शिमला, 19 अगस्त
पूर्व केंद्रीय मंत्री व वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह को उनकी पुस्तक 'जिन्ना-इंडिया, पार्टिशन, इंडीपेंडेंस' में मोहम्मद अली जिन्ना की तारीफ करना और सरदार वल्लभ भाई पटेल को देश के विभाजन के लिए जिम्मेदार ठहराना आखिकार महंगा पड़ गया। पार्टी से उनकी प्राथमिक सदस्यता समाप्त कर दी गई है।
जसवंत ने पार्टी के इस फैसले पर दुख जताते हुए कहा है, "कभी वह पार्टी के लिए हनुमान हुआ करते थे लेकिन आज वह रावण बन गए हैं।"
शिमला में बुधवार को आरंभ हुई पार्टी की तीन दिवसीय चिंतन बैठक के पहले ही दिन पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने जसवंत के खिलाफ कार्रवाई की यह घोषणा की। उन्होंने संवाददताओं से बातचीत में कहा, "संसदीय बोर्ड ने उन्हें पार्टी से निष्कासित करने का फैसला किया है। उनकी प्राथमिक सदस्यता भी समाप्त कर दी गई है।"
उन्होंने कहा, "जसंवत सिंह को कल ही यह संदेश भेज दिया गया था कि वह चिंतन बैठक में शामिल न हों।" भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि जसवंत सिंह इस फैसले के बाद पार्टी के किसी फोरम के सदस्य नहीं रहेंगे न ही उनके पास किसी प्रकार का पद अथवा जिम्मेदारी रहेगी। उन्होंने कहा, "मैं पहले ही स्पष्ट कर चुका हूं कि जसंवत सिंह द्वारा लिखित पुस्तक में मोहम्मद अली जिन्ना के बारे में व्यक्त किए गए उनके विचारों से भाजपा ने खुद को अलग कर लिया है।"
जसवंत चिंतन बैठक में शामिल होने के लिए मंगलवार शाम ही शिमला पहुंच चुके थे। वह अन्य भाजपा नेताओं से अलग होटल में ठहरे और लालकृष्ण आडवाणी की ओर से मंगलवार को दिए गए रात्रिभोज से भी अनुपस्थित रहे। आडवाणी, राजनाथ सिंह और सुषमा स्वराज सहित अन्य सभी नेता राज्य सरकार के गेस्ट हाउस 'पीटरहॉफ' में ठहरे थे वहीं जसवंत सिंह ने ओबेरॉय समूह के होटल 'सेसिल' में रात गुजारी।
पार्टी का फैसला आने के चंद घंटों बाद ही जसवंत ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि उन्हें इस बात का दुख है कि सिर्फ एक किताब लिखने की वजह से उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया।
उन्होंने कहा, "चिंता और दु:ख है कि मात्र एक किताब लिखने के लिए पार्टी से मुझे निकाल दिया गया। मेरा मानना है कि राजनीति में या राजनीतिक दलों में जिस दिन सोच-विचार, चिंतन-मनन, लेखन-पठन बंद हो जाएगा..उस दिन हम लोग एक अंधकारपूर्ण गली में प्रवेश कर जाएंगे।"
उन्होंने कहा, "मुझे याद है जब मैं अटलजी की सरकार में मंत्री था तो एक प्रसिद्ध पत्रिका ने एक कार्टून बनाया था और उसमें मुझे हनुमान के रूप में दिखाया गया था। वह हनुमान आज रावण बन गया है। ऐसे में दुख तो होता ही है।"
पार्टी के फैसले से आहत जसवंत ने कहा, "मैं पार्टी के शुरूआती सदस्यों में से एक हूं। मैं आभारी हूं कि 30 वर्षो के अपने राजनीतिक जीवन के दौरान वक्त-बेवक्त काम करने के लिए मुझे कई जिम्मेदारियां सौंपी गई और यथाशक्ति मैंने उन्हें निभाने की कोशिश की। लेकिन दु:ख होता है कि 30 सालों का मेरा संबंध इस प्रकार से समाप्त हुआ।"
उन्होंने कहा, "पार्टी को यही निर्णय लेना था तो अध्यक्षजी ने मुझे दिल्ली में ही बता दिया होता कि शिमला मत आओ। मेरी किताब में कांग्रेस मीन-मेख निकाले तो बात समझ में आती है लेकिन भाजपा करे यह समझ से परे है।" सिंह ने कहा, "बेहतर होता अगर मुझे पार्टी से निकाले जाने के निर्णय के बारे में फोन पर नहीं बल्कि व्यक्तिगत रूप से सूचित किया जाता।"
उन्होंने स्पष्ट किया कि वह पार्टी की लोकसभा चुनावों में हुई हार के संबंध में उनके द्वारा तैयार किए दस्तावेज को दिल्ली वापस पह़ुंचने पर मीडिया को उपलब्ध करवाएंगे। सिंह ने कहा इस दस्तावेज में कुछ सवाल उठाए गए हैं और उन्हें पार्टी नेतृत्व ने आश्वस्त किया था कि इन पर चिंतन बैठक में चर्चा होगी। सिंह ने स्पष्ट कहा, "मेरा राजनीतिक जीवन अभी समाप्त नहीं हुआ है।"
उधर, नई दिल्ली में पार्टी मंच से कहा गया कि वह विचारधारा के मामले में कोई भी समझौता नहीं करेगी। पार्टी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री व वरिष्ठ नेता जसंवत सिंह को भाजपा से निकाले जाने को विचारधारा से मुंह मोड़ने का परिणाम बताया है।
पार्टी प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने संवाददाताओं से चर्चा में कहा, "जसंवत सिंह के खिलाफ आज लिए गए फैसले से स्पष्ट हो गया है कि पार्टी विचारधारा से कोई समझौता नहीं करेगी। जसवंत सिंह ने अपनी पुस्तक 'जिन्ना-इंडिया, पार्टिशन, इंडीपेंडेंस' में मोहम्मद अली जिन्ना और सरदार वल्लभ भई पटेल के बारे में जो विचार व्यक्त किए हैं हम उससे सहमत नहीं हैं।"
पार्टी के एक अन्य प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने एक टेलीविजन चैनल से बातचीत में कहा, "जसवंत सिंह ने अपनी पुस्तक में मोहम्मद अली जिन्ना और सरदार पटेल के बारे में जो विचार व्यक्त किए हैं वह पार्टी की विचारधारा के विपरीत है। मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि जसवंत सिंह को सिर्फ किताब की वजह से पार्टी से निकाला गया है न कि किसी अन्य कारण से।"
(IANS)
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