14 मई 2012
लखनऊ। राजनीति की पहली पाठशाला कहे जाने वाले छात्र संघ चुनाव के तौर-तरीके को हाईटेक करने की तैयारी चल रही है। लखनऊ विश्वविद्यालय ने उत्तर प्रदेश के छात्रसंघ चुनावों में पहली बार इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के उपयोग की कवायद शुरू की है।
छात्रसंघ चुनाव में अभी तक मतपत्र (बैलेट पेपर) का उपयोग होता था, लेकिन बदलते समय के साथ छात्रसंघ चुनाव की प्रक्रिया को और बेहतर बनाने के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन ने चुनाव में ईवीएम का उपयोग करने का निर्णय लिया है।
उत्तर प्रदेश में छात्रसंघ चुनाव पर पिछले करीब पांच साल से लगी रोक हटने के बाद लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन ने निर्वाचन आयोग के नियमानुसार और लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों के आधार पर सबसे पहले छात्रसंघ चुनाव कराने की घोषणा की। लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव अक्टूबर के पहले सप्ताह में होना प्रस्तावित हैं।
लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रवक्ता राजेश मिश्रा ने आईएएनएस को बताया कि ईवीएम के उपयोग से न केवल चुनाव प्रक्रिया आसान हो जाएगी, बल्कि त्रुटि रहित और निष्पक्ष चुनाव हो सकेंगे।
मिश्रा ने कहा कि ईवीएम का इस्तेमाल होने से कागज की बचत होगी। बैलेट पेपर छपवाने के झंझ्झट से मुक्ति मिलेगी और चुनाव परिणाम आने में भी देरी नहीं होगी।
उन्होंने कहा, "लखनऊ विश्वविद्यालय में करीब 25,000 छात्र-छात्राएं हैं। हमें लगता है कि ईवीएम का उपयोग होने पर अधिक से अधिक छात्र चुनाव में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करेंगे।"
मिश्रा ने कहा कि छात्र संघ चुनाव में ईवीएम का उपयोग करने सम्बंधी प्रस्ताव चुनाव आयोग को भेज दिया गया है, जिस पर निर्वाचन आयोग की तरफ से सकारात्मक रुख देखने को मिल रहा है।
उन्होंने कहा, "हमारा आकलन है कि चुनाव प्रक्रिया में करीब 60 से 65 ईवीएम मशीनों की जरूरत पड़ेगी। ईवीएम की उपलब्धता और निर्वाचन आयोग की भूमिका सम्बंधी कई मुद्दों पर बातचीत हो रही है।"
उल्लेखनीय है कि 2007 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सरकार बनने के बाद छात्र संघ चुनाव पर रोक लग गई थी, लेकिन हाल में हुए विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने वाली समाजवादी पार्टी (सपा) ने सत्ता सम्भालते ही छात्र संघ बहाल कर दिए हैं।
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