22 अप्रैल 2011
काठमांडू। नेपाल के माओवादियों ने भारतीय विदेश मंत्री एस. एम. कृष्णा के उस आरोप का खंडन किया है कि वे भारत विरोधी हमलों में शामिल हैं। माओवादी पार्टी के प्रमुख पुष्प कमल दहाल 'प्रचंड' ने उल्टा भारत पर उनकी राह में बाधा डालने का आरोप लगाया।
ये बातें शुक्रवार को प्रचंड और नेपाल की तीन दिवसीय यात्रा पर पहुंचे भारतीय विदेश मंत्री एस. एम. कृष्णा की बैठक के बाद सामने आईं। दोनों नेताओं के बीच करीब एक घंटे तक बैठक हुई। बैठक में कृष्णा ने नेपाल में भारत के राजदूत राकेश सूद और भारतीय निवेश पर हमलों को लेकर भारत की चिंता जताई।
द्वारिका होटल में दोनों नेताओं की हुई मुलाकात के बाद प्रचंड ने संवाददाताओं को बताया कि उनकी पार्टी भारत के साथ अपने सम्बंधों को नए सिरे से मजबूत बनाना चाहती है।
नेपाल में भारतीय राजदूत और अन्य भारतीय प्रतिष्ठानों पर हमले के सम्बंध में भारतीय चिंता को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि माओवादियों की भी अपनी चिंता है।
प्रचंड के अनुसार करीब दो साल के उनके कार्यकाल में सेना प्रमुख रूक्मांगद कटवाल से उनकी लगातार झड़प होती रही, जो शांति समझौते के बावजूद माओवादियों को सेना में शामिल करने का विरोध करते रहे। इससे माओवादी सरकार की राह में अवरोध पैदा करने की आशंकाओं को बल मिला।
उन्होंने कहा, "यहां तक कि प्रधानमंत्री के चुनाव के दौरान भी हमने महसूस किया कि माओवादियों को सत्ता में आने से रोकने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।"
माओवादियों ने भारत की बाह्य खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग पर माओवादियों को अस्थिर करने के प्रयास का आरोप लगाया। लेकिन कृष्णा ने इससे इंकार किया और कहा कि भारत नेपाल के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करता।
कृष्णा ने नेपाल में शांति प्रक्रिया और नए संविधान के मुद्दे पर भी माओवादियों का रुख जानना चाहा, जिसे 28 मई तक लागू किया जाना है।
प्रचंड से मुलाकात के बाद कृष्णा बीरगंज में भारत-नेपाल सीमा पर करीब 87 करोड़ रुपये की भारतीय सहायता से बनने वाले संयुक्त चेकपोस्ट के निर्माण की आधारशिला रखने के लिए रवाना हो गए।
बीरगंज-रक्सौल चेकपोस्ट भारत-नेपाल व्यापार के लिए मुख्य मार्ग है, जहां से दोनों देशों के बीच 75 प्रतिशत तक व्यापार होता है।
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