इन उपायों को करने से पहले हमें शेष परिजनों की कुण्डलियों का भी अध्ययन करना चाहिए और सभी से बराबर रकम लेकर उस पैसे को इन उपायों में ख़र्च करना चाहिए। मसलन यदि हमें पितृ-ऋण की शान्ति के लिए उपाय करना है और परिवार में १५ लोग हैं, तो सभी से बराबर धन इकट्ठा कर फिर उसे दान करना चाहिए।
अगर परिवार में कोई व्यक्ति ऐसा है जो इस कार्य में सहभागिता नहीं करना चाहता हो या कोई भौतिक देह त्याग चुका है, तो भी उसे इस कार्य में गिना जाना चाहिए और शान्ति करने वाले को अपनी तरफ़ से उसका हिस्सा जमा रकम में मिला देना चाहिए। हालाँकि मिलाया गया यह अतिरिक्त हिस्सा उस व्यक्ति के असल हिस्से से १० गुना अधिक होना चाहिए। ग़ौरतलब है कि लाल किताब के अनुसार परिवार में सभी ख़ून के संबंधी जैसे कि लड़की, पोती, बहू, बहन, धोहता, पोता, बाबा, पड़दादा, बुआ, पुत्र, स्त्री, बहन, भांजा-भांजी आदि शामिल हैं। इस तरह उपाय करने से जातक ऋण से मुक्त हो जाता है, अन्यथा इन ऋणों के नकारात्मक परिणामों का ख़तरा उस सिर पर सदैव मंडराता रहता है।
इसलिए ज्योतिषी के लिए सबसे पहले कुण्डली में इन ऋणों का पता लगाना निहायत ज़रूरी है। इसके बाद ही उसे अन्य भविष्यवाणियाँ और शान्ति के उपाय बताने चाहिए। जब तक ऋणों से मुक्त होने के उपाय नहीं किए जाएंगे, तब तक बाक़ी उपाय करना भी निष्फल ही साबित होगा।
पितृ-ऋण
लक्षण – लाल किताब के मुताबिक़ दूसरे, पाँचवें, नौवें या बारहवें भाव में जब शुक्र, बुध या राहु या फिर इनकी युति हो, तो जातक पर पितृ-ऋण माना जाता है।
वजह – इसका कारण किसी पास के मंदिर में तोड़-फोड़, पीपल के वृक्ष को काटना या कुल-पुरोहित का अपमान हो सकता है।
उपाय – १. परिवार के सभी सदस्यों से बराबर धन एकत्रित करके किसी मंदिर में दान करना।
२. किसी पीपल के वृक्ष को लगातार ४३ दिन तक पानी देना।
आत्म-ऋण
लक्षण – लाल किताब के अनुसार पाँचवें भाव में जब शुक्र, शनि, राहु या केतु स्थित हों या इनमें से किसी की युति पंचम भाव में हो, तो जातक आत्म-ऋण का भागी माना जाता है।
वजह – इसका कारण पूर्वजों द्वारा परिवार के रीति-रिवाज़ों और परम्पराओं से अलग होना या परमात्मा में अविश्वास हो सकता है।
उपाय – सभी संबंधियों के सहयोग से सूर्य यज्ञ का आयोजन करना चाहिए।
मातृ-ऋण
लक्षण – लाल किताब के मुताबिक़ जब केतु कुण्डली के चौथे खाने में बैठा हुआ हो, तो जातक को मातृ-ऋण से ग्रसित माना जाता है।
वजह – इसका कारण यह हो सकता है कि जातक के कुल में किसी बड़े या पूर्वज ने विवाह या बच्चा होने के बाद अपनी माँ को नज़रअन्दाज़ किया हो अथवा माँ के दुःखी और उदास होने पर उसकी परवाह न की हो।
उपाय – बहते पानी या नदी में एक चांदी का सिक्का बहाना चाहिए।
भ्रातृ-ऋण या संबंधी-ऋण
लक्षण – लाल किताब के अनुसार जब बुध या शुक्र किसी कुण्डली के पहले या आठवें भाव में स्थित हों, तो उस जातक को भ्रातृ-ऋण या संबंधी-ऋण का भागी माना जाता है।
वजह – इसका कारण आपके किसी पूर्वज द्वारा किसी दोस्त या रिश्तेदार के खेत या घर में आग लगाना या फिर भाई या संबंधी के प्रति द्वेष का भाव हो सकता है। इसके अलावा इसकी एक वजह घर में बच्चे के जन्म या उत्सव विशेष के वक़्त घर से दूर रहना भी हो सकता है।
उपाय – सभी परिजनों से रकम इकट्ठी करके किसी हक़ीम या वैद्य को दान करें।
स्त्री-ऋण
लक्षण – लाल किताब के अनुसार जब सूर्य, चन्द्र या राहु या उनकी युति कुण्डली के दूसरे अथवा सातवें भाव में हो, तो जातक स्त्री-ऋण से ग्रसित माना जाता है।
वजह – इसका कारण लोभ या विवाहेतर संबंधों के चलते पत्नी या परिवार की किसी स्त्री की हत्या की संभावना या किसी गर्भवती महिला को हानि पहुँचाना हो सकता है।
उपाय – दिन के किसी समय पर १०० गायों को हरा चारा खिलाया जाना चाहिए।
पुत्री-ऋण या भगिनी-ऋण
लक्षण – लाल किताब के मुताबिक़ बुध जब कुण्डली के तीसरे या छठे भाव में बैठा हो, तो जातक को इस ऋण का भागी माना जाता है।
वजह – इसकी वजह किसी की बहन या बेटी की हत्या या उन्हें परेशान करने की संभावना हो सकती है, या फिर किसी अविवाहित स्त्री या बहन के साथ विश्वासघात भी इसका कारण हो सकता है।
उपाय – सारे परिजन पीले रंग की कौड़ियाँ लेकर एक जगह इकट्ठी करके जलाकर राख कर दें और उस राख को उसी दिन नदी में विसर्जित कर दें।
क्रूरता-ऋण
लक्षण – लाल किताब के अनुसार जब सूर्य, चन्द्रमा या मंगल या इनमें से किसी की युति कुण्डली के दसवें या बारहवें भाव में हो, तो जातक को इस ऋण से ग्रसित माना जाता है।
वजह – इसका कारण किसी की ज़मीन या पुश्तैनी घर ज़बरन हड़पना या फिर मकान-मालिक को उसके मकान या भूमि का पैसा न देना हो सकता है।
उपाय – अलग-अलग जगह के सौ मज़दूरों या मछलियों को सभी परिजन धन इकट्ठा करके एक दिन में भोजन कराएँ।
अजात-ऋण या पैदा ही न हुए का ऋण
लक्षण – लाल किताब के मुताबिक़ जब सूर्य, शुक्र या मंगल या फिर इन ग्रहों की युति कुण्डली के बारहवें भाव में हो, तो जातक इस ऋण का भागी कहलाता है।
वजह – इसका कारण ससुराल-पक्ष के लोगों के साथ छल या फिर किसी को धोखा देने पर उसके पूरे परिवार का बर्बाद हो जाना है।
उपाय – सभी परिजनों से एक-एक नारियल लेकर उन्हें एक जगह इकट्ठा करें और उसी दिन नदी में प्रवाहित कर दें।
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