30 सितम्बर 2011
नई दिल्ली। नवरात्र के दौरान ज्यादातर लोग धार्मिक कारणों से नौ दिन का व्रत रखते हैं लेकिन कुछ अन्य, खासकर युवा तले-भुने खाने से बचने और अपने शरीर से व्यर्थ पदार्थो को बाहर निकालने की दृष्टि से यह उपवास करते हैं। वैसे विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि अत्यधिक भूखा रहना आपके लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है।
नितिन मोहन की उम्र 24 साल है। वह ज्यादा पूजा-पाठ नहीं करते, लेकिन फिर भी उन्होंने नौ दिन का व्रत रखा है। इस दौरान वह सिर्फ तरल पदार्थो और फलों का सेवन करेंगे। उनके लिए ऐसा करने की मुख्य वजह अपने शरीर को सही आकार में लाना है।
मोहन कहते हैं, "मेरे परिवार ने व्रत रखा है और मैंने भी, लेकिन मैं अपने शरीर से अतिरिक्त वसा कम करने के लिए ऐसा कर रहा हूं। इन दिनों में बाहर की चीजें नहीं खाऊंगा और ज्यादा से ज्यादा पानी का सेवन करूंगा।"
नोएडा के फिटनेस प्रशिक्षक अमित कहते हैं कि उनके यहां आने वाले युवाओं ने व्रत रखा है और वे उनसे त्वरित परिणामों के सम्बंध में पूछते हैं।
अमित ने आईएएनएस को बताया, "मेरे पास आने वाले कुछ युवा स्वीकार करते हैं कि उपवास शरीर से व्यर्थ पदार्थो को बाहर निकालने का एक माध्यम है। इनमें से ज्यादातर का ऐसा करने का मुख्य उद्देश्य अपना कुछ वजन कम करना है।"
मुम्बई की चिकित्सा विशेषज्ञ नमिता जैन कहती हैं कि वजन कम करने के लिए अत्यधिक भूखे रहने का शरीर पर विपरीत प्रभाव हो सकता है।
जैन ने आईएएनएस से कहा, "मैं जानती हूं कि ज्यादातर लोग सिर्फ वजन कम करने के लिए व्रत करते हैं लेकिन आप 'डिटॉक्सीफिकेशन' शब्द या शरीर से जहरीले पदार्थो को बाहर निकालने का गलत अर्थ न समझें। इसका मतलब भूखे रहना या पोषक तत्वों को अपने शरीर से दूर रखना नहीं है। लोग इन दिनों बिना उद्देश्य भूखे रहते हैं जबकि पहले कभी उन्होंने ऐसा नहीं किया होता है और जैसे ही व्रत के दिन समाप्त होते हैं तो वे भोजन पर इस तरह टूट पड़ते हैं जैसे उन्होंने पहले कभी ये चीजें न खायी हों। इसका परिणाम यह होता है कि आपका वजन दुगुना हो जाता है।"
उन्होंने कहा, "'डीटॉक्सीफिकेशन' का मतलब तरल पदार्थो की अधिक मात्रा लेना है ताकि आपके शरीर से जहरीले पदार्थ बाहर निकल सकें। इस दौरान आपको हल्का और सुपाच्य भोजन लेना चाहिए, थोड़े-थोड़े अंतराल पर खाना चाहिए, हर्बल चाय और नारियल पानी पीना चाहिए और श्वसन सम्बंधी कुछ व्यायाम करने चाहिए।"
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