25 जून 2011
लंदन। आप यकीन करें या नहीं, लेकिन यह सच है कि हम अपनी जिंदगी में जिस तनाव से गुजरते हैं, उसका एक हिस्सा हमें अपने अभिभावकों से मिलता है।
जापान में टोक्यो स्थित रिकेन सुकुबा इंस्टीट्यूट के शनस्यूक इशी के मुताबिक, "इस बात को लेकर व्यापक चर्चा होती रही है कि डीएनए की स्थिति में परिवर्तन के बगैर तनाव अभिभावकों से अगली पीढ़ी में पहुंचता है या नहीं। हमारे शोध बताते हैं ऐसा वास्तव में होता है।"
इशी की यह शोध रिपोर्ट 'सेल' पत्रिका में प्रकाशित हुई है। इसके अनुसार, हमारे जीन प्रोटीन कूट बनाते हैं, लेकिन ये आनुवांशिक निर्देश किस तरह पढ़े या अभिव्यक्त होते हैं यह इस बात पर निर्भर करता है कि वे रासायनिक रूप से किस हद तक आधुनिक हैं।
रिकेन से जारी बयान में कहा गया है कि जीनोम के कुछ हिस्से तनाव के कारकों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में पहुंचाते हैं। वे सक्रिय जीन नहीं होते।
इशी के अनुसार, हृदय रोग, मधुमेह, सिजोफ्रेनिया जैसे मनोवैज्ञानिक रोग सहित अन्य बीमारियां आनुवांशिक कारणों से हो सकती हैं।
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