26 सितंबर 2011
दिल्ली। काले धन के मामले में बाबा रामदेव के रामलीला मैदान की क्रांति भले ही हफ्तेभर भी नहीं टिक सकी हो,लेकिन इस क्रांति की कीमत गुडगांव की 51 वर्षीया राजबाला ने अपनी जान देकर चुकायी है। राजबाला चार जून की देर रात बाबा रामदेव के समर्थकों पर हुई पुलिस कार्रवाई के दौरान बुरी तरह से जख्मी हो गई थी। सोमवार सुबह राजबाला की मौत हो गई। अब राजबाला की बेटी की मांग है कि सरकार उसे राजबाला की मौत पर मुआवज़ा नहीं उसकी मां लौटा दे।
राजबाला 114 दिनों तक जिंदगी और मौत से लगातार जूझती रही है। अस्पताल सूत्रों के मुताबिक राजबाला को जून में ही घायलावस्था में अस्पताल के गहन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) में भर्ती कराया गया था, जहां सोमवार सुबह 10.25 बजे उनका निधन हो गया।
राजबाला के एक रिश्तेदार राकेश मलिक ने आईएएनएस को बताया कि उनकी सास राजबाला की तबियत हाल के दिनों में और खराब हो गई थी।
राजबाला की बेटी ने उनकी मौत के लिए पुलिस को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि ऐसा सिर्फ पुलिस के लाठीजार्च की वजह से हुआ है। हम सभी जानते हैं कि पुलिस ने किसके कहने पर कार्रवाई की और पूरा देश जानता है कि उस दिन क्या हुआ था।
लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि वह मुआवजे की भूखी नहीं हैं। उन्होंने कहा, "हमें मुआवजा नहीं चाहिए। हम अपनी मां को वापस चाहते हैं, क्या वे ऐसा कर सकते हैं।"
राजबाला की बेटी ने सरकार पर कुछ न करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि चार महीने बीत चुके हैं लेकिन सरकार ने क्या किया। हमें सरकार की तरफ से सहानुभूति का एक शब्द भी सुनने को नहीं मिला।
इधर घरवालों की भी अस्पताल प्रशासन से कहा सुनी हो गई है। घरवालों का आरोप है कि डॉक्टरों ने राजबाला के ईलाज में कोताही बरती है। वे राजबाला का शव ले जाने के लिए तैयार नहीं।
बीजेपी महिला मोर्चा की नेता और राजबाला की करीबी शिखा राय भी अस्पताल में मौजूद हैं। उन्होंने बताया कि यदि राजबाला की बीमारी की वजह और इसके लिए किए गए इलाज का पूरा ब्यौरा नहीं मिलता है तो उनके परिजन अस्पताल के बाहर धरना देंगे। डॉक्टरों का कहना है कि जब तक केंद्र सरकार की ओर से ऐसा कोई निर्देश नहीं आता है तब तक वो परिजनों को केस हिस्ट्री और डिस्चार्ज स्लिप नहीं देंगे।
राजबाला गुड़गांव की रहने वाली थीं। बाबा रामदेव के अनशन के दौरान चार जून की रात को हुई पुलिस कार्रवाई में वह गम्भीर रूप से घायल हो गई थीं। उनकी रीढ़ की हड्डी में गहरी चोट लगी थी।
Know when the festival of colors, Holi, is being observed in 2020 and read its mythological significance. Find out Holi puja muhurat and rituals to follow.
मकर संक्रांति 2020 में 15 जनवरी को पूरे भारत वर्ष में मनाया जाएगा। जानें इस त्योहार का धार्मिक महत्व, मान्यताएं और इसे मनाने का तरीका।