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ख़्वाब को जीने का नाम है कौन बनेगा करोड़पति

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इस ‘कुर्सी’ में ग़ज़ब का सम्मोहन है। इस कदर कि भारतीय टेलीविजन की दुनिया का लगभग हर दर्शक इस करामाती कुर्सी पर बैठने को बेताब है। आखिर, बीते दस साल में कई लोगों के ख्वाबों में सुनहरा रंग भरा है इस कुर्सी ने! यह सत्ता की कुर्सी नहीं और न ही किसी कॉरपोरेट घराने के सबसे ऊंचे ओहदे की कोई कुर्सी है। यह ‘हॉट सीट’ है। देश के सबसे चर्चित और लोकप्रिय रिएलिटी शो ‘कौन बनेगा करोड़पति’ की हॉट सीट।

‘कौन बनेगा करोड़पति’ की इसी ‘हॉट सीट’ पर बैठने की बेचैनी में एक बार फिर लाखों लोगों की उंगलियां दिन-रात टेलीफोन नंबरों पर मचलने वाली हैं। केबीसी-4 के दौरान हॉट सीट पर बैठने के लिए 50 लाख लोगों ने आवेदन किया था, लेकिन इस बार किस्मत का खेल खेलने वालों की तादाद करोड़ों में होगी। वजह है केबीसी के हिन्दी समेत छह भाषाओं में अलग अलग संस्करण। अमिताभ बच्चन केबीसी-5 की मेजबानी लेकर जल्द सोनी टीवी पर दर्शकों के सामने आने वाले हैं तो बिहारी बाबू शत्रुघ्न सिन्हा महुआ टीवी पर केबीसी का भोजपुरी संस्करण ‘के बानी करोड़पति’ ला रहे हैं। महुआ चैनल पर ही बंगाल टाइगर सौरव गांगुली बांग्ला में ‘के होबे बांगलार कोटिपोटी’ लेकर हाजिर होंगे। दक्षिण भारतीय फिल्मों के स्टार प्रकाश राज तमिल और तेलुगु में शो की मेजबानी करेंगे, जबकि अभिनेता रमेश अरविंद कन्नड़ में लोगों को करोड़पति बनाएंगे। तमिल,तेलुगु और कन्नड़ भाषा में शो सन टीवी पर प्रसारित होंगे।
 
तो आखिर इस शो में ऐसा क्या है कि भारतीय टेलीविजन की दुनिया इसे कई रंगों में पेश करने को बेताब है? रिएलिटी शो से पटे चैनलों के बीच भारतीय दर्शकों को कौन बनेगा करोड़पति में ऐसा क्या आकर्षण दिखता है कि यह शो टीआरपी की दौड़ में कई सितारों वाले ‘बिग बॉस’ समेत तमाम दूसरे रिएलिटी कार्यक्रमों को पटखनी दे डालता है? क्यों अनुपम खेर-मनीषा कोइराला जैसे कलाकारों की मौजूदगी और दस करोड़ की भारी भरकम इनामी रकम जिताने का ख्वाब दिखाने वाला रिएलिटी शो ‘सवाल दस करोड़ का’ और गोविंदा की मेजबानी वाला ‘जीतो छप्पड़ फाड़ के’ इस कार्यक्रम के आगे पानी भी नहीं मांगता? आखिर क्यों लाखों भारतीय दर्शकों की नज़र में केबीसी का शो खेल के दायरे से आगे निकल जीवन के बड़े सपनों को पूरा करने का सबसे बड़ा मंच है? क्यों इस खेल में शामिल होने को लेकर दर्शकों का उत्साह असीम और विफलता की निराशा त्रासद है?

ऐसे अनेक सवाल हैं, जो ब्रिटेन के चर्चित रिएलिटी शो ‘हू वांट टू बी मिलेनियर’ के देसी संस्करण ‘कौन बनेगा करोड़पति’ की सफलता की पड़ताल करते हुए सामने आते हैं। साल 2000 में कौन बनेगा करोड़पति की मेजबानी लेकर पहली बार अमिताभ बच्चन ने छोटे पर्दे के जरिए भारतीयों के ड्राइंगरुम में प्रवेश किया था तो किसी को अंदाजा नहीं था कि यह कार्यक्रम सफलता की नयी इबारत लिखेगा। इस कदर कि कार्यक्रम में शामिल होना भर समाजिक हैसियत में इजाफा माना जाने लगे।

अमिताभ बच्चन के करिश्माई व्यक्तित्व, कार्यक्रम के सीधे-सरल फॉर्मेट, बड़ी इनामी रकम और जबरदस्त प्रचार के बीच कौन बनेगा करोड़पति के पहले सत्र ने कामयाबी का नया मुकाम छुआ। लेकिन, अगले तीन सत्रों के दौरान भारतीय मध्यवर्गीय समाज के बीच ‘कौन बनेगा करोड़पति’ सिर्फ एक अदद रियलिटी शो भर नहीं रहा। इस शो ने अपने नए मानक गढ़ दिए, जहां ‘हॉट सीट’ पर बैठना भर अपने इलाके में सेलेब्रिटी होने के लिए काफी हो गया। बेहद सरल से कठिन होते सवालों के इर्दगिर्द बुने गए चक्रव्यूह को तोड़ने वाले ‘अभिमन्यु’ के पास यहां हथियार है-  ‘जनरल नॉलेज’। लेकिन यहां ज्ञान नाकाफी होने पर इम्तिहान में फेल होने सरीखा तंज नहीं है। हां, इसी बीच ज्ञान का महत्व बार-बार साबित भी होता है। तभी तो आईएएस परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हर्षवर्धन नवाथे शो के पहले करोड़पति बन जाते हैं!

कौन बनेगा करोड़पति जिस दौर में आगे बढ़ा, उसी में प्रतियोगी परीक्षाओं का एक नया सिलसिला शुरु हुआ। टेलीफोन क्रांति ने इस कार्यक्रम में सफलता में अप्रत्यक्ष योगदान दिया। यूं तो यह बात सभी रिएलिटी शो की सफलता के संदर्भ में कही जा सकती है, लेकिन जिस तरह केबीसी में आम दर्शकों को जोड़ने के लिए टेलीफोन का इस्तेमाल हुआ, उसमें यह बात उल्लेखनीय है। कौन बनेगा करोड़पति के फॉर्मेट पर लोगों के मन में लालच पैदा करने का आरोप भी लगाया जाता है,लेकिन इक्का दुक्का अपवादों को छोड़ दें तो सच यही है कि बड़ी ईनामी राशि के विजेता तुक्केबाज नहीं रहे। हर्षवर्धन नवाथे से लेकर ब्रजेश दुबे और पहली महिला करोड़पति राहत तस्लीम सभी की कहानी यही कहती है।
 
हां,कई प्रतियोगियों की विफलता की कहानी आंखों को भीगा भी देती है। मसलन आंध्र प्रदेश के छोटे से गांव से आयी तलाकशुदा प्राइमरी स्कूल टीचर जब अमिताभ बच्चन से कहती है कि वो इस सवाल का सही जवाब दे सकती है कि क्या आंसू खारे होते हैं क्योंकि उसने सारी उम्र दुख ही झेला है तो अमिताभ भी भावुक हो जाते हैं। दुर्भाग्य से फिल्म ‘दिल से’ गीत में एक तमिल शब्द को ठीक से न समझ पाने की वजह से यह महिला सिर्फ दस हज़ार रुपए ही जीत पाती है। दर्शकों के दिल में उस वक्त भी टीस उठती है,जब बेंगलुरु में रह रहे पंजाब के एक किसान का बेटा इनामी राशि से अपने माता पिता को तीर्थयात्रा पर भेजने और अपने भाई की थ्रेशर में कट गई उंगलियों के ऑपरेशन की बात करता है। लेकिन, केबीसी के जरिए किस्मत ने उसने नाम सिर्फ 10 हजार रुपए ही लिखे थे।
 
दरअसल, बीत दस साल में केबीसी प्रतियोगियों के लिए समाज के भीतर अपनी पहचान गढ़ने का मंच भी बना है। अमिताभ बच्चन ने अपने ब्लॉग पर एक जगह लिखा है-‘मेरे लिए केबीसी सिर्फ एक गेम शो नहीं है। मेरे लिए यह एक ऐसा अनुभव है,जो किसी भी मानव का जीवन बदल सकता है।‘ निश्चित रुप से ऐसा है। तभी तो केबीसी में शामिल होना भर लाखों लोगों का सपना है। इस सपने में हकीकत में रंग भरने को बेताब हज़ारों लोगों के लिए यह एक मौका भी है-खुद को साबित करने का,एक झटके में शोहरत पाने का, मोटी रकम बटोरने का, टेलीविजन की सतरंगी दुनिया का हिस्सा बनने का और अपने पसंदीदा सितारे से मिलने का। और फिर यह सितारा  हिन्दी फिल्मी दुनिया का शहंशाह अमिताभ बच्चन हो तो कहना ही क्या !
     
मुकद्दर के सिकंदर

कौन बनेगा करोड़पति ने यूं तो कई लोगों की जिंदगियां बदली। कई लोगों को मोटी रकम जितायी। लेकिन, मुकद्दर के तीन सिकंदर बेमिसाल हैं।

1- हर्षवर्धन नवाथे : हर्षवर्धन नवाथे ने कौन बनेगा करोड़पति के पहले सत्र में करोड़पति बनकर इतिहास रच दिया था। साल 2000 की बात है, जब हर्षवर्धन ने यह कारनामा किया तो वह अखबारों के मुख्य पेज से लेकर तमाम बड़ी पत्रिकाओं के कवर पेज पर दिखे। आईएएस परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हर्षवर्धन ने एक करोड़ रुपए तो जीते लेकिन फिर अपने लक्ष्य से भटक गए। इस वजह से कुछ दिनों मानसिक तनाव में रहे। हालांकि, बाद में उन्होंने मार्केटिंग में डिग्री ली और अब वह अपना घर भी बसा चुके हैं।

2- ब्रजेश दुबे : पेशे से इलेक्ट्रिकल इंजीनियर ब्रजेश दुबे केबीसी-2 के पहले करोड़पति बने थे। अमिताभ बच्चन के दीवाने ब्रजेश को पत्नी ने प्रेरित किया कि वो तभी अमिताभ से मिल सकते हैं,जब केबीसी में हिस्सा लें। पत्नी और उनके चचेरे भाई ने केबीसी में हिस्सा लेने के लिए दो महीने तक तैयारी कराई। इतना ही नहीं, फास्टेस्ट फिंगर फर्स्ट सेक्शन के लिए उनकी पत्नी ने 250 से अधिक सवालों की सूची तैयार की और उन्हें अभ्यास कराया। नतीजा- दुबे करोड़पति बने। उस वक्त एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था-जरुरी यही है कि प्रतियोगी बड़ी इनामी राशि के दबाव में न आए और अपना संतुलन बनाए रखे।

3- राहत तस्लीम : झारखंड के गिरीडीह की राहत तस्लीम कौन बनेगा करोड़पति में एक करोड़ रुपए जीतने वाली पहली महिला प्रतियोगी हैं। रुढिवादी परिवार में जन्मी राहत बचपन में डॉक्टर बनना चाहती थीं, लेकिन किस्मत ने उन्हें सिलाई के पेशे में लगा दिया। एक वक्त उनकी मां उन्हें दुर्भाग्यशाली मानती थीं, लेकिन अब वक्त बदल गया है। राहत ने बैंक में अपना खाता उस वक्त खुलवाया,जब वह केबीसी में हिस्सा लेने आ रही थीं। इस घरेलू महिला ने अपने सामान्य ज्ञान से साबित किया कि चारदीवारी के भीतर रहने वाली महिलाएं भी किसी से कम नहीं। एक करोड़ रुपए जीतने के बाद अमिताभ बच्चन भी राहत के मुरीद हो गए।

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