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गृह प्रवेश मुहूर्त 2019

यहाँ जाने साल 2019 में गृह प्रवेश के लिए कौन सी तारीख, तिथि और मुहूर्त रहेगी उपयुक्त। इसके अलावा जानें गृह प्रवेश मुहूर्त के दौरान ध्यान रखी जाने वाली कुछ ख़ास बातों के बारे में।

गृह प्रवेश मुहूर्त 2019

गृह प्रवेश मुहूर्त 2019
दिनाँक दिन तिथि नक्षत्र समय
21 जनवरी 2019 सोमवार पूर्णिमा पुष्य नक्षत्र में 10:46 - 26:27 बजे तक
24 जनवरी 2019 गुरुवार चतुर्थी पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में 20:54 - 31:13 बजे तक
25 जनवरी 2019 शुक्रवार पंचमी उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में 07:13 - 16:25 बजे तक
26 जनवरी 2019 शनिवार षष्ठी हस्ता नक्षत्र में 15:04 - 31:12 बजे तक
28 जनवरी 2019 सोमवार अष्टमी स्वाति नक्षत्र में 07:12 - 14:28 बजे तक
30 जनवरी 2019 बुधवार दशमी अनुराधा नक्षत्र में 15:38 - 16:40 बजे तक
06 फरवरी 2019 बुधवार द्वितीया धनिष्ठा नक्षत्र में 07:07 - 31:06 बजे तक
07 फरवरी 2019 गुरुवार द्वितीया शतभिषा नक्षत्र में 07:06 - 12:09 बजे तक
09 फरवरी 2019 शनिवार चतुर्थी उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में 12:26 - 31:04 बजे तक
15 फरवरी 2019 शुक्रवार दशमी मृगशिरा नक्षत्र में 07:27 - 20:52 बजे तक
20 फरवरी 2019 बुधवार प्रतिपदा मघा नक्षत्र में 29:04 - 30:55 बजे तक
21 फरवरी 2019 गुरुवार द्वितीया उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में 06:55 - 23:11 बजे तक
23 फरवरी 2019 शनिवार चतुर्थी चित्रा नक्षत्र में 08:11 - 30:52 बजे तक
25 फरवरी 2019 सोमवार सप्तमी विशाखा नक्षत्र में 22:08 - 30:50 बजे तक
02 मार्च 2019 शनिवार एकादशी उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में 11:30 - 30:45 बजे तक
04 मार्च 2019 सोमवार त्रयोदशी श्रवण नक्षत्र में 12:10 - 16:29 बजे तक
07 मार्च 2019 गुरुवार प्रतिपदा उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में 20:54 - 30:40 बजे तक
08 मार्च 2019 शुक्रवार द्वितीया उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में 06:40 - 30:38 बजे तक
09 मार्च 2019 शनिवार तृतीया रेवती नक्षत्र में 06:38 - 21:39 बजे तक
13 मार्च 2019 बुधवार सप्तमी रोहिणी नक्षत्र में 06:34 - 28:23 बजे तक
16 मार्च 2019 शनिवार दशमी पुनर्वसु नक्षत्र में 26:13 - 28:31 बजे तक
20 मार्च 2019 बुधवार चतुर्दशी पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में 20:58 - 30:25 बजे तक
21 मार्च 2019 गुरुवार पूर्णिमा उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में 06:25 - 07:13 बजे तक
19 अप्रैल 2019 शुक्रवार पूर्णिमा चित्रा नक्षत्र में 16:42 - 29:51 बजे तक
20 अप्रैल 2019 शनिवार प्रतिपदा स्वाति नक्षत्र में 05:51 - 17:58 बजे तक
25 अप्रैल 2019 गुरुवार षष्ठी पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में 25:39 - 29:45 बजे तक
26 अप्रैल 2019 शुक्रवार सप्तमी उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में 05:45 - 23:14 बजे तक
29 अप्रैल 2019 सोमवार दशमी शतभिषा नक्षत्र में 08:02 - 29:42 बजे तक
02 मई 2019 गुरुवार त्रयोदशी उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में 06:42 - 27:21 बजे तक
06 मई 2019 सोमवार द्वितीया रोहिणी नक्षत्र में 16:36 - 29:36 बजे तक
10 मई 2019 शुक्रवार षष्ठी पुनर्वसु नक्षत्र में 14:21 - 29:33 बजे तक
11 मई 2019 शनिवार सप्तमी पुष्य नक्षत्र में 05:33 - 13:13 बजे तक
16 मई 2019 गुरुवार त्रयोदशी चित्रा नक्षत्र में 05:42 - 20:20 बजे तक
18 मई 2019 शनिवार पूर्णिमा विशाखा नक्षत्र में 26:22 - 26:41 बजे तक
23 मई 2019 गुरुवार पंचमी उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में 05:27 - 23:48 बजे तक
25 मई 2019 शनिवार सप्तमी श्रवण नक्षत्र में 19:36 - 23:43 बजे तक
29 मई 2019 बुधवार दशमी उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में 15:21 - 28:04 बजे तक
30 मई 2019 गुरुवार एकादशी रेवती नक्षत्र में 05:24 - 22:15 बजे तक
03 जून 2019 सोमवार पूर्णिमा रोहिणी नक्षत्र में 15:32 - 26:48 बजे तक
07 जून 2019 शुक्रवार चतुर्थी पुष्य नक्षत्र में 07:38 - 18:56 बजे तक
10 जून 2019 सोमवार अष्टमी पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में 14:21 - 22:24 बजे तक
12 जून 2019 बुधवार दशमी चित्रा नक्षत्र में 11:51 - 27:37 बजे तक
13 जून 2019 गुरुवार एकादशी चित्रा नक्षत्र में 16:49 - 28:07 बजे तक
14 जून 2019 शुक्रवार द्वादशी स्वाति नक्षत्र में 05:23 - 10:16 बजे तक
18 जुलाई 2019 गुरुवार द्वितीया श्रवण नक्षत्र में 25:34 - 29:35 बजे तक
19 जुलाई 2019 शुक्रवार द्वितीया धनिष्ठा नक्षत्र में 05:35 - 20:03 बजे तक
22 जुलाई 2019 सोमवार पंचमी पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में 10:24 - 29:37 बजे तक
24 जुलाई 2019 बुधवार सप्तमी रेवती नक्षत्र में 05:38 - 14:54 बजे तक
27 जुलाई 2019 शनिवार दशमी कृतिका नक्षत्र में 19:46 - 28:45 बजे तक
29 जुलाई 2019 सोमवार द्वादशी मृगशिरा नक्षत्र में 08:00 - 18:22 बजे तक
01 अगस्त 2019 गुरुवार पूर्णिमा पुष्य नक्षत्र में 08:42 - 12:11 बजे तक
05 अगस्त 2019 सोमवार पंचमी हस्ता नक्षत्र में 23:47 - 29:45 बजे तक
07 अगस्त 2019 बुधवार सप्तमी स्वाति नक्षत्र में 05:46 - 11:41 बजे तक
09 अगस्त 2019 शुक्रवार नवमी अनुराधा नक्षत्र में 10:00 - 21:58 बजे तक
12 अगस्त 2019 सोमवार द्वादशी पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में 26:51 - 29:49 बजे तक
15 अगस्त 2019 गुरुवार पूर्णिमा श्रवण नक्षत्र में 08:02 - 15:59 बजे तक
14 अक्टूबर 2019 सोमवार प्रतिपदा रेवती नक्षत्र में 06:21 - 09:32 बजे तक
18 अक्टूबर 2019 शुक्रवार चतुर्थी रोहिणी नक्षत्र में 07:29 - 27:22 बजे तक
19 अक्टूबर 2019 शनिवार पंचमी मृगशिरा नक्षत्र में 14:45 - 17:40 बजे तक
21 अक्टूबर 2019 सोमवार सप्तमी पुनर्वसु नक्षत्र में 17:32 - 29:25 बजे तक
25 अक्टूबर 2019 शुक्रवार द्वादशी पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में 11:00 - 30:03 बजे तक
28 अक्टूबर 2019 सोमवार पूर्णिमा स्वाति नक्षत्र में 09:08 - 25:00 बजे तक
30 अक्टूबर 2019 बुधवार तृतीया अनुराधा नक्षत्र में 06:32 - 21:59 बजे तक
02 नवंबर 2019 शनिवार षष्ठी पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में 23:01 - 30:23 बजे तक
04 नवंबर 2019 सोमवार अष्टमी श्रवण नक्षत्र में 27:23 - 28:57 बजे तक
06 नवंबर 2019 बुधवार नवमी धनिष्ठा नक्षत्र में 07:21 - 30:37 बजे तक
07 नवंबर 2019 गुरुवार दशमी शतभिषा नक्षत्र में 06:37 - 08:41 बजे तक
08 नवंबर 2019 शुक्रवार एकादशी पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में 12:24 - 30:39 बजे तक
09 नवंबर 2019 शनिवार द्वादशी उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में 06:39 - 30:40 बजे तक
13 नवंबर 2019 बुधवार प्रतिपदा कृतिका नक्षत्र में 22:00 - 30:43 बजे तक
14 नवंबर 2019 गुरुवार द्वितीया रोहिणी नक्षत्र में 06:43 - 30:44 बजे तक
15 नवंबर 2019 शुक्रवार तृतीया मृगशिरा नक्षत्र में 06:44 - 07:53 बजे तक
18 नवंबर 2019 सोमवार षष्ठी पुष्य नक्षत्र में 06:46 - 17:10 बजे तक
21 नवंबर 2019 गुरुवार दशमी उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में 18:29 - 22:17 बजे तक
22 नवंबर 2019 शुक्रवार एकादशी उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में 09:01 - 16:41 बजे तक
23 नवंबर 2019 शनिवार द्वादशी हस्ता नक्षत्र में 14:44 - 30:51 बजे तक
27 नवंबर 2019 बुधवार प्रतिपदा अनुराधा नक्षत्र में 06:53 - 08:12 बजे तक
30 नवंबर 2019 शनिवार पंचमी उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में 18:05 - 23:14 बजे तक
02 दिसंबर 2019 सोमवार षष्ठी श्रवण नक्षत्र में 11:43 - 30:58 बजे तक
04 दिसंबर 2019 बुधवार अष्टमी शतभिषा नक्षत्र में 12:28 - 17:09 बजे तक
05 दिसंबर 2019 गुरुवार नवमी पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में 28:15 - 31:00 बजे तक
06 दिसंबर 2019 शुक्रवार दशमी उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में 07:00 - 16:30 बजे तक
07 दिसंबर 2019 शनिवार एकादशी रेवती नक्षत्र में 17:03 - 19:35 बजे तक
11 दिसंबर 2019 बुधवार चतुर्दशी कृतिका नक्षत्र में 22:54 - 31:04 बजे तक
12 दिसंबर 2019 गुरुवार प्रतिपदा मृगशिरा नक्षत्र में 07:04 - 10:42 बजे तक
27 दिसंबर 2019 शुक्रवार प्रतिपदा पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में 17:30 - 31:13 बजे तक
28 दिसंबर 2019 शनिवार द्वितीया उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में 07:13 - 18:43 बजे तक
30 दिसंबर 2019 सोमवार चतुर्थी धनिष्ठा नक्षत्र में 13:55 - 31:14 बजे तक
गृह प्रवेश मुहूर्त 2019 (पुराने घर में प्रवेश के लिए)
दिनाँक दिन तिथि नक्षत्र समय
26 जनवरी 2019 शनिवार षष्ठी हस्ता नक्षत्र में 15:04 - 31:12 बजे तक
30 जनवरी 2019 बुधवार दशमी अनुराधा नक्षत्र में 15:38 - 16:40 बजे तक
19 अप्रैल 2019 शुक्रवार पूर्णिमा चित्रा नक्षत्र में 16:42 - 19:29 बजे तक
02 मई 2019 गुरुवार त्रयोदशी उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में 06:42 - 27:21 बजे तक
06 मई 2019 सोमवार द्वितीया कृतिका नक्षत्र में 16:36 - 19:36 बजे तक
16 मई 2019 गुरुवार द्वादशी हस्ता नक्षत्र में 05:42 - 20:20 बजे तक
18 मई 2019 शनिवार पूर्णिमा विशाखा नक्षत्र में 26:22 - 26:41 बजे तक
23 मई 2019 गुरुवार पंचमी उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में 05:27 - 23:48 बजे तक
29 मई 2019 बुधवार दशमी उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में 15:21 - 28:04 बजे तक
30 मई 2019 गुरुवार एकादशी रेवती नक्षत्र में 05:24 - 22:15 बजे तक
03 जून 2019 सोमवार पूर्णिमा रोहिणी नक्षत्र में 15:32 - 26:48 बजे तक
10 जून 2019 सोमवार अष्टमी पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में 14:21 - 22:24 बजे तक
13 जून 2019 गुरुवार एकादशी चित्रा नक्षत्र में 11:51 - 27:37 बजे तक

गृह प्रवेश

घर वो जगह है जहाँ हर व्यक्ति अपने परिवार के सदस्यों के साथ सुख, शांति, समृद्धि, प्यार और विश्वास के साथ रहने की लालसा रखता है। कहते हैं कि घर केवल ईंट पत्थरों से ही नहीं बल्कि वहां रहने वाले लोगों से भी बनता है। हर व्यक्ति अपने जीवन का सबसे ज्यादा वक़्त अपने घर में ही व्यतीत करता है। इसलिए जब व्यक्ति अपने एक घर से दूसरे घर में जाता है तो सबसे पहले इसी बात की उम्मीद रखता है कि पुराने घर की ही तरह उसके नए घर में भी सुख शान्ति और समृद्धि बरक़रार रहे। नये घर में प्रवेश के लिए खासकर के ज्योतिषचार्यों से गृह प्रवेश के लिए उचित समय, दिन और मुहूर्त निकलवाया जाता है।

विस्तार से जानें गृह प्रवेश के बारे में !

आपके नये घर में प्रवेश के बाद किसी प्रकार की विघ्न, विपदा या धन धान्य में कमी ना आये इसलिए प्राचीन काल में कुछ ज्योतिषाचार्यों ने विशेष रूप से एक विधि तैयार की थी जिसके अनुसार एक ख़ास समय, वक़्त और दिन में किया गया कार्य सबसे ज्यादा फलदायक होता है। इस प्राचीन विधि को आजकल लोग गृह प्रवेश के दौरान उपयोग करते हैं जिसे मुख्य रूप से गृह प्रवेश मुहूर्त के रूप में भी जाना जाता है।

एक घर से दूसरे घर में प्रवेश एक नये जीवन की दिशा में कदम उठाना कहलाता है, फिर चाहे घर नया हो, पुराना हो या फिर किराये का ही क्यों ना हो। किसी भी घर पे पड़ने वाले वास्तु, शांति या फिर अन्य प्रकार के दोषों का प्रभाव सीधे रूप से व्यक्ति के विचारों पर पड़ता है क्योंकि व्यक्ति अपने जीवन के सभी अहम फैसले घर में ही लेता है। गौरतलब है कि गृह प्रवेश मुहूर्त विशेष रूप से इन सभी दोषों को दूर करने के लिए ही किया जाता है, ताकि घर से नकारात्मक ऊर्जा बाहर जाए और सकारात्मक ऊर्जा का संचरण हो।

सामन्य रूप से गृह प्रवेश तीन प्रकार के होते हैं :-

  • अपूर्व गृह प्रवेश : जब सीधे तौर पर नए बनाये गए घर में मुहूर्त के हिसाब से गृह प्रवेश किया जाता है तो उसे अपूर्व गृह प्रवेश कहते हैं।
  • सपूर्व गृह प्रवेश : जब व्यक्ति किसी किराये के घर में या फिर खुद के ही घर में काफी सालों के बाद वापिस आता है तो उस दौरान होने वाले गृह प्रवेश की क्रिया को सपूर्व गृह प्रवेश कहते हैं।
  • द्वंद्वव गृह प्रवेश : जब किसी परेशानी या समस्या की वजह से किसी को खुद का घर छोड़कर कहीं और जाना पड़ता है और सालों बाद जब उसी घर में वापसी की जाती है तो उसे द्वंद्वव गृह प्रवेश कहते हैं।

क्या है गृह प्रवेश मुहूर्त की महत्ता ?

आजकल के नये विचारों और सोच वाले लोग अमूमन हर चीज अपनी मनमर्जी और सुविधानुसार करने में यकीन रखते हैं। हर किसी को आजकल बेहद शार्टकट तरीकों से काम करने की आदत पड़ चुकी है फिर चाहे वो पूजा पाठ हो या अन्य कोई काम। इसलिए आजकल ज्यादातर देखा जाता है की नए ज़माने के लोग नया घर तो शौक से ले लेते हैं लेकिन उस घर में प्रवेश से पहले गृह प्रवेश मुहूर्त का ध्यान नहीं रखते हैं। लिहाजा उन्हें अपने जीवन में बाद में बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। गौरतलब है कि गृह प्रवेश का सही मुहूर्त और सम्पूर्ण विधि विधान का ख़ास ध्यान रखना चाहिए तभी जिंदगी में असमय आने वाले विपदाओं से बचा जा सकता है।

हिन्दू धर्मशास्त्र में एक निर्धारित मुहूर्त और समय पर गृह प्रवेश करना बेहद आवश्यक माना गया है। जिस वक़्त कोई मकान बन रहा होता है उस वक़्त उस घर में बहुत से लोगों का आना जाना होता है। घर की छत बन जाने के बाद वहां नकारात्मक और सकारत्मक दोनों तरह की शक्तियों का वास होता है। अक्सर घर में रहने वाले व्यक्तियों पर नकारात्मक शक्तियां जल्दी हावी होती हैं। दूसरी तरफ जब कोई किसी किराए के घर में जाता है तो उस घर में भी बहुत सी ऐसी घटना आमतौर पर हो चुकी होती हैं जो वहां आकर रहने वाले नये लोगों के जीवन को भी प्रभावित करती है। इसलिए किसी भी नए घर में प्रवेश से पहले ज्योतिषाचार्यों के द्वारा शुभ मुहूर्त निकलवाकर घर का शुद्धिकरण करवाया जाता है जिससे स्थान परिवर्तन के वाबजूद भी वास्तु दोष और नजर दोष इत्यादि से छुटकारा मिलता है।

क्या है गृह प्रवेश मुहूर्त करने के प्रमुख लाभ?

गृह प्रवेश से होने वाले प्रमुख लाभों की बात करें तो एक निश्चित समय, अवधि और काल में परिवार के सभी सदस्यों की कुंडली और नक्षत्रों को ध्यान में रखकर किये गए गृह प्रवेश का घर के सभी व्यक्तियों के जीवन पर सकरात्मक प्रभाव पड़ता है। ऐसी मान्यता है कि गृह प्रवेश मुहूर्त करने से परिवार के सभी सदस्यों के बीच आत्मीयता का भाव बना रहता है, स्वास्थ्य ठीक रहता है, आर्थिक स्थिति बेहतर बनी रहती है और घर में देवी देवताओं का वास होता है।

अगर गृह प्रवेश के दौरान उचित पूजा विधि और मंत्रोउच्चारण न किये जाएँ तो इससे नये घर में भी वास्तुदोष और नकारात्मक शक्तियों का वास रहता है जो कि बाद में परिवार के सभी सदस्यों के लिए हानिकारक साबित होता है। इसके फलस्वरूप आये दिन घर में कुछ ना कुछ मुसीबतें और अन्य समस्याएं बनी ही रहती है. इसलिए गृह प्रवेश पूजा और इस दौरान किये जाने वाले मंत्र जाप का विशेष महत्व है क्योंकि ये परिवार में शांति और सुख स्थापित करने का कारक माना जाता है। तो अब आप जान चुके होंगें की वास्तव में गृह प्रवेश मुहूर्त करने के कौन से प्रमुख लाभ होते हैं।

क्या है गृह प्रवेश मुहूर्त की सही विधि

  • सबसे पहले ये जान लेना बेहद आवश्यक है कि गृह प्रवेश मुहूर्त का सही लाभ तभी मिल पाता है जब गृह प्रवेश सही विधि विधान के साथ उचित समय पर किया जाता है।
  • हमेशा गृह प्रवेश मुहूर्त किसी भी ज्योतिषी के द्वारा व्यक्ति की कुंडली और नक्षत्रों के अनुसार ही निकलवाना चाहिए।
  • गृह प्रवेश के समय पति पत्नी को साथ में कलश के साथ मंगल गीत गाते हुए ही घर में प्रवेश करना चाहिए।
  • घर में प्रवेश के वक़्त सबसे पहले स्त्री अपना बायाँ पैर और पुरुष अपना दायाँ पैर आगे रखकर प्रवेश करें।
  • गृह प्रवेश के दिन नये घर में रंगोली जरूर बनाएं और पूरे घर को फूलों से सजाएं।
  • घर में प्रवेश के वक़्त विशेष रूप से दम्पति पांच सात्विक चीजों के साथ घर में प्रवेश करें। ये पांच चीजें हैं नारियल, गुड़, चावल, हल्दी, आम के पत्ते और दूध।
  • गृह प्रवेश मुहूर्त के दौरान भगवान गणेश की मूर्ती, श्री यंत्र और दक्षिणावर्ती शंख स्थापित करके श्री गणेश का ध्यान जरूर करें।
  • घर के विशेष हिस्सों में से किचन, स्टोर रूम और पानी रखने के जगहों पर जरूर पूजा करें और साथ ही घर के सभी हिस्सों में कलश के जल का छिड़काव करें।
  • नये घर में प्रवेश के बाद सबसे पहले किचन में कोई मीठी चीज बनाएं, दूध उबालें या फिर कोई सब्जी बनाएं।
  • गृह प्रवेश के बाद खासतौर से ब्राह्मण भोजन, कन्या पूजन और तुलसी पूजन जरूर करें।

गृह प्रवेश मुहूर्त के दौरान इन बातों का रखें ख़ास

  • गृह प्रवेश का सही मुहूर्त किसी मान्य ज्योतिषाचार्य से संपर्क कर ही निकलवायें।
  • कभी भी गृह प्रवेश पूर्णिमा, अमावस्या या फिर मंगलवार के दिन ना करें।
  • हमेशा गृह प्रवेश की पूजा घर में प्रवेश के दौरान ही होनी चाहिए।
  • गृह प्रवेश मुहूर्त के दौरान वास्तु दोष पूजा भी अवश्य करवाएं और सबसे पहले घर के मंदिर में देवी देवता को स्थापित करें।
  • गृह प्रवेश की पूजा कभी भी अधूरे बने घर में नहीं करनी चाहिए, घर के दरवाजे और छत बनने के बाद ही गृह प्रवेश की पूजा करनी चाहिए।
  • परिवार के किसी महिला सदस्य के गर्भवती होने की स्थिति में गृह प्रवेश मुहूर्त ना रखें।
  • ऐसी मान्यता है की गृह प्रवेश मुहूर्त संपन्न होने के बाद करीबन 40 दिनों तक घर को सूना नहीं छोड़ना चहिये, ध्यान रखें की घर में इस दौरान कोई ना कोई एक सदस्य जरूर मौजूद हों।
  • गृह प्रवेश मुहूर्त के दौरान मंत्र जाप पर विशेष ध्यान दें, ये कभी भी गलत नहीं होना चाहिए।
  • इस बात का ख़ास ख्याल रखें की गृह प्रवेश पूजा के दौरान किसी भी प्रकार का कोई भी विघ्न ना पड़े और शुद्धिकरण की प्रक्रिया भी ठीक से पूरी हो।

जानें गृह प्रवेश मुहूर्त गणना के बारे में

  • विशेष रूप से गृह प्रवेश का मुहूर्त व्यक्ति के जन्म तिथि, ग्रह दशा और नक्षत्रों के आधार निश्चित समय, दिन और मुहूर्त पर निकाला जाता है।
  • ज्योतिषशास्त्र के अनुसार विशेष रूप से गृह प्रवेश के लिए 2, 3, 5, 7, 10, 11, 12 सबसे ज्यादा शुभ तिथि मानी जाती है।
  • गृह प्रवेश की मुहूर्त निकालते समय ग्रहों की स्थिति के बारे में जानना सबसे ज्यादा आवश्यक माना जाता है।
  • गौरतलब है कि किसी भी प्रकार के ग्रहण जैसे कि सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण के दौरान कभी भी गृह प्रवेश नहीं करना चाहिए।
  • ज्योतिषीय गणना के बिना किसी भी गृह प्रवेश मुहूर्त को नहीं निकाला जा सकता है।

अगर इस प्रकार से गृह प्रवेश मुहूर्त को सम्पूर्ण विधि विधान के साथ संपन्न किया जाए तो इससे घर परिवार में सुख समृद्धि और खुशहाली आती है।

हम उम्मीद करते हैं की गृह प्रवेश मुहूर्त पर आधारित हमारा ये लेख आपके लिए उपयोगी साबित हो।

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