4 जून 2011
नई दिल्ली। योग गुरु बाबा रामदेव के काले धन के खिलाफ अनशन के समर्थन में शनिवार को रामलीला मैदान में उनके हजारों समर्थक जमा हुए लेकिन इस पर नागरिक समाज के सदस्यों की अलग-अलग प्रतिक्रिया है।
सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के अप्रैल में दिल्ली स्थित जंतर-मंतर पर किए गए ऐसे ही अनशन के समर्थन में बहुत से लोग आगे आए थे लेकिन इनमें से कई लोगों ने रामदेव के इस अनशन से खुद को दूर रखा है।
शनिवार सुबह कोच्चि में मौजूद हजारे ने संवाददाताओं से कहा कि वह शाम को या रविवार को दिल्ली पहंचने के बाद रामदेव के आंदोलन में हिस्सा लेने पर फैसला करेंगे।
रामदेव के अनशन स्थल पर की गई भव्य व्यवस्था पर हजारे कोई टिप्पणी करने से बचते रहे।
आलोचकों का कहना है कि रामदेव का अनशन पांच-सितार सत्याग्रह है। हजारे ने कहा, "मैं इस पर तभी कोई टिप्पणी दे सकता हूं जब मैं अनशन स्थल को देख लूं।" वैसे हजारे ने पहले कहा था कि वह इस अनशन में शामिल होंगे।
हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के मुख्य सदस्य रहे स्वामी अग्निवेश ने कहा कि उन्होंने रामदेव के अनशन में हिस्सा नहीं लिया क्योंकि वहां मंच पर कुछ कट्टर साम्प्रदायिक लोग मौजूद थे।
अग्निवेश ने कहा, "मैं वहां सहज महसूस नहीं कर रहा था। वहां कुछ ऐसे लोग मौजूद थे जो अपने साम्प्रदायिक विचारों के लिए जाने जाते हैं।" उन्होंने वहां साध्वी ऋतम्भरा की मौजूदगी की अपरोक्ष रूप से आलोचना की। ऋतम्भरा 1992 के अयोध्या के बाबरी मस्जिद विध्वंस में आरोपी हैं।
अग्निवेश ने कहा कि भ्रष्टाचार एक गम्भीर रोग है और धार्मिक नेताओं सहित सभी लोगों को इसके खिलाफ लड़ाई में आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा, "लेकिन जो लोग विवादास्पद रहे हैं या जिनका साम्प्रदायिक चेहरा रहा है उन्हें इस आंदोलन में कोई भी श्रेय हासिल करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।"
मानवाधिकार कार्यकर्ता मेधा पाटकर का कहना है कि रामदेव के अनशन के लिए जो व्यवस्था की गई है वह बहुत खर्चीली है। उन्होंने कहा कि अनशन के लिए जो व्यवस्थाएं की गई हैं, उन्हें देखकर ऐसा नहीं लगता कि यह भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन है।
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