17 अप्रैल 2012
वाशिंगटन। अमेरिकी सीनेट ने राष्ट्रपति बराक ओबामा के उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है, जिसमें प्रति वर्ष 10 लाख डॉलर से अधिक की कमाई करने वालों पर कर दर बढ़ाने की बात शामिल थी। समाचार एजेंसी आरआईए नोवोस्ती के अनुसार पूंजी कर विधेयक को व्यापक तौर पर ओबामा के पुनर्निर्वाचन अभियान का एक प्रमुख तत्व और लम्बी अवधि के दौरान घाटे में कटौती की व्यापक योजना का हिस्सा माना गया था।
सीनेट में डेमोक्रेट के बहुमत के बावजूद सदस्यों ने सोमवार को अंतत: 51-45 के अनुपात में वोट दिया। इस तरह तथाकथित 'बफेट रूल' पर बहस को आगे बढ़ाने के लिए जरूरी आंकड़ा नौ वोट से पीछे रह गया।
'बफेट रूल', अरबपति निवेशक वारेन बफेट के नाम पर है, जिन्होंने बार-बार शिकायत की है कि सर्वाधिक धनी अमेरिकी नागरिक, मध्यम आय वर्ग के श्रमिकों की बनिस्बत आमतौर पर अपनी आय का एक छोटा हिस्सा ही संघीय कर में देते हैं। इस नियम के तहत 10 लाख डॉलर वार्षिक आय से अधिक की आय पर न्यूनतम 30 प्रतिशत कर लगाने का प्रस्ताव है।
अमेरिका में मौजूदा सर्वाधिक आयकर दर 35 प्रतिशत है। लेकिन कई अति धनी अमेरिकी, कटौतियों और आय के निम्न दरों के कारण कम कर भुगतान करते हैं, जो कि आमदनी की बनिस्बत निवेशों से आता हैं।
गैलप के एक ताजा सर्वेक्षण के अनुसार, 60 प्रतिशत मतदाताओं ने ओबामा की इस पहल के समर्थन में यह कहते हुए मतदान किया है कि धनी लोगों को हर हाल में अपनी हिस्सेदारी का ईमानदारी से भुगतान करना चाहिए।
लेकिन 'बफेट रूल' के विरोधियों का दावा है कि नए कर से न तो घाटा कम होगा और न रोजगार की स्थिति में ही सुधार होगा, बल्कि इससे निवेश के खिलाफ वातावरण बनेगा।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि बफेट रूल पर लड़ाई अभी समाप्त नहीं हुई है और यह चुनाव अभियान के दौरान भी जारी रहेगी।
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