1 अप्रैल 2013
मुंबई। पाकिस्तानी अभिनेता-संगीतकार अली जफर ने फिल्म 'चश्मे बद्दूर' के प्रमोशन से दूर रहने के पीछे वीजा समस्या से जुड़ी कयासबाजी को नकारा है। जफर ने साफ किया है कि भारत में चश्मे बद्दूर के प्रमोशन से दूर रहने की वजह वीजा समस्या नहीं बल्कि ई.निवास की भारत-पाकिस्तान मैत्री पर आधारित फिल्म 'अमन की आशा' की शूटिंग में व्यस्त होना है।
जफर ने बताया, "इस तरह की बातें पूरी तरह आधारहीन हैं। जल्द ही मैं अपने को-स्टार सिद्धार्थ और दिव्येंदु शर्मा के साथ प्रमोशन में शामिल होऊंगा। मेरी इच्छा थी कि मैं प्रमोशन की पूरी अवधि में साथ होता। "
निर्देशक डेविड धवन ने वर्ष 1981 की सफल फिल्म चश्मे बद्दूर के रीमेक को निर्देशित किया है। अली फिल्म में अहम भूमिका में हैं।
निवास के प्रोजेक्ट के बारे में बात करते हुए जफर बताते हैं, "ई. निवास की फिल्म 'अमन की आशा' की शूटिंग को लेकर मैं मार्च में प्रतिबद्ध हुआ था, जबकि चश्मे बद्दूर को फरवरी 2013 में रिलीज होना था। इसकी रिलीज डेट बढ़कर अप्रैल में होने से मुझे प्रमोशन से दूर होना पड़ा।"
जफर कहते हैं, भारत आने और बॉलीवुड का हिस्सा बनने में उन्हें कभी किसी भी तरह की दिक्कत महसूस नहीं हुई। 'तेरे बिन लादेन' से बॉलीवुड में कदम रखने वाले जफर ने बताया, "मुझे मुंबई मनोरंजन उद्योग से बेहद लगाव है। मेरे प्रति हर व्यक्ति उदार, सहयोगी और मित्रवत रहा है। मुझे भारत में कभी भी कहीं भी भेद-भाव का सामना नहीं करना पड़ा।"
'चश्मे बद्दूर' की निर्माता 'वायकाम 18' से जुड़े एक सूत्र ने कहा, "वीजा समस्या के चलते फिल्म के प्रमोशन से दूर होने की बात पढ़कर जफर बहुत शर्मिदा हैं।"
सूत्र ने कहा, "जफर को भारत आने में कभी किसी तरह की समस्या का सामना नहीं करना पड़ा। जितना ज्यादा हो सकता है वह अधिकतर हमारे साथ रहे हैं। अगले एक-दो दिनों में फिर से वह हमारे साथ होंगे। "