14 दिसम्बर 2011
लंदन। जिन नवजात शिशुओं की लार में तनाव से सम्बंधित हार्मोन कॉर्टिसोल की कम सांद्रता होती है, उनमें एलर्जी कम विकसित होने की सम्भावना होती है।
बीते कुछ दशकों के दौरान बच्चों में एलर्जी के ज्यादा मामले सामने आए हैं। स्वीडन में 30 से 40 प्रतिशत बच्चों में किसी न किसी प्रकार की एलर्जी होती है।
स्वीडन के कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूटेट में किए गए एक अध्ययन के मुताबिक गर्भावस्था के दौरान के पर्यावरण व जीवनशैली से सम्बंधित कारक व नवजात शिशु को शुरूआती दिनों में मिला वातावरण तेजी से बढत़ी एलर्जी की बीमारी के लिए जिम्मेदार है।
'एलर्जी एंड क्लिनिकल इम्युनोलॉजी' पत्रिका के मुताबिक यह अध्ययन भविष्य में एलर्जी की रोकथाम में मदद के लिए उपयोगी हो सकता है।
कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूटेट से जारी एक वक्तव्य के मुताबिक स्टॉकहोम के साउथ जनरस हॉस्पिटल के फ्रेडरिक स्टेनियस कहते हैं, "मनोवैज्ञानिक-सामाजिक कारक व तनाव हार्मोन कॉर्टिसोल एलर्जी सम्बंधी बीमारियों से जुड़े हैं।"
उन्होंने कहा, "जिन बच्चों में उनकी नवजात अवस्था के दौरान उनकी लार में कॉर्टिसोल का स्तर कम रहता है, उनमें अन्य बच्चों की तुलना में जीवन के शुरुआती दो साल में एलर्जी सम्बंधी बीमारियां कम होती हैं।"
शोधकर्ताओं का मानना है कि तनाव नियंत्रण से जुड़े कारक भी नवजात शिशुओं में एलर्जी के विकास को प्रेरित करते हैं।
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