13 जुलाई 2012
कोलकाता । पश्चिम बंगाल के विश्व भारती विश्वविद्यालय परिसर स्थित एक स्कूल के छात्रावास में बिस्तर गीला करने पर कथित रूप से अपना पेशाब पीने की सजा मिलने से आहत 10 वर्षीय छात्रा अब भी सदमे में है। इस बीच घटना के छह दिन बाद विश्वविद्यालय ने खेद जताते हुए अभिभावकों से छात्रा को स्कूल भेजने का अनुरोध किया है। रजिस्ट्रार द्वारा जारी बयान के मुताबिक विश्वविद्यालय ने पाथा भवन की छात्रा को पहुंची पीड़ा को लेकर खेद प्रकट किया। विश्वभारती एक अपवाद के तौर पर छात्रा को दिन में पढ़ाई के लिए कक्षा में शामिल होने की अनुमति देगा और अभिभावकों से अनुरोध करता है कि वे उसे छात्रावास में न रखकर दिन में स्कूल भेजें।
इस बीच विश्वविद्यालय ने इस तरह की घटना पर रोक लगाने के लिए वार्डन और आया प्रणाली की जांच का आश्वासन दिया है।
इससे पहले विश्वविद्यालय का एक दल चार दिन बाद बुधवार को उससे मिलने पहुंचा। दल ने हालांकि किसी प्रकार का खेद प्रकट नहीं किया।
विश्वविद्यालय का तीन सदस्यीय दल रजिस्ट्रार मणिमुकुट मित्रा के नेतृत्व में छात्रा के घर पहुंचा और अभिभावकों से छात्रा को पाथा भवन स्थित स्कूल भेजने की अपील की। लेकिन अभिभावकों ने उनका अनुरोध खारिज कर दिया।
छात्रा के पिता मनोज मिस्त्री ने कहा, "मेरी बेटी पहले ही बहुत पीड़ा झेल चुकी है। जब हम स्कूल की बात करते हैं वह रोने लगती है। अगर अब मैं उसे विश्व भारती वापस लौटने के लिए कहता हूं तो यह एक तरह से अपराध होगा।"
छात्रा के पिता ने कहा, "वह अभी तक सदमे से नहीं उबर पाई है। वह ठीक से खाना नहीं खा रही है। उसके साथ जो कुछ हुआ, उसके बाद से उसकी मनोदशा सामान्य नहीं हो पा रही है। चिकित्सकों ने हमें उसे खुश रखने और घटना को भुलाने में उसकी मदद करने की सलाह दी है।"
पुलिस में की गई शिकायत के मुताबिक, यह घटना शनिवार शाम की है, जब काराबी छात्रावास की वार्डन उमा पोद्दार ने औचक निरीक्षण के दौरान छात्रा को बिस्तर गीला करने का दोषी पाया। आरोप है कि पोद्दार ने सजा के तौर पर छात्रा को पेशाब चाटने को कहा।
बताया जाता है कि बच्ची ने यह बात अपनी मां को बताई, जिसके बाद उसके अभिभावक तथा कई अन्य लोगों ने छात्रावास परिसर में पहुंचकर वार्डन के साथ बदसलूकी की।
घटना के बाद विश्वविद्यालय ने मामले की जांच के लिए छात्र कल्याण संकाय की पूर्व अध्यक्ष अरुणा मुखर्जी की अध्यक्षता में चार सदस्यीय समिति का गठन किया।
रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए विश्वविद्यालय ने पोद्दार को वार्डन के पद से कार्य-मुक्त कर दिया है।
विश्व भारती विश्वविद्यालय के अधिकारियों का दावा है कि वार्डन उमा पोद्दार ने छात्रा से इसलिए पेशाब चाटने के लिए कहा, क्योंकि वह मानती हैं कि ऐसा करने से बिस्तर गीला करने की बीमारी ठीक हो जाएगी।
इस मामले में प्रधानमंत्री कार्यालय ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने विश्वविद्यालय और राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
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