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बहुत काम की है प्रश्न कुंडली

प्रश्‍न कुण्‍डली वास्‍तव में समय विशेष की एक कुण्‍डली है जो उस समय बनाई जाती है, जब जातक प्रश्‍न पूछता है। यानि जातक द्वारा पूछे गए प्रश्‍न का ही भविष्‍य देखने का प्रयास किया जाता है। यह सवाल कुछ भी हो सकता है। मेरा मानना है कि किसी सवाल का जवाब देने के लिए प्रश्‍न कुण्‍डली सर्वाधिक उपयुक्‍त तरीका है। प्रश्‍न के सामने आते ही उस समय की कुण्‍डली बना ली जाए। इससे समय के फेर की समस्‍या नहीं रहती। इसके साथ ही जातक की मूल कुण्‍डली भी मिल जाए और वह प्रश्‍न कुण्‍डली को इको करती हो तो सवाल का जवाब ढूंढना आसान हो जाता है।

दूसरा बिंदु है जातक के सवाल का सही होना।

जातक का सवाल सही नहीं होने पर प्रश्‍न और कुण्‍डली एक दूसरे के पूरक नहीं बन पाते हैं। ऐसे में प्रश्‍न कुण्‍डली बनाने के साथ ही ज्‍योतिषी को प्रश्‍न के स्‍वभाव का प्रारंभिक अनुमान भी कर लेना चाहिए। इससे प्रश्‍न में बदलाव की संभावना कम होती है। ज्‍योतिष कार्यालय चलाने वाले लोगों को पता है कि एक दिन में एक ही प्रकार की समस्‍याओं वाले लोग अधिक आते हैं। पूर्व में मैंने में ज्‍योतिष कार्यालय खोला था। तब मुझे यह बात शिद्दत से महसूस हुई थी। जिस दिन गोचर में चंद्रमा और शनि की युति थी उस दिन तो पूरे दिन मानसिक समस्‍याओं से घिरे लोग ही आए। हां मानसिक समस्‍याओं का प्रकार लग्‍न और अन्‍य ग्रहों के कारण बदल जाता। किसी को सिजोफ्रीनिया था, तो किसी को क्रोनिक डिप्रेशन, कोई दिमागी सुस्‍ती का शिकार था तो कोई शारीरिक बीमारी के कारण मानसिक रूप से परेशान मिला। इस तरह एक ओर विश्‍लेषण आसान हो जाता है तो दूसरी और पिछली बातें स्‍पष्‍ट करने के बजाय भविष्‍य कथन में अधिक ध्‍यान लगाया जा सकता है।

छ्द्म सवाल-
प्रश्‍न कुण्‍डली से जवाब देने में छद्म सवाल सबसे बड़ी बाधा है। आपने जातक के सवाल को सुनकर जो कुण्‍डली बनाई है अगर वह कुण्‍डली सवाल से मैच नहीं कर रही है तो समझ लीजिए कि सवाल छद्म है। इससे दूसरी परेशानी यह पैदा होती है कि न तो आप जातक को पिछली बातें सही बता पाते हैं न भविष्‍य कथन सही कर पाते हैं।

प्रश्‍न कुण्‍डली के फायदे -
जन्‍म समय का फेर नहीं होता
हाथों हाथ तैयार हो जाती है
सवाल के जवाब स्‍पष्‍ट मिलते हैं
हर तरह के सवाल का जवाब  दिया जा सकता है
जिन लोगों को जन्‍म समय नहीं है उनके लिए यह वरदान है
कई सवालों के सटीक जवाब मिलते हैं
हां और ना के अधिक सही जवाब मिल सकते हैं

-सिद्धार्थ जोशी

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