दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता राजन भगत ने कहा, "चूंकि दिन में बहुत भीड़ होती है, इसलिए हमने रात में कार्रवाई की। दंगा भड़काने, सार्वजनिक सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाने तथा लोक सेवकों के काम में बाधा डालने का मामला दर्ज किया गया है।"
वहीं, दिल्ली पुलिस के आयुक्त बी. के. गुप्ता ने यह कहकर पुलिस की कार्रवाई का बचाव किया कि आंसू गैस के गोले तभी छोड़े गए जब बाबा रामदेव के समर्थकों ने पुलिस पर पथराव किया।
'एनडीटीवी' से बातचीत में गुप्ता ने कहा, "हमने बल का इस्तेमाल पहले नहीं किया। हमने आंसूगैस तभी छोड़े जब पुलिस पर पथराव किया गया।"
गुप्ता के अनुसार, बाबा रामदेव ने शुरू में कहा था कि 5,000 लोग प्रदर्शन स्थल पर पहुंचेंगे, लेकिन यहां 50,000 से अधिक लोग आए। हम इतने बड़े पैमाने पर भीड़ एकत्र करने की अनुमति नहीं दे सकते।
उन्होंने कहा, "हमने बाबा रामदेव को बताया कि सुरक्षा कारणों से उन्हें हिरासत में लिया जाएगा, क्योंकि यहां क्षमता से अधिक लोग एकत्र हो गए हैं।"
भगत ने बताया, "पुलिसकर्मी जब बाबा रामदेव को हिरासत में लेने के लिए आगे बढ़े तो उनके अनुयायी बीच में आ गए। उन्होंने पत्थर, गुलदस्ते तथा जो भी उनके हाथ आया, उसी से हमले शुरू कर दिए।"
उनके अनुसार, रामलीला मैदान पर पुलिस तथा बाबा रामदेव के समर्थकों के बीच धक्कामुक्की में चार महिलाओं सहित बाबा रामदेव के 39 समर्थक तथा 23 पुलिसकर्मी घायल हुए और उन्हें प्राथमिक उपचार के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
उधर, अस्पताल प्रशासन के अनुसार करीब 100 लोग घायल हुए। लोक नायक अस्पताल के एक चिकित्सा अधिकारी के मुताबिक इनमें से 71 गम्भीर रूप से घायल हुए।
भगत ने दावा किया कि पुलिस ने बाबा रामदेव के समर्थकों और स्थिति से निपटने में बहुत संयम से काम लिया। स्थिति बिगड़ने से रोकने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के आठ गोले दागे, जिससे समर्थक तितर-बितर हो गए। इसके बाद पुलिस ने बाबा को हिरासत में ले लिया और फिर उनके अनुरोध पर उन्हें हरिद्वार में उनके आश्रम जाने दिया गया।
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