9 मई 2011
सिडनी। वैज्ञानिकों ने मस्तिष्क की घातक आनुवांशिक बीमारी 'कफ्स' के लिए जिम्मेदार जीन की पहचान कर ली है। यह बीमारी मुश्किल से किसी को होती है और प्रौढ़ावस्था के शुरुआत में पहचान में आती है।
कफ्स, मस्तिष्क कोशिकाओं में चर्बी जमा होने से सक्रिय होती है। इससे मिर्गी, पागलपन और बौद्धिक गिरावट के लक्षण पैदा होते हैं। यह बीमारी 10 लाख लोगों में से किसी एक को होती है।
वाल्टर एंड एलिजा हाल इंस्टीट्यूट तथा यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न के वैज्ञानिकों ने कफ्स के लिए जिम्मेदार जीन की पहचान के लिए उन्नत नई तकनीकों का इस्तेमाल किया है।
'अमेरिकन जर्नल ऑफ ह्यूमन जेनेटिक्स' में प्रकाशित रपट के अनुसार, इस खोज के बाद इस रोग का निदान रक्त जांच से ही हो जाएगा और इसके लिए मस्तिष्क की बायोप्सी नहीं करनी पड़ेगी।
एलिजा हाल के बायोइनफार्मेटिक्स विभाग की मेलानी बहलो, कैथरीन स्मिथ और कैथरीन ब्रोमहेड ने मेलबर्न यूनिवर्सिटी के मस्तिष्क विज्ञानी सैम बर्कोविक और टोडर अर्सोव के साथ मिलकर इस अनुसंधान में पाया है कि गुणसूत्र संख्या-15 पर सीएलएन 6 जीन में हुए उत्परिवर्तन कफ्स-ए बीमारी के कारण हैं।
मेलबर्न यूनिवर्सिटी की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, बर्कोविक ने कहा कि सीएलएन 6 जीन की पहचान कफ्स रोग के जल्द निदान के लिए अधिक सक्षम और कम हानिकारक तकनीकों का रास्ता साफ करेगा।
बर्कोविक ने कहा, "फिलहाल, इस बीमारी की पहचान के लिए एक मात्र तरीका मस्तिष्क की बायोप्सी करने का है, जो कि हानिकारक और घातक है।"
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