीडब्ल्यूए और ग्रेजुएशन की पढ़ाई की। महज 21 साल की उम्र में यह तीनों डिग्रियां मेरे पास थीं। यह सन् 1991 की बात है। उस समय भी भारत के टॉप 50 प्रतिभागियों में शामिल था। अपनी पढ़ाई खत्म करने के बाद मैं हैंडीक्रॉफ्ट एक्सपोर्ट का बिजनेस करने लग गया। अब करीब 19-20 सालों से मैं इससे जुड़ा हुआ हूं। मिनिस्ट्री ऑफ टैक्सटाइल की ओर से भी मेरे काम को काफी सराहा गया। इस क्षेत्र में भी मुझे कई राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुके हैं।
सवाल- आपके सामने फाइनेंस के क्षेत्र में एक उज्ज्वल करियर था, तो फिर फिल्मों की ओर रुझान कैसे हो गया?
जबाब- यह एक बड़ी दिलचस्प कहानी है। मैं इस बारे में जरा विस्तार से बताना चाहूंगा। बचपन से ही मुझे फिल्म लाइन का शौक था। मेरी उम्र 14-15 साल रही होगी। उस समय शायद मैं नवीं-दसवीं में पढ़ता था। तो, उस समय कोलकाता में यूं ही किसी व्यक्ति ने कहा कि हमें नेताजी इंडोर स्टेडियम में महाभारत का आयोजन करवाना है। उन लोगों को मैं इस काम के लिए सही लगा। उन्हें शायद मेरी लोगों को प्रभावित करने की क्षमता पर भरोसा था। तो, मुझे मुंबई भेजा जाना तय हुआ।
सवाल- तो यहां से आपकी शुरुआत हुई...
जबाब- यही समझ लीजिए। फिल्मों से अपने जुड़ाव के बारे में आपको एक दिलचस्प वाकया सुनाता हूं। दरअसल, मेरा नाम (राजेश) सुपरस्टार राजेश खन्ना के नाम पर रखा गया... (हंसते हुए)। पिताजी ने बताया कि 1969 में राजेश खन्ना की फिल्म आई थी 'अराधना'। यह राजेश खन्ना का दौर था। तो, बस उन्हीं के नाम पर मेरा नाम राजेश रख दिया गया। तो कुछ इस तरह फिल्मों से मेरे जुड़ाव हुआ।
सवाल-महाभारत के कलाकारों से मुलाकात के बारे में कुछ बताइए...
जबाब- हां, जैसा मैं आपको बता रहा था मुंबई के अपने सफर के दौरान मेरी मुलाकात महाभारत के कई कलाकारों से हुई। अब इसी से जुड़ा एक दिलचस्प वाकया आपको सुनाता हूं। अपने इस सफर के दौरान मैं मुकेश खन्ना जी से मिलने एक स्टूडियो में पहुंचा। वहां राखी जी भी बैठी थीं। फिल्म का नाम था 'सौगंध' । वहां चर्चे थे कि कोई नया लड़का भी इस फिल्म में काम करने वाला है। नाचता-वाचता अच्छा है और एक्शन भी जबरदस्त करता है। वह नया लड़का था आज के दौर का सुपरस्टार अक्षय कुमार। उनके करियर का पहला शॉट मैंने वहां मौजूद रहकर देखा। आप सोच सकते हैं कि 14-15 के लड़के के लिए फिल्मी दुनिया के पर्दे के पीछे की कहानी को यूं देखना कितना रोमांचक रहा होगा। इसके बाद मैं महाभारत के कई अन्य कलाकारों से भी मिला। हालांकि, जिस मकसद को लेकर यह सब मुलाकातें हुईं वो किसी वजह से पूरा नहीं हो पाया, लेकिन मेरे दिल में फिल्मी दुनिया से जुड़ने की तीव्र इच्छा इस दौरान और मजबूत हो गयी।
सवाल-तो फिर यहीं से फिल्मों में आना तय हुआ..
जबाब-तय तो हुआ, लेकिन करियर बनाने का दबाव तो था ही। तो, पहले मै एक्सपोर्ट के अपने व्यवसाय को सेट करने में गया। तो बीस साल बाद जब मैं अपने बिजनेस में सेट हो गया तो मैंने तय किया कि अब फिल्मों में आना चाहिए।
सवाल-तो फिर आपने इस दिशा में प्रयास करने शुरू किये?
जबाब-जी, इसके लिए सबसे पहले मैंने लोगों से मिलना शुरू किया। इस बीच मैं निर्देशक आनंद कुमार से मिला। वह दिल्ली हाइट्स, जुगाड़ जैसी फिल्मे बना चुके थे। जल्द ही उनकी फिल्म 'जि़ला गाजि़याबाद' आ रही है। उनके साथ दो-एक प्रोजेक्ट्स पर काम शुरू किए लेकिन वो किसी कारणवश नहीं चल पाए।
सवाल-'आईएम' से कैसे जुड़ाव हुआ ?
जबाब-अपने इस सफर के दौरान मेरी 'ओमियो' से मुलाकात हुयी। उन्होंने मेरे सामने फिल्म के सह-निर्माता बनने का प्रस्ताव रखा, जिसे मैने स्वीकार कर लिया। इसी के चलते मेरी संजय (सूरी) व अन्य कलाकारों से मुलाकात हुयी। और आज हम सभी अच्छे दोस्त हैं। हालांकि, उस फिल्म में कई सह-निर्माता थे, लेकिन दिल्ली में यह सौभाग्य मुझे मिला। दिल्ली में बाक़ायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई। जिसमें जूही चावला, संजय और ओमियो ने प्रेस कांफ्रेंस में शामिल हुए थे।
सवाल-नेशनल अवॉर्ड मिलने के बाद कैसा लगा ?
जबाब-बेशक, बहुत अच्छा लगा। जब आप किसी चीज के साथ जुड़े हों और उसे इतने बड़े स्तर पर पहचान और प्रशंसा मिले तो जाहिर तौर पर खुशी तो होती ही है। और साथ ही गर्व भी महसूस होता है।
सवाल-ब्लू माउंटेन्स का बनाने का विचार कहां से आया?
जबाब-'आईएम' के बाद मुझे लगा कि क्यों न एक पूरी फिल्म प्रोड्यूस की जाए। संयोग से 'ब्लू माउंटेन्स' से जुड़ाव हो गया। तो सोचा यह अच्छा मौका है।
सवाल-ब्लू माउंटेन्स में कोई बड़ा सितारा नहीं है, ऐसी फिल्मों की कामयाबी को लेकर संशय बना रहता है ?
जबाब-देखिए, मेरा मानना है कि फिल्म में कहानी और विषय महत्वपूर्ण होता है। हमारे सामने ऐसे कई उदाहरण हैं जहां फिल्में बड़ी स्टार वैल्यू होने के बाद भी दर्शकों को पसंद नहीं आईं। वे फिल्में कब आईं और कब चली गयीं यह बात भी लोगों को याद नहीं रहती। ऐसे कई फिल्में हैं जो करोड़ों रुपए खर्च करके बनाई गईं लेकिन टिकट खिड़की पर वे औंधे मुंह गिरीं। हमारे देश का दर्शक वर्ग अब बदल चुका है। वो दौर अब नहीं रहा जब सिर्फ स्टार के चेहरे पर फिल्में हिट हो जाया करती थीं, अब दर्शक कहानी से खुद को जोड़कर देखता है। अगर उस कहानी में वह अपने लिए कुछ पाता है तो वह उसे पसंद करता है, वरना उसे सिरे से नकार देता है।
सवाल-छोटे बजट की फिल्मों के प्रदर्शन में परेशानी आती है।
जबाब-हमारी फिल्म छोटी नहीं है। रणवीर शौरी,ग्रैसी सिंह,राजपाल यादव जैसे कलाकार हैं। फिल्म के प्रदर्शन को लेकर हमने चाकचौबंद व्यवस्था की है।
सवाल-राजपाल यादव के देसीपन के बारे में क्या कहेंगे..
जबाब-राजपाल दिल से काम करने वाले कलाकार हैं। उनकी अदाकारी में माटी की जो खुशबू है उसका कोई जवाब नहीं। उन्होंने इस फिल्म में दिल लगाकर काम किया है। और आप जब फिल्म देखेंगे तो आप उनकी मेहनत और लगन को महसूस कर सकेंगे।
सवाल-‘ब्लू माउंटेन्स’ का विषय क्या है?
जवाब- सच कहूं तो यह फिल्म एक बड़े मकसद को लेकर बनाई जा रही है। फिल्म का संदेश है कि खेल में जीतना-हारना महत्वपूर्ण नहीं,हिस्सा लेना अहम है। हमारे यहां जीत हार को बड़ी तवज्जो दी जाती है। वो तवज्जो कई बार इतनी भारी हो जाती है कि खेल का मर्म कहीं पीछे छूट जाता है। तो अपनी इस फिल्म के जरिए हम यह संदेश देना चाहते हैं कि सबसे पहले हमें कॉम्पीटिशन में भाग लेना चाहिए, हार जीत उसके बाद की बात है। हम खेल भावना को प्रोत्साहित करना चाहते हैं। खेल भावना को हमें पूरे जीवन का हिस्सा बनना चाहिए। हार से सीख लेकर हम कैसे आगे बढ़ सकते हैं और कैसे सफलता के लिए निरंतर प्रयासरत रह सकते हैं यही इस फिल्म का मकसद और संदेश है।
सवाल-तो फिल्म क्या खेलों पर आधारित है?
जबाब-मेरी नजर से देखें तो फिल्म खेल भावना को लेकर बनाई गई है। हम अपने बच्चों पर इतना दबाव डाल देते हैं कि वे सिर्फ हार जीत के बारे में सोचते हैं। हम उन्हें प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए उत्साहित नहीं करते। दरअसल, हम अपनी कहानी से यह बताना चाहते हैं कि हार आपको काफी कुछ सिखा सकती है। नाकामयाबी से हार मानने की बजाए उससे सीख लेकर आगे की राह तैयार करनी चाहिए।
सवाल-फिल्म के कलाकारों के बारे में कुछ बताइए ?
जबाब-राजपाल यादव, रणवीर शौरी ने बहुत अच्छा काम किया है। जहां तक ग्रेसी सिंह की बात है, तो मैं 'ब्लू माउंटेन्स' को उनकी कमबैक फिल्म कहूंगा। 'लगान' और 'मुन्नाभाई एमबीबीएस' के बाद जो बीते दस सालों मे वह नहीं कर पाईं, आप देखेंगे कि इसमें मां के रोल में उन्होंने किस कदर जान फूंक दी है।
सवाल-आपकी फिल्म किस कदर आम फिल्मों से अलग है ?
जबाब-आजकल आप देखिए कि ऐसी फिल्में बन रही हैं जो आमतौर पर पूरे परिवार के साथ नहीं देखी जा सकतीं। इन फिल्मों में सेक्स और मारधाड़ का मसाला बनाकर पेश किया जाता है। हमारी फिल्म में ऐसा कुछ नहीं है। ऐसी फिल्मों को पसंद करने वालों को हमारी फिल्म से निराशा ही हाथ लगेगी। यह बच्चों की फिल्म है, जिसे पूरा परिवार एक साथ बैठकर देख सकता है।
सवाल-शूटिंग के दौरान का कोई दिलचस्प वाकया आपको याद आता हो ?
जबाब-जी, यूं तो कई हैं, लेकिन एक बार शिमला में शूटिंग के दौरान राजपाल यादव की गाड़ी फिसल गयी थी। लेकिन सौभाग्य से किसी तरह का कोई हादसा नहीं हुआ। इसके अलावा कड़कड़ाती ठंड में राजपाल यादव में महज एक निकर में शॉट दिया। मैं अपने फिल्म के कलाकारों का खासतौर पर शुक्रिया अदा करना चाहूंगा कि विपरीत परिस्थितियों में भी इन्होंने शानदार काम किया।
सवाल-निर्देशक सुमन गांगुली की भी यह पहली फिल्म है..
जबाब-जी... लेकिन उनकी सोच बड़ी अच्छी है। वह एक बेहद काबिल डायरेक्टर हैं। फिल्म की स्क्रिप्ट पर उन्होंने चार साल तक मेहनत की। कई लोगों से मिले, कई मुश्किलों का सामना किया। ऐसा मैं सिर्फ इसलिए नहीं कह रहा हूं कि वह मेरे बहुत अच्छे मित्र हैं, बल्कि जब आप फिल्म देखेंगे तो आपको वह मेहनत स्क्रीन पर नजर आएगी।
सवाल-हम इस फिल्म का मजा कब तक उठा पाएंगे।
जबाब-हमारी शूटिंग का बस एक शेड्यूल बाकी रह गया है। उम्मीद है मार्च-अप्रैल तक वो पूरा हो जाएगा। हमारी योजना इस फिल्म को इसी साल रिलीज करने की है।
सवाल-आपने फिल्म में अभिनय भी किया है?
जबाब-जी, मैंने राजपाल के साथ एक छोटी सी भूमिका की है। राजू खान, मशहूर कोरियोग्राफर सरोज खान के बेटे के नृत्य निर्देशन में राजपाल और मैंने एक गाने पर डांस किया है।
सवाल-आखिरी सवाल, ब्लू माउंटेन्स की यूएसपी क्या है?
जबाब-संगीत-कहानी और लोकेशन। संगीत आदेश श्रीवास्तव और मोंटी शर्मा ने दिया है। शिमला की वादियों को फिल्म में बिलकुल अलग तरह से पेश किया गया है।
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