1 अक्टूबर 2011
बीजिंग। चीन में सरकार द्वारा संचालित एक बौद्ध मंदिर चीनी एवं भारतीय संस्कृतियों की संगमस्थली है और सांस्कृतिक मेलजोल की शानदार उपलब्धियों का प्रतीक है। कई भारतीय नेता इस मंदिर का दर्शन कर चुके हैं।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, मध्य हेनान प्रांत में स्थित बैमा मंदिर में सदियों से चीनी और भारतीय संस्कृति का संगम हो रहा है।
ल्युओयांग शहर में स्थित यह मंदिर 'व्हाइट हार्स मंदिर' के नाम से भी जाना जाता है। चीन का पहला मंदिर माना जाता है। लगभग 3,450 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैले इस मंदिर का उद्घाटन भारतीय राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील ने 29 मई, 2010 को किया था।
ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार, हान राजवंश (206 ईसा पूर्व से 220 ईसवी) के एक राजा ने दो भारतीय बौद्ध भिक्षुओं के सम्मान में बैमा मंदिर के निर्माण का आदेश दिया था। दरअसल, राजा ने अपने दूतों को पश्चिम से बौद्ध सिद्धांतों को लाने का आदेश दिया था।
दूत दो प्रमुख भारतीय बौद्ध भिक्षुओं के साथ 67 ईसवी में ल्युयांग लौटे थे। भिक्षुओं के पास बौद्ध शास्त्र व मूर्तियां थीं, जिन्हें वे सफेद घोड़ों की पीठ पर लादकर ले गए थे।
उसके बाद एक मंदिर का निर्माण कराया गया और चीन का पहला बौद्ध शास्त्र दोनों बौद्ध भिक्षुओं ने इसी मंदिर में बैठकर संस्कृत से चीनी में अनुवाद किया था। इसी जगह से पूर्वी एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया में बौद्ध धर्म का प्रसार शुरू हुआ।
पूर्व भारतीय प्रधानमंत्रियों पी.वी. नरसिंहा राव और अटल बिहारी वाजपेयी ने क्रमश: 1993 और 2003 में बैमा मंदिर के दर्शन किये थे।
मंदिर का दर्शन करने गए एक भारतीय अधिकारी आर.एन. बिश्वास ने कहा कि यह मंदिर चीनी व भारतीय संस्कृति के संगम रूप में दोनों देशों के सांस्कृतिक मेलजोल की शानदार उपलब्धियों का प्रतीक है।
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