27 अप्रैल 2011
पुट्टापर्थी। आध्यात्मिक गुरु सत्य साईं बाबा को बुधवार को प्रशांति निलयम में पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ समाधि दे दी गई। हजारों श्रद्धालुओं ने बाबा को अंतिम विदाई दी। साईं बाबा का रविवार को देह त्याग दी थी। वह 85 वर्ष के थे। साईं कुलवंत हॉल में बाबा की पार्थिव देह समाधि में उतारी गयी। समाधि देने की यह प्रक्रिया दो घंटे तक चली। हिंदू आध्यात्मिक गुरुओं की परम्परा अनुरूप सत्य साईं बाबा को समाधि दी गई।
अंतिम संस्कार के समय कुछ चुनिंदा लोग ही हाल में मौजूद थे। इनमें बाबा के पारिवारिक सदस्य, सत्य साईं केंद्रीय न्यास के सदस्य व अधिकारी, राजनेता और नौकरशाह शामिल थे। हजारों श्रद्धालुओं ने उनके समाधि में लीन होने की पूरी प्रक्रिया बाहर लगे एक विशाल टीवी स्क्रीन पर देखी, जबकि देश और विदेश में तमाम श्रद्धालुओं ने विभिन्न टीवी चैनलों पर इसका सीधा प्रसारण देखा।
अंतिम संस्कार की आधी प्रक्रिया हॉल में मौजूद सभी लोगों के लिए खुली हुई थी, लेकिन पार्थिव देह को समाधि देने की प्रक्रिया में केवल बाबा के करीबी रिश्तेदार और शिष्य व पुजारियों का एक समूह ही शामिल था। बाबा के भतीजे आर.जे. रत्नाकर ने एक पुजारी के निर्देशन में पार्थिव शरीर पर पवित्र जल छिड़कने जैसी परम्पराएं पूरी कीं। बाद में बाबा के पार्थिव शरीर को पर्दे के पीछे तीन फुट चौड़े, छह फुट लम्बे और 4.5 फुट गहरे गड्ढे में समाधि दे दी गई।
अंतिम संस्कार सुबह नौ बजे साईं कुलवंत हाल में शुरू हुआ। बाबा यहीं पर श्रद्धालुओं को दर्शन देते थे और प्रवचन करते थे। ईसाई, मुस्लिम, बौद्ध और यहूदी पुजारियों ने अपने-अपने धर्म से सम्बंधित शब्दों का उच्चारण किया। तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के शिष्यों के एक दल ने भी अंतिम संस्कार में हिस्सा लिया। शव को समाधि के लिए ले जाने से पूर्व पुलिसकर्मियों ने बाबा को 'गार्ड ऑफ ऑनर' दिया और पारदर्शी ताबूत पर राष्ट्रध्वज लपेट दिया। पुलिस के बैंड ने लास्ट पोस्ट की धुन बजाई और पुलिसकर्मियों ने हाल के बाहर तीन गोलियां दाग कर बंदूकों की सलामी दी।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, पंजाब के राज्यपाल शिवराज पाटील, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी.एस.येदियुरप्पा, आंध्र प्रदेश के राज्यपाल ई.एस.एल.नरसिम्हन, मुख्यमंत्री एन.किरण कुमार रेड्डी, पूर्व मुख्यमंत्री एन.चंद्रबाबू नायडू और आंध्र प्रदेश व कर्नाटक के कई मंत्रियों ने बाबा के पार्थिव शरीर पर राख छिड़की और उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि अर्पित की। समाधि तैयार हो जाने के बाद श्रद्धालुओं को अपराह्न् में हाल में जाने की अनुमति दे दी गई। इसके पहले हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने मंगलवार मध्य रात्रि तक बाबा के अंतिम दर्शन किये।
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