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खान-बाबा इंटरप्राइजेज (व्यंग्य)

satire by alok puranik

इंस्टीट्यूट ऑफ स्मार्ट बिजनैस मैनजमेंट के एक छात्र ने बहुत जोरदार बिजनेस केस स्टडी पेश की है। वह इस प्रकार है-

बाबा रामदेव ने जो कहा उसका आशय है कि आमिर खान सत्यमेव जयते के जरिए समाज सुधार नहीं कर रहे, टीआरपी के जरिए नोट बना रहे हैं। उधर, आमिर खान की इमेज सत्यमेव जयते के बाद कई लोगों के लिए महात्मा गांधी, नेलसम मंडेला के समकक्ष हो गई है, या शायद उससे भी ज्यादा। इस पूरे मसले को बिजनेस एंगल से देखने की कोशिश इस केस स्टडी में की गई है।

खान साहब मूलत: इंटरटेनमेंट कारोबारी हैं। मौका वगैरह देखकर घड़ी,कोल्डड्रिक भी बेच लेते हैं। रंग दे बसंती फिल्म के हिट होने के बाद उनकी इमेज कुछ कुछ क्रांतिकारी राष्ट्र सुधारक की भी हो गई। खान साहब ने इसके बाद राष्ट्र सुधार कारोबार में भी हाथ डालने की कोशिश की। इसी सिलसिले में मेधा पाटकर के नर्मदा बचाओ आंदोलन के एक धरने में दिल्ली में वह मौजूद थे। इस पर गुजरात के कई लोगों ने उन्हें आंदोलन का समर्थक और गुजरात के हितों का विरोधी माना। उनकी फिल्म को गुजरात में रिलीज होने में दिक्कतें आईं। खान साहब को नुकसान हुआ। खान साहब ने अगली फिल्म के रिलीज होने से पहले गुजरात वासियों को मनाया, तब जाकर मामला निपटा। बिजनेस लैसन यह रहा है कि राष्ट्र सुधार या समाज सुधार का वह प्रोडक्ट पेश करो, जिसका कोई विरोध न करे।

सत्यमेव जयते में राष्ट्र सुधार, समाज सुधार के वे इशू पेश हैं, जिन पर कोई भी पब्लिकली खान साहब का विरोध नहीं कर सकता। गुड प्रोडक्ट यानी सबको मंजूर। दसियों लड़कियों को गर्भ में मारने वाला हत्यारा कन्या भ्रूण हत्या पर खान साहब का पब्लिकली समर्थन ही करेगा। दिज इज गुड बिजनेस सेंस। सब करोड़ों कमाओ, लगे हाथ समाजसेवा भी। पर बाबा रामदेव जी खान साहब के काम को नोट कमाने का धंधा मान रहे हैं। बाबा जी योग, स्वदेशी दवाओं में डील करते हैं। स्वदेशी योग की डीलिंग भी ग्लोबल है। बाबा राष्ट्र सुधार और समाज सुधार में भी डील करते हैं। राष्ट्र सुधार, समाज सुधार का मामला अब अरबों का है। बाबा जी की दवाएं भी यद्यपि मुफ्त में नहीं मिलती फिर भी वो खान साहब के पैसा कमाने को बुरा मान रहे हैं। पर आपस में बुरा भला कहना बैड बिजनेस है। गुड बिजनेस यह है कि सब कमाएं, खाएं और हो सके तो लगे हाथ राष्ट्रसेवा, समाजसेवा भी दिखाएं।

बाबा जी के पास तमाम टीवी चैनल्स हैं। विदेशों में अपना द्वीप है। बड़ा नेटवर्क है। खान साहब के पास क्रांतिकारी देश सुधारक इमेज है। दोनों हाथ मिला लें। बिजनैस में इसे ज्वाइंट वेंचर कहते हैं। कॉलोबरेशन कहते हैं। खान साहब के समाजसेवी कार्यक्रम बाबा के राष्ट्रसेवी चैनलों पर आएं। सब मिलजुलकर टीआरपी बढ़ाएं। विज्ञापन लाएं। इस हल्ले में जितना देश सुधर जाए, सुधर जाए। आइए खान बाबा इंटरप्राइजेज का इंतजार करें। बिजनेस में लड़ना बुरी बात है।

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