21 मई 2011
वाशिंगटन। पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा, मुम्बई के ताज महल होटल पर हमले के लिए 2006 से ही जानकारी जुटा रहा था। हमले की शुरुआती साजिश में केवल एक या दो फिदायीन शामिल थे। यह बात एक अमेरिकी विद्वान ने कही है।
थिंक टैंक, कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस के स्टीफन टैंकेल ने लिखा है कि शुरुआती साजिश में एक या दो फिदायीनों को ताज महल होटल में आयोजित एक वार्षिक सॉफ्टवेयर सम्मेलन पर धावा बोलना था और उसके बाद भारत से भाग जाना था।
टैंकेल ने डेविड कोलमैन हेडली के हवाले से लिखा है, "अफगानिस्तान में जिहाद में वृद्धि और कबायली इलाकों में हिंसा भड़कने के बाद आतंकवादी संगठनों के बीच जोरदार वैचारिक बहसें हुईं कि उनकी हिंसा का केंद्र कहां होना चाहिए।" हेडली पाकिस्तानी मूल का अमेरिकी आतंकवादी है, जिसने 2008 के हमले के लिए जानकारी जुटाई थी।
टैंकेल ने लिखा है कि हेडली के अनुसार अफगानिस्तान में लड़ रहे आतंकवादियों की आक्रामकता और प्रतिबद्धता ने कुछ लड़ाकों को लश्कर जैसे कश्मीर केंद्रित आतंकवादी संगठनों से अलग होने के लिए प्रेरित किया। टैंकल मानते हैं कि इसी कारण "लश्कर ने भारत में एक बड़े आतंकवादी हमले पर विचार करने का निर्णय लिया।"
टैंकेल ने लिखा है, "प्रारम्भ में दांव बढ़ाने का लश्कर का विचार अनिश्चित था, लेकिन 2008 के शुरुआत में और उस वर्ष की गर्मी में एक या दो व्यक्तियों का अभियान बढ़कर 10 हमलावरों में तब्दील हो गया, जिन्हें कई ठिकानों को निशाना बनाना था।"
इनमें से कई लक्ष्यों को हमले से एक महीने पहले जोड़ा गया था। बाद में जोड़े गए लक्ष्यों में से एक चाबड हाउस था।
टैंकल ने लश्कर पर एक पुस्तक लिखी है, जो जल्द ही प्रकाशित होने वाली है। पुस्तक का शीर्षक है 'स्टार्मिग द वर्ल्ड स्टेज : द स्टोरी ऑफ लश्कर-ए-तैयबा'।
टैंकल लिखते हैं कि हेडली के अनुसार, लश्कर के हर प्रमुख सदस्य का इंटर सर्विसिस इंटेलिजेंस (आईएसआई) में कोई न कोई आका था, और लश्कर के सभी प्रमुख अभियान इन्हीं अधिकारियों के संयोजन में सम्पन्न हुए।
आईएसआई में आतंकवादियों का ऐसा ही एक आका मेजर इकबाल था। हेडली के अनुसार, इकबाल ने उसे भारत की यात्रा के लिए लगभग 25,000 डॉलर की राशि मुहैया कराई थी।
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