Tirchhi Nazar RSS Feed
Subscribe Magazine on email:    

दिखाने की बॉडी और…

आलोक पुराणिक

जिम देखो, कैसा भला सा नाम है, पर किसी जिम में घुस कर देखो, तो कैसी भयंकर भयंकर बाडियां दिखायी देती हैं, फोटुओं में।

कई बालक उन फोटुओँ को देखते हुए कुछ कुछ करते दिखायी देते हैं, बाद में कुछ पाऊडर टाइप खाकर मसल फुलाते हैं, जो वैसे फूलती दिखती नहीं हैं, पर बालकों को फूलती हुई दिख जाती हैं।

जिम में करीना कपूर के फोटू थे, कुछ विदेशी सी दिखने वाली बालाओं के फोटू थे। अलबत्ता करीनाजी का और विदेशी बालाओँ का मसल्स से रिश्ता साफ दिखायी नहीं पड़ रहा था। करीनाजी खुद मसलवान नहीं हैं, और किसी मसलयुक्त नौजवान में उनकी दिलचस्पी अभी तक साफ नहीं हुई है। शाहिद कपूर, जो उनकी पहली पसंद थे, मसल्स के लिए नहीं जाने जाते थे और दूसरी पसंद सैफ अली खान भी कई अफेयरों के जाने जाते हैं, कई मसलों के नहीं जाने जाते।

खैर बात तो जिम की हो रही थी। जिम के बजाय ऐसे संस्थानों का नाम भीमशाला होना चाहिए।

हालांकि भीम के नाम पर इनका नाम रखा जाना भी गलत है, भीम ने कभी भी इस तरह से अपनी मसल फुलाने की कोशिश नहीं की।

भीम की बाडी दिखती भी थी और वह वास्तव में काम आती थी भी।

पर जिम के कई बंदे बताते हैं कि बाडी बनाने का मतलब यह नहीं है कि हम पहलवान हैं। हम बाडी बिल्डर हैं। अबे जब तुम पहलवान हो ही नहीं, तो बाडी काहे बना रहे हो। दिखाने को। इन्हे तो बाडी शोमैन कहा जाना चाहिए।

वो कहावत है ना, हाथी के दांत खाने के और दिखाने के और, अब नये हालात में कहावत रिवाइज होनी चाहिए, बाडी दिखाने की और चलाने की और।

वैसे बाडी का मामला भी अब कुछ यूं ही सा हो गया है। जब से फिल्म की स्टोरियां गांवों से शिफ्ट होकर न्यूयार्क लंदन चली गयी हैं, तब से बाडी बनाने पर जोर कुछ कम सा हो लिया है। अब हीरो डंबल, मुगदर नहीं, लैपटाप वगैरह चलाता हुआ दिखता है। विलेन भी अब बाडी वगैरह पर जोर देते नहीं दिखते। जब से एनआरआई फिल्मों में आने लगे हैं, बाडी बिल्डिंग का रोल फिल्मों में कुछ कम हो गया है।

वैसे दूसरे एंगल से देखो, तो बाडी निर्माण का मामला कुछ- कुछ राष्ट्र निर्माण का सा हो लिया है। घपला दिखता है। मतलब बाडी का निर्माण होता दिखता है, पर किसी काम का नहीं दिखता। वैसे ही राष्ट्र निर्माण का हल्ला होता दिखता है, पर ज्यादा काम का नहीं दिखता, जब अपने मुहल्ले की नालियां भरी हों और बिजली गायब हो।

पर जिम में बाडी निर्माण हो रहा है, धुआंधार हो रहा है, रिजल्ट भले ही कुछ ना आ रहे हों। पर इससे फर्क नहीं पड़ता, राष्ट्र निर्माण के बारे में भी तो यही कहा जा सकता है। राष्ट्र निर्माताओं ने अपने प्रयासों में कोई कमी थोड़े ही की है।


 

More from: Tirchhi-Nazar
644

ज्योतिष लेख

मकर संक्रांति 2020 में 15 जनवरी को पूरे भारत वर्ष में मनाया जाएगा। जानें इस त्योहार का धार्मिक महत्व, मान्यताएं और इसे मनाने का तरीका।

Holi 2020 (होली 2020) दिनांक और शुभ मुहूर्त तुला राशिफल 2020 - Tula Rashifal 2020 | तुला राशि 2020 सिंह राशिफल 2020 - Singh Rashifal 2020 | Singh Rashi 2020