3 जुलाई 2011
श्रीनगर। कश्मीर में इस बार शांति है और सरकार से लेकर आम नागरिक तक इसके बने रहने की कामना कर रहे हैं। बागवानी के बाद पर्यटन उद्योग घाटी की आय का दूसरा बड़ा स्रोत है और इससे जुड़ा हर कोई शख्स घाटी में शांति के लिए ईश्वर का शुक्रगुजार है।
डल झील में नौका चलाने वाले अब्दुर रहमान भी उन्हीं में से एक हैं। एक-एक दिन शांतिपूर्ण ढंग से गुजर जाने के लिए ईश्वर का धन्यवाद करते हुए वह आगे भी इसके बने रहने की प्रार्थना करते हैं।
दिनभर की 300 रुपये की कमाई में से 13 रुपये वह पहले ही मुस्लिम दरगाह में दान करने के लिए अलग कर लेते हैं और प्रार्थना करते हैं कि घाटी में गर्मी के दिनों में पिछले साल जो हिंसक प्रदर्शन हुए, वे अब दोहराए न जाएं।
रहमान ने बताया, "यह मखदूम साहब (16वीं सदी के श्रीनगर के संत) के लिए है, जिनके आशीर्वाद से घाटी में शांति है और हमारा कारोबार अच्छा चल रहा है।"
घाटी में शांति होने की वजह से इस बार बड़ी संख्या में यहां लोगों के आने की उम्मीद है। इस साल जनवरी से अब तक 5,00,000 पर्यटक यहां आ चुके हैं, जिनमें 13,000 विदेशी हैं।
रहमान के साथ-साथ पर्यटन उद्योग से जुड़े अन्य लोग भी घाटी में शांति बने रहने की कामना कर रहे हैं। घाटी में पिछले तीन साल से गर्मी के दिनों में हुए हिंसक प्रदर्शन से आजिज एक अन्य नौकाचालक कहते हैं, "नहीं, इस साल नहीं। हमें कुछ पैसे बनाने दें। हमें जीना है, अपने बच्चों को भोजन कराना है, उन्हें शिक्षित करना है।"
घाटी के सभी नौकाचालक पर्यटकों को सम्मानित अतिथि घोषित करने के अलगाववादी नेताओं के फैसले से खुश हैं। साथ ही पर्यटन विभाग द्वारा शांति घाटी में पर्यटकों के स्वागत की कोशिशों से भी वे उत्साहित हैं।
अलगाववादी नेता सैयद अली गिलानी, मीरवाइज उमर फारूक और यासीन मलिक ने यह भी कहा है कि पर्यटकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए वे लम्बे बंद का आह्वान भी नहीं करेंगे, जिसका सरकार ने स्वागत किया है।
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