21 जुलाई 2011
न्यूयार्क। भारत के भाखड़ा बांध को पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों द्वारा नुकसान पहुंचाने की आशंका वाली खुफिया रपटों के बाद बांध के दो बिजलीघरों का निर्माण करने वाले भारतीय मूल के एक अमेरिकी इंजीनियर ने जोर देकर कहा है कि कोई भी आतंकवादी हमला बांध को नुकसान नहीं पहुंचा सकता।
लॉस एंजिल्स में रहने वाले अवतार सिंह ने फोन पर कहा, "बांध को नुकसान पहुंचने की कोई गुंजाइश नहीं है। परमाणु बम जैसा हमला भी बांध को नुकसान नहीं पहुंचा सकता। इसे काफी मजबूती से बनाया गया है। आतंकवादी समूहों के पास इतनी ताकत नहीं है कि वे इसे क्षतिग्रस्त कर सकें।"
ज्ञात हो कि भारतीय खुफिया ब्यूरो (आईबी) ने सुरक्षा एजेंसियों को दी गई अपनी रिपोर्ट में चेतावनी दी है कि पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह जैसे लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दावा की साजिश पंजाब और हिमाचल प्रदेश की सीमा के निकट स्थित बांधों पर हमले करने की है।
इसके लिए आतंकवादी समूह अपने लड़ाकों को चट्टानों पर चढ़ाई, तैराकी और विस्फोटकों के इस्तेमाल का प्रशिक्षण दे रहे हैं।
सिंह ने कहा कि आतंकवादी केवल बिजलीघरों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
उन्होंने बताया, "बांध के दो बिजलीघर गोपनीय हैं। उन्हें नुकसान पहुंचाने के लिए कोई भी आतंकवादी हमला काफी बड़ा और सटीक होना चाहिए। इन बिजलीघरों के ठिकानों को देखते हुए मुझे दूर-दूर तक हमले की आशंका नहीं दिखती।"
यह पूछे जाने पर कि भारत के सबसे ऊंचे बांध ( 225 मीटर) का डिजाइन बनाते समय क्या उन्होंने भविष्य में आतंकवादी हमले जैसे चुनौतियों को ध्यान में रखा था।
इस पर उन्होंने कहा, "नहीं, इस तरह की किसी भी आशंका को ध्यान में नहीं रखा गया क्योंकि यह बांध काफी मजबूत है, इसे कुछ भी नुकसान नहीं पहुंचा सकता।"
अस्सी वर्षीय इंजीनियर ने कहा, "इस तरह के बांधों का जीवन 100 साल अथवा इसके आस-पास होता है लेकिन भाखड़ा बांध में बालू भरने के अलावा कुछ भी नहीं हुआ है। इस बांध के जीवन की अवधि असीमित है।"
सिंह हालांकि इससे सहमत हुए कि बांध को यदि कभी नुकसान पहुंचता है तो इसके पानी से उत्तर भारत में बड़े पैमाने पर नुकसान होगा। उन्होंने कहा, "क्योंकि बांध में पीछे विशाल मात्रा में पानी है।"
बांध पर काम आजादी (1947) के तुरंत बाद शुरू किया गया। इस बांध पर भारत के पहले और सबसे बड़े हाइड्रोइलेक्ट्रिक परियोजना की शुरुआत भी की गई। बांध को प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 'उभरते भारत का मंदिर' नाम दिया था। बांध पर काम वर्ष 1963 में पूरा हुआ।
यही नहीं बांध द्वारा बनाए गए 90 किलोमीटर लम्बे जलाशय गोबिंद सागर की क्षमता 930 करोड़ घन मीटर से अधिक पानी संग्रहीत करने की है। यह पानी उत्तर भारत के पंजाब, हरियाणा, चण्डीगढ़ और दिल्ली सहित कई क्षेत्रों में बाढ़ लाने के लिए काफी है।
उल्लेखनीय है कि सिंह ने वर्ष 1949 में पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से बैचलर आफ इंजीनियरिंग की डिग्री ली और वह वर्ष 1951 में मूल भाखड़ा बांध का निर्माण करने वाली टीम में शामिल थे।
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