2 सितंबर 2011
दिल्ली। अन्ना हजारे के आंदोलन से डरी सरकार अब बाबूगीरी के जरीये अन्ना की टीम की कमर तोड़ने की तैयारी में जुट गयी है। सरकार को यह डर है कि एक वक्त के बाद अन्ना हजारे ने अगर दुबारा दिल्ली का रास्ता पकड़ा तो इस बार सरकार को कोई बचा नहीं पायेगा क्योंकि विपक्ष जनता के मूड के साथ खड़ा होगा, इससे इंकार नहीं किया जा सकता। असल में अन्ना टीम को तीन रास्तों से घेरने की तैयारी हो रही है। पहला रास्ता अन्ना के रालेगनसिद्दी पहुंचने के बाद उन्हें वहां भावनात्मक तौर पर घेरने का है। इसके लिये अनशन तुड़वाने वाले मनमोहन सिंह के दूत विलासराव देशमुख और लंबे वक्त तक मनमोहन सिंह के साथ पीएमओ में कामकर चुके पृथ्वीराज चौहाण सक्रिय हैं। चौहण बतौर महाराष्ट्र के सीएम के तौर पर तो विलासराव दूत के भूमिका को जगाते हुये अन्ना हजारे के करीबियों को अब यह पाठ पढ़ा रहे हैं कि अन्ना की टीम दरअसल अन्ना का उपयोग अपने लिये कर रही है। जो रास्ता बीजेपी और आरएसएस की तरफ जाता है। इसके लिये तरीका बेहद प्यार भरा अपनाया गया है। नेताओं या नौकरशाहों से इतर कराड और लातुर से लेकर हर उस क्षेत्र के किसान-मजदूरों को इन दो नेताओं के जरीये भेज कर यह बताया जा रहा है कि अन्ना हजारे का आंदोलन तो शुद्द है लेकिन उनकी दिल्ली की टीम के रास्ते सियासत और संघ वाले हैं।
सरकार ने दूसरे रास्ते के जरीये अन्ना की टीम को सीधे घेरने की तैयारी की है। इस रास्ते सबसे पहले अरविन्द केजरीवाल को अब बाबूओं के जरीये उनकी पुरानी फाइलों को निकाला गया है। जिसमें नौकरी करते वक्त उनकी दो बरस की स्टडी लीव के बाद नौकरी ज्वाइन न करने पर अंगुली उठाई गई है। और इसके लिये बकायदा उन्हें सरकारी नोटिस यह कहकर थमाया गया है कि जब पढ़ाई के लिये उन्होने छुट्टी ली और उस दौर में उन्हे सरकार की तरफ से वेतन मिलता रहा तो फिर छुट्टी खत्म होने के बाद उन्होने नौकरी ज्वाइन क्यों नहीं किया। इतना ही नहीं सरकारी पत्र के जरीये के अरविन्द केजरीवाल से दो साल का वेतव ब्याज समेत लौटाने को कहा गया है। मजा यह है कि बाबुओं ने जो जांच अपने स्तर पर की, उसमें नौकरी करते वक्त अरविंद केजरीवाल का कम्प्यूटर के लिये पचास हजार के सरकारी लोन का भी जिक्र यह कहकर किया गया है कि केजरीवाल ने कंम्प्यूटर के लोन का पूरा पैसा भी नहीं लौटाया। और इस लोन में भी ब्याज की रकम जोड़ दी गयी है। यानी स्टडी लीव के दौरान के सात-आठ लाख और कम्यूटर लोन का करीब सवा-डेढ़ लाख रुपया।
खास बात यह है कि रेवेन्यू सर्विस में रहते हुये अरविन्द केजरीवाल के उन तथ्यों का सरकारी पत्र में कोई जिक्र नहीं है, जिसमें केजरीवाल ने नौकरी छोड़ने की दरख्वास्त की। कम्प्यूटर लोन का पैसा हर महीने पांच हजार लौटाने की रकम बांधी और जो लोन बचा उसे आखिरी हिसाब में काट लेने की दरख्वास्त की। वहीं सरकार ने तीसरे रास्ते के जरीये अन्ना टीम के चुनिन्दा चेहरों के आगे-पीछे की जांच के नाम पर परिवार ही नहीं बल्कि समूचे कुनबे को घेर कर इस हद तक पूछताछ शुरु की है, जिससे हर कोई अन्ना टीम में अपने पारिवारिक सदस्य को कहे कि सरकार के खिलाफ आंदोलन का रास्ता उसने चुना ही क्यों। और इस जांच के दायरे में अन्ना की कोर टीम ही नहीं बल्कि लगातार "करप्शन अगेस्ट इंडिया" तले काम करने वाले युवा लड़के-लड़कियो को भी घेरा जा रहा है।
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