6 नवंबर 2012
नई दिल्ली। अभिनेत्री और लेखिका कल्कि कोचलिन का मानना है कि भारतीय फिल्म उद्योग में छोटे बजट की फिल्में व्यावसायिक फिल्मों की तरह ही स्वीकारी जा रही हैं। 'शैतान', 'दैट गर्ल इन यैलो बूट्स' जैसी गैरपारम्परिक फिल्म का हिस्सा रहीं कल्की ने 'जिंदगी ना मिलेगी दोबारा' से व्यावसायिक सिनेमा का स्वाद चखा है और उनका मानना है कि बॉलीवुड छोटे बजट की फिल्म को व्यावसायिक फिल्मों की तरह ही सफलतापूर्वक बनाने के लिए एकजुट रहता है।
कल्कि ने कहा, "मुझे लगता है कि स्वतंत्र सिनेमा का अपना स्थान है और वे दोनों समान रूप से चलते हैं या चलने चाहिए। यह निरंतर रूप से चलने वाली प्रक्रिया है। जब छोटे बजट की फिल्में व्यावसायिक हो गईं, जो कि हमारा लक्ष्य है, यहां इन फिल्मों की नई लहर होगी और यह बुरा या हास्यास्पद हो सकता है। ऐसा गत 10 सालों से या इससे पहले से हो रहा है।"
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