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राजघाट पर अनशन करेंगे अन्ना, सरकार की आलोचना

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7 जून 2011

नई दिल्ली। गांधीवादी समाजसेवी अन्ना हजारे के नेतृत्व वाले नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को कहा कि वह महात्मा गांधी के समाधि स्थल राजघाट पर बुधवार को एक दिवसीय अनशन करेंगे। जंतर-मंतर पर अनशन की इजाजत नहीं दिए जाने पर पुलिस से टकराव टालने के लिए यह फैसला लिया गया है।

कार्यकर्ताओं ने केंद्र सरकार के मंत्रियों की आलोचना करते हुए कहा कि सरकार को 'अभिमानी' नहीं होना चाहिए उसे ज्यादा सहिष्णु होना चाहिए।

नागरिक अधिकार कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल ने कहा, "हमने अनशन का स्थान बदलकर राजघाट किया है। हमने पुलिस आयुक्त से बात की है और हम राजघाट पर बुधवार सुबह 10 बजे से शाम छह बजे तक अनशन पर बैठेंगे।"

इससे पहले जंतर-मंतर पर अन्ना हजारे के अनशन के लिए अनुमति नहीं दिए जाने को केजरीवाल ने पुलिस का 'स्वेच्छाचारी' कदम बताते हुए कहा था कि अन्ना हजारे के समर्थक पुलिस के इस फैसले के विरोध में बुधवार को सभा करेंगे और यदि आवश्यकता हुई तो गिरफ्तारी देंगे।

उन्होंने कहा, "अन्ना हजारे 73 वर्ष के हैं। वह शांति पुरुष हैं। सरकार को स्पष्ट करना होगा कि अन्ना हजारे की वजह से क्या खतरा पैदा हो गया?"

केजरीवाल ने कहा कि सरकार इस तरह व्यवहार कर रही है, जैसे उसे भ्रष्टाचार का अधिकार हो और यदि किसी ने इसका विरोध किया तो उसे कुचल दिया जाएगा या कानूनी कदम उठाते हुए पांच अथवा इससे अधिक लोगों के एकत्र होने पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा।

अन्ना हजारे ने रविवार को कहा था कि वह बाबा रामदेव और उनके समर्थकों पर की गई पुलिस कार्रवाई के विरोध में बुधवार को जंतर-मंतर पर एक दिवसीय अनशन करेंगे।

पुलिस ने जंतर-मंतर पर निषेधाज्ञा लागू की है। दिल्ली पुलिस कमिश्नर बी. के. गुप्ता से जंतर-मंतर पर अनशन की अनुमति मांगी गई लेकिन मंगलवार दोपहर तक कोई जवाब नहीं मिला जिसके चलते अनशन के स्थान में परिवर्तन किया गया है।

अप्रैल में अन्ना हजारे के अनशन को देश भर में व्यापक समर्थन मिला था और सरकार भ्रष्टाचार रोकने के लिए सख्त लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने 10 सदस्यीय समिति गठित करने के लिए मजबूर हुई थी।

इस समिति के सदस्य केजरीवाल ने कहा सरकार की विश्वसनीयता खतरे में है।

"विधेयक खतरे में है या नहीं, यह तो समय बताएगा लेकिन मुझे लगता है कि सरकार ने जो किया उससे उसकी विश्वसनीयता निश्चित रूप से खतरे में है।"

उन्होंने कहा, "सरकार को ज्यादा सहिष्णु होना चाहिए। हमारी भाषा अभद्र नहीं रही लेकिन उन्हें इतना अभिमानी नहीं होना चाहिए। हमारी लड़ाई किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं है हमारी लड़ाई व्यवस्था के खिलाफ है।"

केजरीवाल ने कि गांधीवादी अन्ना हजारे को कांग्रेस द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का मुखौटा बताए जाने से अन्ना हजारे आहत हुए हैं।

केजरीवाल ने पत्रकारों से कहा, "वह स्वाभिमानी हैं और इस बयान से आहत हुए हैं। वह इस सम्बंध में एक पत्र लिख रहे हैं। आपको इसके लिए एक या डेढ़ दिन इंतजार करना होगा।"

प्रख्यात वकील प्रशांत भूषण ने कांग्रेस के इस बयान को बेतुका बताया है।

भूषण ने कहा, "अन्ना पर लगाया गया यह आरोप न सिर्फ बेतुका है बल्कि यह मानहानि है।"

भूषण ने कहा, "उन्होंने महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस सहित सभी सरकारों के भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाइयां लड़ी हैं। सभी पार्टियों ने उन्हें लुभाने की कोशिश की लेकिन वह हमेशा मुख्यधारा के भ्रष्ट राजनीतिक दलों से दूर रहे।"

पूर्व पुलिस सेवा अधिकारी और नागरिक अधिकार समूह की सदस्य किरण बेदी ने कहा कि हजारे सबसे ज्यादा तटस्थ व्यक्ति हैं।

केजरीवाल ने इस बात से इन्कार किया कि सामाजिक संगठनों के सदस्यों ने सरकार के खिलाफ किसी तरह की अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा, "सरकार को ज्यादा सहिष्णु होना चाहिए। हमारी भाषा अभद्र नहीं है उन्हें अभिमानी नहीं होना चाहिए। हमारी लड़ाई किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ नहीं है बल्कि यह व्यवस्था के खिलाफ है।"

इससे पहले सिब्बल ने कहा था कि सामाजिक संगठनों के सदस्यों ने सरकार को 'धोखेबाज, झूठी और षडयंत्रकारी' कहा है।

केजरीवाल ने कहा, "अन्ना जी ने कहा था कि सरकार ने समय-समय पर झूठ बोला है और हमारे खिलाफ साजिशें रची हैं। इसमें गलत क्या कहा? वह इन टिप्पणियों की वजह से खफा हैं लेकिन देश की जनता 62 साल से खफा है।"

 

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