29 मई 2011
अशोकनगर। यदि आप मध्य प्रदेश के अशोकनगर में रहते हैं और बंदूक का लाइसेंस पाना चाहते हैं, तो आपको सामाजिक हित में काम करना होगा। आपको अपने खेत में तालाब खुदवाना होगा या 10 गरीब परिवारों को आवास में शौचालय बनाने के लिए प्रेरित करना पड़ेगा या फिर 10 लोगों को परिवार नियोजन के लिए तैयार करना होगा। इन तीन में से किसी एक विकल्प को पूरा करने पर ही आपको बंदूक का लाइसेंस मिल सकता है।
दरअसल, मध्य प्रदेश के कई इलाकों में बंदूक का लाइसेंस जरूरत के साथ-साथ रुतबे का भी प्रतीक हो गया है। इनमें ग्वालियर-चम्बल इलाका प्रमुख है। आए दिन यहां के लोग बंदूक के लाइसेंस के लिए आवेदन करते रहते हैं, जो प्रशासन के लिए परेशानी का सबब बन रहा है।
लाइसेंस के लिए तरह-तरह के दबाव के बीच इलाके के अशोकनगर में जिला प्रशासन ने उन लोगों को लाइसेंस देने में प्राथमिकता देने की बात कही है, जो उक्त तीन शर्तो में से किसी एक को पूरा करेंगे।
जिलाधिकारी ए. के. सिंह ने बताया कि लाइसेंस के लिए उक्त शर्ते तय करने का मकसद आवेदकों की भीड़ कम करना है। साथ ही इससे सामाजिक कल्याण की सरकारी योजनाओं में जन भागीदारी भी बढ़ेगी।
इससे पहले शिवपुरी तथा सागर में परिवार नियोजन को प्रोत्साहित करने वालों को लाइसेंस देने में प्राथमिकता का प्रावधान किया जा चुका है।
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