15 जून 2011
नई दिल्ली। 15 जून 2011 को होने वाला पूर्ण चन्द्र ग्रहण संपूर्ण भारत में दिखाई देगा। वर्ष 2005 में पन्द्रह दिनों में दो बार 8 अप्रैल और 24 अप्रैल को सूर्य और चंद्र ग्रहण एक साथ पड़े थे तथा 03 अक्टूबर और 17 अक्टूबर को फिर दोबारा ग्रहण पडे थे। इस की वजह से प्राकृतिक आपदाओं ने भारी तबाही मचायी थी। साल 2005 और 2011 का अंत शनिवार के साथ होगा। 2005 में चंद्रमा धनु राशि में स्थित था तथा 2011 में यह मीन राशि में स्थित होगा। यह भी संयोग है की दोनों वर्ष का अंतिम दिन चंद्रमा गुरु के स्वामित्व वाली राशि में होगा सन् 2011 में 6 ग्रहण हैं जबकी 2005 में 4 ग्रहण हुए थे।
चन्द्रमा और सूर्य के बीच पृथ्वी का आना ही चन्द्रग्रहण कहलाता है। चंद्रग्रहण तब होता है जब सूर्य व चन्द्रमा के बीच पृथ्वी इस तरह से आ जाता है कि पृथ्वी की छाया से चन्द्रमा का पूरा या आंशिक भाग ढक जाता है और पृथ्वी सूर्य की किरणों के चांद तक पहुंचने में अवरोध लगा देती है। तो पृथ्वी के उस हिस्से में चन्द्रग्रहण नज़र आता है। चन्द्र ग्रहण दो प्रकार का नज़र आता है। 15 जून 2011 को होने वाला पूर्ण चन्द्र ग्रहण संपूर्ण भारत में दिखाई देगा। पूरा चन्द्रमा ढक जाने पर सर्वग्रास चन्द्रग्रहण कहलायेगा। यह ग्रहण रात्रि 11 बजकर 52 मिनट छह सेकेंड पर प्रारंभ होगा। इसका मध्यकाल एक बजकर 42 मिनट छह सेकंड पर और मोक्ष रात्रि तीन बजकर 32 मिनट छह सेकेंड पर होगा। विक्रमी संवत 2068 में पृ्थ्वी पर कुल पांच ग्रहण घटित होगें. इन्हीं पांचों ग्रहणों में से एक ग्रहण चन्द्रग्रहण है।
15 जून को खग्रास चंद्रग्रहण—-
दिन-बुधवार—–
ज्येष्ठा नक्षत्र, वृश्चिक व धनु राशि में—–
ग्रहण स्पर्श-रात 11.52 बजे—-
मध्य-1.30 बजे—-
मोक्ष (समाप्त) 2.33 बजे—-
सूतक प्रारंभ- दोपहर 3.52 बजे —– ग्रहण की कुल अवधि 3 घण्टे 40 मिनट की है।
इन स्थानों पर देखा जा सकेगा चन्द्रग्रहण —- भारत, सऊदी अरब, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका, यूरोप व अटलांटिक महासागर।
ग्रहण का सूतक तीन प्रहर यानी नौ घंटे पहले से शुरू होगा। सूतक और ग्रहण काल में भगवान की पूजा व मूर्ति स्पर्श नहीं करना चाहिए। ग्रहण के कुप्रभाव से बचने के लिए भगवान के नाम का स्मरण करें। ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान व चंद्रमा से संबंधित सफेद वस्तुएं व अन्न दान करें।
ग्रहण के सूतक और ग्रहण काल में स्नान, दान, जप, पाठ, मन्त्र, सिद्धि, तीर्थ स्नान, ध्यान, हवनादि शुभ कार्यो का करना कल्याणकारी माना जाता है। धार्मिक लोगों को ग्रहण काल 15 जून के सूर्यास्त के बाद दान योग्य वस्तुओं का संग्रह करके संकल्प लेना चाहिए। तथा अगले दिन 16 जून को प्रात: सूर्योदय के समय पुन: स्नान करके संकल्पपूर्वक योग्य ब्राह्माण को दान देना चाहिए। धर्म ग्रन्थों के अनुसार, ग्रहण मोक्ष उपरान्त पूजा पाठ, हवन- तर्पण, स्नान, छाया-दान, स्वर्ण-दान, तुला-दान, गाय-दान, मन्त्र- अनुष्ठान आदि श्रेयस्कर होते हैं। ग्रहण मोक्ष होने पर सोलह प्रकार के दान, जैसे कि अन्न, जल, वस्त्र, फल आदि जो भी संभव हो, करना चाहिए। सूतक व ग्रहण काल में मूर्ति स्पर्श करना, अनावश्यक खाना-पीना, मैथुन, निद्रा, तैल, श्रंगार आदि करना वर्जित होता है। झूठ-कपटादि, वृ्था-अलाप आदि से परहेज करना चाहिए। वृ्द्ध, रोगी, बालक व गर्भवती स्त्रियों को यथानुकुल भोजन या दवाई आदि लेने में दोष नहीं लगता है। समय अशुभ राशि वाले जातक, रोगीजन एवं गर्भवती स्त्रियों को ग्रहण नहीं देखना चाहिए।
ग्रहण के समय में धार्मिक जन ईश्वर आराधना (मंत्र जप, हवन, संकीर्तन) एवं ग्रहण के समाप्ति के कुछ पहले दान करे।
लगातार तीन ग्रहण होना ग्रहणमाला योग कहलायेगा। इस योग के कारण मौसम पर असर पड़ेगा, महंगाई की मार आम जन पर पडेगी। कहीं-कहीं ज्वालामुखी, तेज आंधी, बवंडर, भूकंप, गंभीर बाढ़ की स्थितियां बन सकती है, राजनैतिक क्षेत्रो मे अनेक नये नये उथल-पुथल आम जन को देखने को मिलेगी। सीमाओं पर आतंकवाद की घटनाएं प्रबल हो सकती है।
विभिन्न राशियों पर इस चन्द्र ग्रहण का प्रभाव—
मेष राशि - इस राशि के व्यक्तियों को यह ग्रहण गुप्त चिन्ताएं दे सकता है। इसके फलस्वरुप मेष राशि के व्यक्तियों के खर्च बढ सकते है।
वृ्षभ राशि - आपके लिए यह चन्द्रग्रहण शुभफलकारी रहेगा। इस ग्रहण के प्रभाव से आपको लाभ, सुख व धर्म कार्यो में आपकी रुचि में वृ्द्धि होगी।
मिथुन राशि - इस राशि के व्यक्तियों के लिए वैवाहिक जीवन की परेशानियों में वृ्द्धि होगी। साथ ही सावधानी से रहें, धन की हानि हो सकती है।
कर्क राशि - कर्क राशि के व्यक्तियों के रोग, कष्ट बढ सकते है। व्यर्थ के भय और व्यय बढने के भी योग बन रहे है।
सिंह राशि - चन्द्रग्रहण अनुकुल फल देने वाला नहीं रहेगा। इस अवधि में इस राशि के व्यक्तियों की मानहानि की संभावनाएं बन रही है तथा अनचाहे विषयों पर खर्च हो सकते है।
कन्या राशि - कन्या राशि के लिए यह समय कार्यसिद्धि के अनुकुल रहेगा। इसके प्रभाव से ग्रहण के बाद सभी मंगल कार्य पूरे होगें।
तुला राशि - चन्द्र ग्रहण का प्रभाव शुभ रुप में प्राप्त होगा। तुला राशि के लिए धन लाभ, परन्तु व्यय भी बढेगें।
वृश्चिक राशि - वृ्श्चिक राशि के व्यक्तियों को वाहनों का प्रयोग करते हुए सावधान रहना हितकारी रहेगा। इस ग्रहण के प्रभाव से दुर्घटना और शारीरिक कष्ट के योग बने हुए है।
धनु - धनु राशि के व्यक्ति भी सम्भावित दुर्घटनाओं से सतर्क रहें। यात्राएं करते हुए सावधानी रखें।
मकर राशि - इस चन्द्रग्रहण का प्रभाव धन हानि लेकर आ सकता है। साथ ही चोट आदि का भय बना हुआ है।
कुम्भ राशि - कुम्भ राशि के लिए चन्द्रग्रहण के फल शुभ रहेगें। इसके फलस्वरुप धन लाभ, खुशियां प्राप्त हो सकती है।
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