19 नवंबर 2012
नई दिल्ली। सिनेमा जगत में महिलाएं आज से पहले इतनी सक्रिय नहीं रही हैं, लेकिन क्या वे बॉलीवुड के अभिनेताओं जैसी प्रतिष्ठा पा सकेंगीं? बॉलीवुड अभिनेत्री बिपाशा बसु का मानना है कि ऐसा कभी नहीं होगा। बिपाशा ने एक साक्षात्कार में कहा, "बॉलीवुड में महिलाओं के लिए अवसर काफी कम है। हमारे पास सुरक्षित रहने, खूबसूरत दिखने और कुछ आइटम गाने करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।"
'द डर्टी पिक्चर', 'सात खून माफ' और 'नो वन किल्ड जेसिका' से महिलाओं किरदारों के बढ़ते चलन को देखा गया है।
लेकिन बिपाशा ने कहा, "एक 'डर्टी पिक्चर' बहुत कुछ नहीं बदल सकती। आप कभी-कभी भाग्यशाली होते हैं कि आप 'डर्टी पिक्चर', 'राज', 'जिस्म' और 'कारपोरेट' जैसी फिल्में पा लेते हैं।
उनका कहना है कि एक फिल्म के आते ही लोग कहने लगते हैं कि महिला किरदारों का चलन शुरू हो गया।
'अजनबी' फिल्म से करियर की शुरुआत करने वाली 33 वर्षीय बिपाशा ने कहा, "मेरी समकालीन अभिनेत्रियों सहित हम सभी इससे गुजर रहे हैं। चाहे हम जितना भी कहें कि फिल्म उद्योग बदल रहा है , यह हीरो केंद्रित व्यवसाय है और यह हमेशा रहेगा।"
बॉलीवुड में एक दशक से ज्यादा समय बिता चुकीं बिपाशा ने 'राज' , 'जिस्म', 'नो एंट्री', 'धूम-2' , 'अपहरण', 'कोरपोरेट', 'रेस' , 'बचना ए हसीनो' और हाल ही 'राज 3' में अभिनय किया है। हालांकि , उनका मानना है कि कुछ सकारात्मक बदलाव आए हैं।
बिपाशा ने कहा, "कुछ ऐसे कुशल फिल्मकार हैं जो फिल्म बनाते हैं उनका आभार जताना चाहिए इसलिए नहीं कि वे नारी अधिकारवादी हैं बल्कि इसलिए कि वह मनोरंजन होती है और उसमें महिलाओं के करने के लिए भी कुछ होता है। बतौर अभिनेत्री आपको ऐसी फिल्म की तलाश करनी होती है। "
हालांकि, उनका मानना है कि यह आसान नहीं होता है।
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