नई दिल्ली। भ्रष्टाचार के खिलाफ बहुप्रतीक्षित तथा विवादास्पद लोकपाल विधेयक आज लोकसभा में पेश किया जाएगा। जबकि वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने मंगलवार को सभी सांसदों को खुला पत्र लिखकर इस कमजोर विधेयक को संसद में पारित न कराने का अनुरोध किया।
उधर, दिल्ली पुलिस ने अन्ना हजारे को झटका देते हुए उन्हें 16 अगस्त को जंतर-मंतर पर आमरण अनशन करने की इजाजत नहीं दी है। पुलिस का कहना है कि लम्बे समय के लिए किसी एक संगठन को जंतर-मंतर पर प्रदर्शन की इजाजत नहीं दी जा सकती।
संसद के बाहर संवाददाताओं से बातचीत में बंसल ने कहा, "लोकपाल विधेयक गुरुवार को लोकसभा में पेश किया जाएगा। हमने इस बारे में नोटिस पहले ही दे रखा है, लेकिन विधेयक को लेकर कुछ निश्चित आवश्यकताएं थीं, जिसकी वजह से इसकी प्रति अब तक सदस्यों के बीच वितरित नहीं की गई। सदस्यों को इसकी प्रति बुधवार को दी जाएगी।" उन्होंने कहा कि सभी पार्टियां विधेयक को जल्द से जल्द पेश करने के पक्ष में हैं। चर्चा से दो दिन पहले विधेयक के मसौदे के अध्ययन के लिए सदस्यों को इसकी प्रति देने सम्बंधी प्रावधान पर छूट के लिए सरकार ने लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा है।
इससे पहले केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री वी. नारायणसामी ने लोकसभा अध्यक्ष को नोटिस दिया। संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा, "कागजों पर हमारा काम पूरा हो गया है। हमने लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा है। अब उन्हें फैसला लेना है।" गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लोकपाल विधेयक के सरकारी मसौदे को 28 जुलाई को स्वीकृति दे दी थी, जिसमें प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे से बाहर रखा गया है। इसमें कहा गया है कि प्रधानमंत्री से जुड़े मामलों की जांच उनके पद छोड़ने के बाद ही की जा सकेगी।
अन्ना हजारे के नेतृत्व में सामाजिक कार्यकर्ता इसका विरोध कर रहे हैं। वे प्रधानमंत्री को भी इसके दायरे में लाने की मांग कर रहे हैं। अन्ना हजारे ने इसे लेकर मंगलवार को सांसदों को खुला पत्र लिखा और उनसे समर्थन की मांग की। सांसदों को लिखे पत्र में अन्ना हजारे ने कहा है कि ऐसे कई महत्वपूर्ण मुद्दे हैं जो आम आदमी को प्रभावित करने वाले हैं और उन्हें लोकपाल विधेयक में शामिल नहीं किया गया है। इसलिए, केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूर सरकारी विधेयक सांसदों को इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की अनुमति नहीं देगा। उन्होंने कहा, "मुझे यह बताते हुए दुख होता है कि आम आदमी से जुड़ी चिंताओं का समाधान करने वाले कई मुद्दों को विधेयक में पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया है।" अन्ना हजारे ने कहा कि एक कमजोर विधेयक का स्वरूप पेश करना माननीय सांसदों का अपमान है जिनके पास कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने का विकल्प नहीं है। इन मुद्दों को उन्होंने एक सख्त लोकपाल विधेयक के लिए उठाया था।
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