29 अप्रैल, 2011
भोपाल। कीटनाशक दवा एंडोसल्फान के खिलाफ केरल के मुख्यमंत्री अच्युतानंद द्वारा शुरु की गई मुहिम में मध्य प्रदेश भी उनके साथ है। प्रदेश के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया ने अच्युतानंद को पत्र लिखकर अभियान को देश व मानवीय हित में बताते हुए अपना समर्थन जताया है।
कुसमरिया ने अच्युतानंद को लिखे पत्र में कहा कि कृषि क्षेत्र में अत्याधिक जहरीले रसायनों के इस्तेमाल के खिलाफ संघर्ष में वे पूरी तरह से उनके साथ हैं और भारत सरकार से मांग करते हैं कि इस तरह के रसायनों के इस्तेमाल पर तत्काल प्रतिबंध लगाया जाए, जिसका मानव जाति और आसपास के परिवेश पर गम्भीर प्रभाव पड़ता है।
उन्होंने कहा कि भोपाल ने वर्ष 1984 में दुनिया की सबसे भीषण औद्योगिक त्रासदी झेली, जिसमें हजारों लोग काल के गाल में समा गए थे और लाखों लोग जीवनभर के लिये बीमार हो गए। इसीलिए मध्यप्रदेश इस मानव निर्मित त्रासदी के दुष्प्रभाव को खूब अच्छी तरह समझता है।
कुसमरिया ने पत्र में कहा कि एंडोसल्फान दवा के इस्तेमाल पर दुनिया के अनेक देशों में प्रतिबंध है। यहां तक कि बांग्लादेश, इंडोनेशिया, कोलम्बिया, श्रीलंका सहित अन्य देशों ने भी इसे सर्वाधिक प्रतिबंधित दवाओं की सूची में शामिल किया है। इसके बावजूद एंडोसल्फान भारत के अधिकतर राज्यों में धड़ल्ले से बिक रही है। इसके बेजा उपयोग से इंसानों और पर्यावरण पर बहुत बुरा असर हो रहा है।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने अच्युतानंद को पत्र लिखकर उनके द्वारा केरल में एंडोसल्फान के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के लिये किए गए उपवास को एक ठोस कदम बताया और कहा है कि इससे उनकी विचारधारा से सहमत सभी लोगों को प्रोत्साहन मिला है जो मानव जाति के अस्तित्व को लेकर चिंतित है।
कुसमरिया ने केन्द्रीय कृषि एवं सहकारिता मंत्री शरद पवार को अलग से पत्र लिखा है जिसमें कहा गया है, "कृषि को अर्थव्यवस्था के विकास के प्रमुख आधार के रूप में विकसित करने के हमारे सभी प्रयासों के बावजूद मुझे इस बात की तकलीफ है कि एंडोसल्फान हमारे देश में बिक रही है।" उन्होंने इस दवा पर पाबंदी लगाये जाने के मुद्दे पर पवार से कारगर पहल की उम्मीद जताई है।
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